धनबाद(DHANBAD): धनबाद में प्रदूषण की मात्रा रेड जोन में पहुंच गई है. वैसे तो धनबाद प्रदूषित शहरों में शुमार रहा है. यहां तो प्रदूषण के कारण नए उद्योग के खोलने पर भी एक समय ऐसा था जब रोक लग गई थी. फिलहाल वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. धनबाद नगर निगम द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार पांच और 6 जनवरी को धनबाद में ए क्यूआई लेवल 200 से अधिक रहा. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इसे खतरनाक मानता है.
धनबाद में वायु प्रदूषण की स्थिति पर रिपोर्ट जारी
नगर निगम अब तय किया है कि हर हफ्ते शहर में प्रदूषण की स्थिति को लेकर साप्ताहिक वायु गुणवत्ता बुलेटिन निकलेगा. इसमें पिछले एक हफ्ते में धनबाद में वायु प्रदूषण की स्थिति पर रिपोर्ट जारी की जाएगी. इतना ही नहीं, लोगों को प्रदूषण से बचने के उपाय को लेकर भी जागरूकता फैलाई जाएगी. नगर निगम फिलहाल वायु गुणवत्ता सूचकांक संबंधी आंकड़े के लिए शहर के 10 जगह पर वायु गुणवत्ता मॉनिटर लगाया है. लेकिन सिर्फ दो मॉनिटर के आधार पर निगम ने यह रिपोर्ट जारी की है. प्रदूषण की मात्रा एक्यूआई श्रेणी में होती है. यह आंकड़ा 101 से 200 के बीच को मॉडरेट माना जाता है. वहीं 201 से 300 के बीच के आंकड़े को खतरनाक माना गया है .
लोगों को प्रदूषण के खिलाफ किया जा रहा जागरूक
धनबाद कोयलांचल में प्रदूषण का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. झरिया में तो वायु प्रदूषण के खिलाफ जागरूकता अभियान के साथ-साथ आंदोलन भी चलाए जा रहे हैं. लोगों को प्रदूषण के खिलाफ जागरूक किया जा रहा है .बीसीसीएल की आउटसोर्सिंग व्यवस्था और पोखरिया खनन को इसके लिए जिम्मेवार बताया गया है. कोयला उत्पादन में फिलहाल भूमिगत खदानों की भूमिका नगण्य रह गई है. अब पोखरिया खदानों से कोयले का उत्पादन हो रहा है. आउटसोर्सिंग कंपनियां बिना किसी साइंटिफिक तरीके को अख्तियार किए जैसे तैसे कोयले का उत्पादन कर रही है. पिछले दिनों दिशा की बैठक में धनबाद के सांसद पशुपतिनाथ सिंह ने भी प्रदूषण के मामले को उठाया था.उन्होंने कहा था कि जो मानक तय किए गए हैं, उसके अनुसार कोयले की ढुलाई नहीं होती है .कोयला लोड वाहनों को तिरपाल से नहीं ढका जाता है .यह खतरनाक स्थिति है.
वायु प्रदूषण बढ़ने से गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे लोग
वायु प्रदूषण के खिलाफ लगातार आवाज उठते रहे हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं होती. नतीजा है कि धनबाद में वायु प्रदूषण की मात्रा रेड जोन में पहुंच गई है. कोलियरी इलाके हो या शहरी, जहां से भी कोयला लोड वाहन गुजरते हैं, वहां का वायुमंडल धूलकण से भर जाता है. कोयला ढोने वाली कंपनियों को लगातार निर्देश दिया जाता है कि मानक का उपयोग करें .लेकिन ऐसा होता नहीं है. नतीजा सबके सामने है. झरिया में प्रदूषण के खिलाफ काम कर रही संस्था का कहना है कि वायु प्रदूषण का असर खतरनाक ढंग से बढ़ रहा है और अ जन्मे बच्चों पर भी इसका असर पड़ रहा है. वायु प्रदूषण बढ़ने से लोगों की आयु घट रही है. गंभीर बीमारियों की चपेट में लोग आ रहे हैं. नगर निगम की रिपोर्ट जारी करने की पहल की सराहना की जानी चाहिए .कम से कम लोगों को यह तो पता चलेगा कि किस हालत में वह जी रहे हैं. वैसे भी ठंड के सीजन में प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो