धनबाद(DHANBAD): देश की कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल ) पर क्या प्रोडक्शन का दबाव बढ़ गया है? क्या अपने पैतृक संस्था कोल इंडिया लिमिटेड को 44.43 करोड रुपए का लाभांश चेक देने के बाद बीसीसीएल अपने कार्य संस्कृति में बदलाव लाने के प्रयास में है? क्या इसलिए बीसीसीएल ने एक साथ 10 महाप्रबंधकों का स्थानांतरण किया है? यह सब सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि बीसीसीएल ने अपने अस्तित्व काल के बाद पहली बार अपने पैतृक संस्थान कोल इंडिया लिमिटेड को 44.43 करोड रुपए का लाभांश चेक सौंपा है. यह अब तक का इतिहास है. यह अलग बात है कि कोल इंडिया की सभी अनुषंगी इकाइयों में से बीसीसीएल के पास कोकिंग कोल का बड़ा भंडार है. कहा जा रहा है कि कार्य संस्कृति में सुधार और उत्पादन बढ़ाने के लिए कंपनी अब आंतरिक सिस्टम को ठीक करने के प्रयास में है.इसलिए एक साथ 10 महाप्रबंधकों का तबादला किया गया है. तबादला आदेश में यह साफ लिखा गया है कि 15 दिनों में कार्यभार ग्रहण कर ले अन्यथा स्वतः विरमित समझे जाएंगे.
कंपनी कार्य संस्कृति में सुधार को गंभीरता से सोच रही
मतलब आदेश कड़ा है और कंपनी कार्य संस्कृति में सुधार को गंभीरता से सोच रही है. सूत्र बताते है कि लाभांश का भुगतान करने के बाद बीसीसीएल पर कई तरह के दबाव बढ़ गए है. वैसे भी देश में कोयला खनन में कोकिंग कोल के उत्पादन में बीसीसीएल की बड़ी भूमिका है. यह अलग बात है कि बीसीसीएल जब अस्तित्व में आई थी, उस समय प्राइवेट कोलियरी मालिकों से खदान ले ली गई थी. उस समय कंपनी के पास अपने कर्मचारियों की संख्या अधिक थी. लेकिन धीरे-धीरे व्यवस्था बदलती चली गई. फिलहाल बीसीसीएल के कोयला उत्पादन में 80 से 85% तक की भूमिका आउटसोर्सिंग कंपनियों की है. बीसीसीएल की गाड़ी फिलहाल आउटसोर्सिंग कंपनियों के भरोसे चल रही है. यहाँ यह कहना भी गलत नहीं होगा कि देश की कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया का सितारा झारखंड के भरोसे ही चमकता है.
कोल् इंडिया का आधार स्तंभ झारखंड ही है
कहा जाता है कि कोल् इंडिया का आधार स्तंभ झारखंड ही है. झारखंड में तीन-तीन कोयला कंपनियां काम करती है. इनमें बीसीसीएल, सीसीएल और ईसीएल के नाम शामिल है. आंकड़े के मुताबिक कोल इंडिया और सहायक कंपनियां से कोयला खनन के जरिए देश में कुल 141 967.71 करोड़ राजस्व जेनेरेट होता है. इसमें झारखंड की हिस्सेदारी 36, 000 करोड रुपए की है. बीसीसीएल 14,113.31 करोड़ और सीसीएल 16,565.72 करोड़ की हिस्सेदारी रखता है. इसके अलावा ईसीएल के तीन खनन क्षेत्र राजमहल, चितरा और मुगमा झारखंड में है. यहां से भी रेवेन्यू जेनरेट होता है. वैसे, आंकड़े बता रहे हैं कि कोल् इंडिया को सबसे अधिक राजस्व झारखंड से ही मिलता है. कोयला खनन के लिए भी सबसे अधिक जमीन झारखंड में ही मिली हुई है. झारखंड में कोयला खनन के लिए 957 72.687 हैकटेयर जमीन कोयला खनन के लिए अधिग्रहित की गई है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो