देवघर (DEOGHAR): होली ऐसे तो रंगों का त्यौहार है लेकिन अलग-अलग जगहों पर इसे मनाने की कई परंपराएं प्रचलित है. बैद्यनाथ धाम में होली के अवसर पर हरि और हर के मिलन की अति प्राचीन परंपरा रही है. जानकारों के अनुसार हरि ने अपने हाथों पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी और इसी क्रम में हरि और हर का मिलन हुआ था. तब से यहां होली के अवसर पर हरि-हर मिलन की परंपरा चली आ रही है.
विष्णु ने रावण के हाथ से लिया था शिवलिंग
देवघर में होली के अवसर पर हरि-हर मिलन का खास महत्व है. जानकारों की माने तो होली के ठीक पचले दिन होलिका दहन के ठीक बाद हरि ने वेष बदल रावण के हाथ से पवित्र शिवलिंग लेकर अपने हाथों यहा स्थापित किया था और तभी हरि और हर का अद्भुत मिलन हुआ था. होली के अवसर पर हरि-हर मिलन की यह परंपरा तभी से चली आ रही है. बाबा मंदिर में विष्णु कृष्ण भगवान के रूप में स्थापित है.
सुबह होगा हरि और हर का मिलन
परंपरा के अनुसार एक खास मुर्हूत आज शाम 4 बजे के बाद हरि को पालकी पर बैठा कर शहर का भ्रमण कराते हुए मंदिर लाया जाता है और फिर पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग के समीप रख कर अबीर-गुलाल से दोनो को सरोबार किया जाता है. इस बार हरि-हर मिलन का मुर्हूत कल यानी 7 मार्च की सुबह 5 बजकर 10 मिनट पर निर्धारित है. हरि-हर मिलन के इस अदभूत दृश्य को देखने श्रद्धालूओं की भीड़ उमड़ पड़ती है.
बैद्यनाथधाम का स्थापना दिवस
होली फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है. इससे पहले कल 7 मार्च सुबह 4 बजकर 50 मिनट पर होलिका दहन होगा. इसके बाद हरि और हर का मिलन होगा. जानकर की माने तो इसी दिन बैद्यनाथ की स्थापना के रूप में मनाया जाता है. इसके बाद चैत्र रामनवमी को राम जी का जन्म हुआ था. हरि-हर मिलन की यह परंपरा बैद्यनाथ धाम के अलावा किसी अन्य द्वादश ज्योतिर्लिंग में प्रचलित नही है. देवघर में इस अवसर का इंतजार लोगो को बेसब्री से रहता है।परंपरा के अनुसार बैद्यनाथ धाम में हरि-हर मिलन के बाद होली मनायी जाती है.
रिपोर्ट: रितुराज सिन्हा, देवघर