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बाघमारा कांड : तारीखों के आईने में पढ़िए गोलीबारी से लेकर गिरफ्तारी तक की ताज्जुब करने वाली पूरी कहानी 

बाघमारा कांड : तारीखों के आईने में पढ़िए गोलीबारी से लेकर गिरफ्तारी तक की ताज्जुब करने वाली पूरी कहानी 

धनबाद (DHANBAD) : तारीखों के आईने में अगर बाघमारा कांड को देखा जाए तो 9 जनवरी को गोलीबारी, बमबारी से शुरू हुआ पुलिस एक्शन 15 तारीख की रात को तब जाकर थोड़ा ढीला पड़ा, जब घटना का किंगपिन कारू यादव पुलिस की गिरफ्त में आ गया. हालांकि पुलिस का एक्शन अभी भी जारी है. घटना का "किंगपिन' देवेंद्र यादव कैसे कारू यादव बन गया? कैसे आशाकोठी में उसका खुद का राज स्थापित हो गया? कैसे कोयला चोरी में इलाके का वह "किंग" बन गया?उसकी पहुंच कहां तक हो गई ? यह अलग कहानी है. दरअसल 9 जनवरी को 12 से 12:30 बजे के बीच खरखरी जंगल में हिल टॉप राइजिंग आउटसोर्सिंग कंपनी के लिए चारदीवारी का निर्माण शुरू होते ही गोलीबारी शुरू हो गई थी. एक  को गोली लग गई, कई लोग घायल होकर अस्पताल पहुंच गए. उसी दिन सांसद कार्यालय को फूंक दिया गया. आरोप कारू यादव के समर्थको पर लगा.  

कारू  यादव के मार्केट काम्प्लेक्स पहुंची पुलिस तो हुआ पथराव 

उसके बाद पुलिस सक्रिय हुई और उसी दिन दो से तीन बजे के बीच डीएसपी के नेतृत्व में पुलिस टीम कारू  यादव के मार्केट कांप्लेक्स में छापामारी को पहुंची. पुलिस को सूचना थी कि कई लोग मार्केट कांप्लेक्स में छुपे हुए है. डीएसपी के नेतृत्व में पहुंची टीम जैसे ही मार्केट परिसर पहुंची, यह सूचना कारू यादव को मिली तो वह भी मार्केट कंपलेक्स पहुंच गया. पुलिस ने जब का रू यादव को हिरासत में लिया तो पत्थरबाजी शुरू हो गई और डीएसपी घायल हो गए. डीएसपी के घायल होने के बाद कारू यादव फरार हो गया.  प्रारंभिक उपचार के बाद डीएसपी को धनबाद के अशर्फी अस्पताल लाया गया. उसके बाद उन्हें दुर्गापुर रेफर कर दिया गया. इस घटना की सूचना जंगल की आग की तरह फ़ैली. फिर तो पुलिस महकमे में अफरातफरी मच गई. उत्तरी छोटा नागपुर रेंज के पुलिस अधिकारी धनबाद पहुंचे. नौ जनवरी की रात में ही  उच्च स्तरीय बैठक हुई. फिर रणनीति तय की गई. दस जनवरी की सुबह से पुलिस रेस हो गई. 

दस जनवरी की सुबह से पुलिस हो गई रेस  

दस जनवरी को आईजी ने घटनास्थल और सांसद कार्यालय का निरीक्षण किया. उसके अगले दो दिन आईजी और डीआईजी धनबाद में कैंप करते रहे. 11 जनवरी को दो थानेदार ससपेंड किये गए. फिर एक और को निलंबित किया गया. उनपर लापरवाही का आरोप लगा. आईजी के नेतृत्व में खरखरी और आशाकोठी में छापेमारी भी हुई. पुलिस ने इस मामले में सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी के खिलाफ एफआईआर की. आउटसोर्सिंग कंपनी हिल टॉप राइजिंग आउटसोर्सिंग के मालिक के खिलाफ भी एफआईआर हुई. तो बीसीसीएल के गोविंदपुर एरिया के महाप्रबंधक के खिलाफ भी मुक़दमा दर्ज कर पुलिस ताबड़तोड़ छापेमारी करने लगी. आकाश कोठी में पुलिस को कोयले का भारी भंडार मिला. जो अवैध खनन के बाद जमा किया गया था. इन कोयले को ढोने  में बीसीसीएल के हाईवा भी हांफने  लगे. उसके बाद पुलिस ने 13 जनवरी को आशाकोठी जमीन की माफी शुरू कराई. इसी दिन एसएसपी के नेतृत्व में सर्च अभियान चलाया गया.   

 पुलिस लगातार आशाकोठी में छापेमारी करने लगी 
 
पुलिस की छापेमारी होने लगी तो आशाकोठी के सभी पूरी सदस्य घर छोड़कर निकल गए सिर्फ महिलाएं थी. आशाकोठी के एक-दो घरों से बम और हथियार भी पुलिस ने बरामद किया.  उसके बाद तो पुलिस जब आशाकोठी जाती तो या तो घर के दरवाजे बंद रहते या फिर दरवाजे पर कुंडी लगाकर लोग हट जाते थे. उसके बाद पुलिस ने प्लान  तैयार किया और कारू यादव की  गिरफ्तारी की कार्रवाई शुरू की. आशा कोठी में बिहार के जमुई के लोग आकर अपना कारोबार करते है. कई खटाल हैं, कहा जाता है कि आशा कोठी को आबाद करने में कारू यादव की बड़ी भूमिका है और इन्हीं के बदौलत कारू यादव इलाके में दबंगई करता था. अब पुलिस के सामने कारू यादव को पकड़ना एक बड़ी चुनौती थी. पुलिस ने 30 टीम का गठन किया और छापेमारी शुरू की. कारू यादव कहां छुपा है, यह जानना पुलिस के लिए मुश्किल था. फिर एक योजना  के तहत कारू यादव के संबंधियों को पुलिस ने हिरासत में लिया और ठिकाना जानने की कोशिश करती रही. सूत्र बताते हैं कि उन्हें साथ लेकर झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, बंगाल में कारू यादव के संबंधियों का घर खंगालने लगी.  

15 जनवरी को धनबाद पुलिस को मिली बड़ी सफलता 
 
लेकिन कारू यादव नहीं मिल रहा था. आखिरकार 15 जनवरी की रात को पुलिस को सफलता मिली. कारू यादव को जमुई से गिरफ्तार कर लिया गया. रातों-रात लेकर कारू यादव को पुलिस धनबाद पहुंच गई. 15 जनवरी को ही ग्रामीण एसपी ने पीसी कर बताया था कि कारू यादव जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा और उसी दिन वह हो भी गया. इधर, सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी के खिलाफ एफआईआर से आजसू आंदोलन की राह पकड़ लिया है. बीसीसीएल के महाप्रबंधक के खिलाफ मुकदमे  से कोयला अधिकारी भी नाराज है. पुलिस ने अब तक इस मामले में नौ  मुकदमे दर्ज किए है. जिन में आर्म्स एक्ट का मुकदमा भी शामिल है. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि पहली बार बाघमारा के दबगों में  में पुलिस का भय  दिखा. अब देखना यह होगा कि बाघमारा में का रू यादव के जेल जाने के बाद आगे आगे होता है क्या---

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो 

Published at:16 Jan 2025 01:14 PM (IST)
Tags:DhanbadBaghmaraPoliceBiharRaid
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