रांची(RANCHI): झारखंड के संथाल परगना प्रमंडल में बांग्लादेशी घुसपैठ के दावे को लेकर बवाल मचा हुआ है. भाजपा और इंडी गठबंधन के नेताओं के अपने अपने दावे है. लेकिन इस बीच जब मामला झारखंड हाई कोर्ट पहुंचा तो सभी दावों में कितनी सच्चाई और हकीकत है. यह सामने आना शुरू हो चुका है. झारखंड हाई कोर्ट ने बदलती डेमोग्राफी और घुसपैठ को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. जिसमें केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने कोर्ट में हलफ़नामा दायर किया है. जिसमें बताया है कि कैसे आदिवासियों की संख्या कम हुई और किसी एक समुदाय की कई गुना बढ़ी है.साथ ही बांग्लादेशी घुसपैठ के कोई आकडे मौजूद नहीं होने की बात कही है.
दरअसल झारखंड हाई कोर्ट में संथाल परगना को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई है. जिसमें तथ्य और दावे पेश किए गए है.कोर्ट में कई तारीखों पर इस मामले में सुनवाई हो चुकी है.अब जब 12 तारीख को सुनवाई हुई तो कोर्ट में केंद्र सरकार के गृह विभाग और आधार कार्ड की ओर से हलफ़नामा दायर किया है. इस हलफनामे में कही भी घुसपैठ के आकडे का कोई जिक्र नहीं है. गृह विभाग ने कोर्ट को बताया है कि साथल परगना प्रमंडल में आदिवासियों की संख्या 44 प्रतिशत से घट कर 28 प्रतिशत हो गई है.
इसके पीछे का कारण सिर्फ बांग्लादेशी घुसपैठ नहीं है. खुद केंद्र सरकार ने जिक्र किया है कि आदिवासियों का पलायन और ईसाई धर्म में कन्वर्ट से आबादी घटी है. कोर्ट ने दायर सपथ पत्र में बताया गया है कि ईसाई धर्म है.ईसाई धर्म की संख्या 6748 गुना बढ़ी है. वहीं बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर कोर्ट में बताया गया है कि इसके शिनाख्त के लिए केंद्र के पास उपाय मौजूद है. बांग्लादेशी की पहचान और वापस भेजने के लिए NRC की जरूरत पड़ेगी. मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी. जिसमें केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पक्ष रखेंगे. बता दे कि पिछले 05 सितंबर को हुई सुनवाई में झारखंड सरकार की ओर से सपथ पत्र दाखिल कर बताया गया कि घुसपैठ का कोई मामला संथाल परगना प्रमंडल में नहीं है. इस शपथ पत्र पर कोर्ट ने नाराजगी भी जताया था.
अब केंद्र और राज्य सरकार के शपथ पत्र दाखिल करने के बाद कोर्ट पूरे दस्तावेजों की समीक्षा कर रही है. साथ ही इस घुसपैठ और डेमोग्राफी बदलने के मामले में कमिटी बनाने का आदेश दिया जा सकता है. जिससे संथाल परगना की वास्तविक हालत के बारे में सभी चीजें साफ होगी. अगर कमिटी बनती है और फिर बंगलदेशी को शिनाख्त करने के लिए NRC को लागू किया जा सकता है. अगर ऐसा होता है तो झारखंड सरकार के उन अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो सकती है. जिन्होंने सपथ पत्र के जरिए घुसपैठ के एक भी मामला नहीं होने का दावा किया था.
बांग्लादेशी घुसपैठ के जरिए तमाम दावों की सच्चाई nrc से ही खुलेगी. अब जब 17 सितंबर को इस मामले में सुनवाई होगी उसके बाद कोर्ट निर्णय लेगा की आखिर इस पूरे मामले को लेकर क्या हो सकता है. देखे तो अगर बंगलदेशी घुसपैठ का मामला कोई राजनीतिक या मुद्दा नहीं है बल्कि यह देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है. किसी भी देश या राज्य में फर्जी तरीके से घुसपैठ होती है और इसपर रोक थाम नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में भयावह रूप ले सकता है. स्थानीय संस्कृति और भौगोलिक हालत के लिए खतरा बन जाता है.