धनबाद(DHANBAD): धनबाद की झरिया,कभी इस शहर की तूती बोलती थी. हालांकि अब तो इसकी हनक ढलान पर है. सरकार और जनप्रतिनिधि इस शहर के "खून" को चूस कर अब परित्याग करने की तैयारी में है. लेकिन अभी भी झरिया शहर में एक बड़ी आबादी इसी प्रदूषित शहर के भरोसे जी रही है. यहां प्रदूषण की बड़ी समस्या है. जब से बीसीसीएल में आउटसोर्सिंग प्रथा लागू हुई है, तब से पर्यावरण को खतरा अधिक हो गया है. लोग कहते हैं कि झरिया के लोग अपनी आयु से 10 साल कम जी रहे है. कहीं से कोई आवाज नहीं उठ रही है. लेकिन ग्रीन लाइफ, झरिया एवं यूथ कॉन्सेप्ट लगातार प्रदूषण के खिलाफ लोगों को जागृत करने में लगे है. कुछ ना कुछ कार्यक्रम करते रहते है.
बीसीसीएल में आउटसोर्सिंग प्रथा ने बढ़ा दी है परेशानी
बीसीसीएल हो, जिला प्रशासन हो या सरकार के बड़े-बड़े मुलाजिम , सभी जगह पर शहर की फरियाद पहुँचाते हैं और बताते हैं कि अब तो झरिया की आबो हवा को बचा लीजिये हुजूर! अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस के मौके पर गुरुवार को ग्रीन लाइफ झरिया एवं यूथ कॉन्सेप्ट ने झरिया इंदिरा चौक पर हस्ताक्षर अभियान चलाया. बड़ी संख्या में लोगों ने प्राण वायु की गुणवत्ता में सुधार के समर्थन में हस्ताक्षर किये. ग्रीन लाइफ के संयोजक डॉक्टर मनोज सिंह ने कहा कि हवा में धूलकण की सामान्य मानक 50 से 100 है लेकिन कोयलांचल का एयर क्वालिटी इंडेक्स 200 से 300 पर पहुंच गया है. अगर यही हाल रहा तो कोरोना की बात कौन कहे, सामान्य दिनों में भी वायु के लिए संघर्ष करना पड़ेगा. यूथ कॉन्सेप्ट के अखलाक अहमद का कहना था कि उन लोगों का संघर्ष जारी है और आखिरी सांस तक लड़ाई जारी रहेगी.
झरिया, कतरास, बाघमारा, निरसा में तो पर्यावरण का हाल बेहाल है
यह बात सही है कि भले ही अभी जो वायु स्वच्छता का इंडेक्स जारी हुआ है, उसमें रांची और जमशेदपुर से अधिक स्वच्छ हवा धनबाद की बताई गई है. लेकिन यह चुनिंदा शहरों की ही हो सकती है. झरिया, कतरास, बाघमारा , निरसा में तो पर्यावरण का हाल बेहाल है. कोयलांचल में तो घर घर तो दम्मा के मरीज है. जहरीली गैस के बीच लोग रह रहे हैं लेकिन उनके पुनर्वास अथवा स्वच्छ जीवन की कोई व्यवस्था नहीं हो रही है. यहां के जनप्रतिनिधि भी "अपनी डफली अपना राग " ही अलापते है. इलाके की उन्हें तभी चिंता होती है, जब चुनाव का वक्त आता है अथवा पार्टी की केंद्रीय कमेटी कोई निर्देश जारी करती है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो