धनबाद(DHANBAD): 2024 के विधानसभा चुनाव में झरिया, बाघमारा प्रत्याशियों की कड़ी परीक्षा लेंगे. झरिया की बड़ी हड्डियां तो बाघमारा की खोखली जमीन प्रत्याशियों से पूछेगी कि आखिर हमलोगो का कसूर क्या है. हमारे इस हाल के लिए जिम्मेवार कौन है. आखिर क्यों किस्तों में हमे मारा जा रहा है. बरसात सिर पर है. कुछ घंटों में मानसून का प्रवेश होगा. ऐसे में झरिया और आसपास के इलाकों में धसान की घटनाएं बढ़ेगी.विस्थापन का मुद्दा तेज होगा. वैसे बिजली संकट को लेकर अभी भी झरिया त्राहि त्राहि कर रही है.बाघमारा भी परेशानी झेल रहा है.
इधर, जानकारी मिली है कि झरिया पुनर्वास योजना के लिए संशोधित मास्टर प्लान को एक महीने के भीतर मंजूरी मिलने की उम्मीद है. गुरुवार को कोयला सचिव ने पुनर्वास योजना की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए समीक्षा की. और यह संकेत निकलकर आए कि एक महीने के भीतर संशोधित मास्टर प्लान को मंजूरी मिल सकती है. सूत्रों के अनुसार कोयला सचिव ने बीसीसीएल और जरेडा को कहा कि पुनर्वास संबंधी कागजात तैयार करें. संशोधित मास्टर प्लान को कैबिनेट से बहुत जल्द जुलाई के पहले या दूसरे सप्ताह में स्वीकृति मिल सकती है. सचिन ने रैयतो के विस्थापन एवं पुनर्वास को लेकर अधिक चर्चा की. रैयतों से जुड़े सभी डाटा तैयार रखने को कहा गया है.
मानसून सीजन में भूमिगत आग प्रभावित क्षेत्र की परेशानियो सहित अन्य मुद्दों पर सचिव ने बातचीत की. संशोधित मास्टर प्लान के तहत कुल 1.04 लाख भूमिगत आग क्षेत्र में रहने वाले परिवारों को पुनर्वासित किया जाना है .इनमें करीब 32000 रैयत और 72000 गैर रैयत है. रैयतों के पुनर्वास के पहले आर्थिक पैकेज तैयार कर लिया गया है .संशोधित मास्टर प्लान की स्वीकृति मिलने के बाद इसे लागू करना है. अब संशोधित प्लान के पैकेज से रैयत खुश होते हैं या नहीं, यह देखने वाली बात होगी. फिलहाल संशोधित प्लान के आर्थिक पैकेज की आधिकारिक जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है.
वैसे भी मानसून कोयलांचल के लिए परेशानी लेकर आता है. भूमिगत आग वाले क्षेत्र में धसान की घटनाएं बढ़ जाती है. अब तो मानसून ही नही अन्य सीजन में भी घटनाएं हो रही है. मानसून सीजन के तुरंत बाद झारखंड में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं. चुनाव नवंबर या दिसंबर में होने की संभावना है .ऐसे में मानसून के सीजन में धसान की घटनाएं बढ़ेगी, लोग प्रभावित होंगे. फिर वोट मांगने जाने वाले प्रत्याशियों से सवाल करेंगे कि आखिर उनको इस हाल पर क्यों छोड़ दिया गया है. यह सवाल सिर्फ झरिया ही नहीं, बल्कि बाघमारा विधानसभा के लोग भी पूछेंगे. यह भी पूछेंगे कि अवैध उत्खनन कर बाघमारा क्षेत्र की धरती को खोखला क्यों कर दिया गया है. वैसे भी कहा जाता है कि बाघमारा का कतरास शहर पिलर पर टिका हुआ है. धनबाद विधानसभा का पुटकी इलाका भी अग्नि प्रभावित क्षेत्र है .यहां से भी सवाल उठ सकते हैं.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो