रांची(RANCHI): झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने यह लगभग साफ कर दिया है कि बाबूलाल मंराडी को नेता विपक्ष की कुर्सी नहीं मिलने जा रही है, उन्होंने कहा है कि जल्द ही बाबूलाल मरांडी के खिलाफ दायर याचिका पर वह अपना फैसला सुनायेंगे, लगे हाथ भाजपा को विधान सभा के अन्दर अपना दूसरा नेता चुनने की भी सलाह दी है. विधानसभा अध्यक्ष के इस बयान के बाद साफ है कि बाबूलाल मरांडी को नेता विपक्ष की कुर्सी नहीं मिलने जा रही है.
फरवरी 2020 में बाबूलाल ने अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का भाजपा में किया था विलय
यहां बता दें कि बाबूलाल मरांडी ने अपने दो विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को निलंबित करने के बाद फरवरी 2020 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) पार्टी का भाजपा में विलय कर दिया था, लेकिन प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के द्वारा इस विलय को नकार दिया गया और दोनों ने दावा किया कि उनकी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) पार्टी का विलय कांग्रेस के साथ हुआ है, और बाबूलाल मरांडी के द्वारा भाजपा में विलय का कानून संगत नहीं है. जिसके बाद मरांडी की ओर से झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) पार्टी के दोनों विधायकों प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के खिलाफ अयोग्य ठहराने की याचिका दायर की गयी.
न्यायाधिकरण की कार्यवाही को हाईकोर्ट में दी गयी थी चुनौती
हालांकि इस बीच एक अन्य मामले में बंधु तिर्की की विधायकी चली गयी, लेकिन प्रदीप यादव के खिलाफ अभी भी स्पीकर ट्रिब्यूनल में सुनवाई चल रही है. इस प्रकार न्यायाधिकरण के पास दल-बदल विरोधी याचिका लंबित होने के कारण बाबूलाल मरांडी नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं दिया जा सका. 30 अगस्त को इस मामले में सुनवाई भी पूरी हो गयी थी, लेकिन इस बीच बाबूलाल मरांडी के द्वारा हाईकोर्ट में न्यायाधिकरण की पूरी कार्यवाही को चुनौती दे दी गयी, जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष के द्वारा इस मामले की सुनवाई रोक दी गयी, अब जब कि हाईकोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है, विधानसभा अध्यक्ष ने कहा है कि अब न्यायाधिकरण अपनी आगे की कार्रवाई करेगी.
हाईकोर्ट से इंकार बाबूलाल के लिए झटका
साफ है कि हाईकोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप से इंकार कर बाबूलाल को झटका दिया है, वहीं विधान सभा अध्यक्ष ने भाजपा को अपना दूसरा नेता चुनने की बात कह पूरी तस्वीर साफ कर दी. लेकिन भाजपा के सामने परेशानी यह है कि बाबूलाल के बाद वह विधानसभा में अपना नेता किसे चुने?
आदिवासी-मूलवासी का कार्ड खेल भाजपा को बचाव की मुद्रा में खड़ी कर चुकी है झामुमो
राज्य की हेमंत सरकार 1932 का खतियान, सरना धर्म कोड, पिछड़ों का आरक्षण में विस्तार का कार्ड खेल कर भाजपा को आदिवासी मूलवासी विरोधी साबित करने पर तुली है, साथ ही बड़े ही आक्रमक तरीके से भाजपा एक एक सांसद और विधायकों का नाम लेकर यह बता रही है कि इनका बिहार और यूपी कनेक्शन क्या है? साफ है कि झामुमो की कोशिश भाजपा को गैर झारखंडी पार्टी सिद्ध करने की है.
भाजपा के पास बाबूलाल के सिवा कोई दूसरा बड़ा आदिवासी चेहरा नहीं
भाजपा की मुश्किल यह है कि उसके पास हेमंत सोरेन के कद का कोई राज्य में कोई आदिवासी चेहरा नहीं है. और वर्तमान परिस्थिति में किसी बिहारी या यूपी पृष्ठभूमि के नेता को नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर बैठाना हेमंत के हाथों खेलना होगा.
इस परिस्थिति में माना यह जाता है कि भाजपा की ओर से यह रणनीति बनायी जा सकती है कि वह अभी से ही बाबूलाल मरांडी को सीएम का चेहरा घोषित कर दें और नेता विपक्ष की कुर्सी पर किसी सामान्य वर्ग से आने वाले व्यक्ति को बिठा दे.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार