धनबाद(DHANBAD) | पेसा क़ानून को लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री पर फिर एक बार हमला बोला है. रविवार को सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर कहा है कि जैसे ही विधानसभा सत्र शुरू होता है, पेसा क़ानून लागू करने का सवाल सुनकर @HemantSorenJMM जी को ठंड के मौसम में भी पसीना छूटने लगता है. फिर नया नाटक शुरू होता है - लाग-लपेट का, कि मंत्रालय ने ड्राफ्ट बना दिया है, मुख्यमंत्री को भेजा गया है, कैबिनेट की बैठक होगी, इत्यादि,ड्राफ्ट तो पहले भी बन चुका है, 2023 में भी और 2019 में भी.
झारखंड की जनता को भ्रमित करने का यह तरीका अब पुराना हो चुका है. हेमंत जी ने सोचा होगा कि चुनाव जीतने के लिए पेसा लागू करने का वादा कर देंगे और फिर अपनी मर्ज़ी से माफिया को बालू के टेंडर देकर रिश्वत का स्थायी इंतज़ाम कर लेंगे. लेकिन भाजपा यह होने नहीं देगी, हमने लगातार पेसा नियमावली को लागू करवाने के लिए मुद्दा उठाया है. ग्रामीणों का हक किसी माफिया और मुख्यमंत्री की जेब में नहीं जाएगा, यह सुनिश्चित करने के लिए जनता ने हमें विपक्ष की जिम्मेदारी दी है. इस INDI गठबंधन की सरकार को लगता है कि जिस प्रकार वे केंद्र सरकार में केवल नकारात्मक भूमिका निभा रहे हैं, वही विपक्ष का काम है.
कभी संविधान खोलकर देखेंगे, तब कर्तव्यबोध होगा, केवल किताब लेकर तस्वीर खिंचवाने से नहीं. Unlike the opposition in centre, हम हंगामा करना नहीं, जनता के हित में कार्य करने को अपना लक्ष्य मानते है. यही विचारधारा केंद्र में भाजपा को लगातार तीन बार सरकार बनाने में सफल हुई है. अब राज्य सरकार को हाईकोर्ट के आदेश और विधानसभा में विपक्ष को जवाब देना ही होगा. आखिर कितने में सौदा किया है, हेमंत सरकार ने ग्रामीणों और आदिवासियों के हक़ का?इधर ,हेमंत सोरेन सरकार ने सोमवार यानी 8 दिसंबर को कैबिनेट की बैठक बुलायी है. संभावना जताई जा रही है कि हेमंत सरकार पेसा कानून से संबंधित बड़ा प्रस्ताव ला सकती है. दरअसल पंचायती राज विभाग ने नियमावली का ड्राफ्ट तैयार कर कैबिनेट विभाग को भेज दिया था. अब कैबिनेट विभाग ने यह फ़ाइल अंतिम मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भेज दी है.
मुख्यमंत्री की सहमति मिलते ही इसे राज्य कैबिनेट की बैठक में पेश किया जाएगा. सोमवार दोपहर दो बजे होने वाली कैबिनेट बैठक में यह प्रस्ताव लाया जा सकता है. मंजूरी मिलते ही झारखंड में पेसा नियमावली लागू हो जाएगी.झारखंड हाईकोर्ट ने पहले ही सरकार को पेसा नियमावली जल्द लागू करने का निर्देश दिया था. नियमावली लागू न होने के कारण कई प्रशासनिक काम प्रभावित हो रहे हैं. खासकर बालू घाटों का संचालन फिलहाल रुका हुआ है. राज्य के 18 जिलों में बालू घाटों की नीलामी पूरी हो चुकी है, लेकिन नियमावली लागू न होने से निकासी पर रोक बनी हुई है. सूत्रों के अनुसार सरकार शीतकालीन विधानसभा सत्र से पहले ही पेसा नियमावली लागू करना चाहती है. ताकि विपक्ष के सवालों का जवाब दिया जा सके.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
