रांची(RANCHI): झारखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है. सभी दल के नेता अपनी अपनी दावेदारी कर रहे है. लेकिन अंतिम निर्णय आलाकमान को लेना है. किस पर भरोसा जताया जाएगा. इसी में बात करें तो झारखंड अलग अलग राज्य की लड़ाई लड़ने वाले कई आंदोलनकारी भी विधानसभा चुनाव की तैयारी में है. लंबा सघर्ष और बलिदान के 24 साल के बाद अब एक आवाज उठ रही है की आंदोलनकारी को विधानसभा तक भेजना है. जिससे उनके क्षेत्र के जटिल मुद्दों को खत्म किया जा सके.इसमें हम बात पोड़ैयाहाट विधानसभा की करेंगे.
दरअसल गोड्डा जिले में पोड़ैयाहाट विधानसभा पड़ता है. सभी विधानसभा क्षेत्र के जैसा यहाँ भी माहौल चुनावी हो गया है. नेता जी जनता के बीच फिर से लोक लुभावने वादे लेकर पहुंचना शुरू हो चुके है.जनता भी सभी नेताओं के भाषण और वादों को मिला कर देख रही है. आखिर जो सपना झारखंड गठन के समय देखा गया था वह कितना पूरा हुआ है. आखिर कहाँ चूक हो रही है कि उनके मुद्दे गौण हो जाते है. इसपर भी मंथन का दौर जारी है. आखिर विकल्प क्या हो सकता यही. कौन क्षेत्र का विकास करेगा।
इन सवालों का जवाब तलाशने गोड्डा के पोड़ैयाहाट विधानसभा के कई लोगों से बात की. कई लोगों ने वर्तमान विधायक प्रदीप यादव के काम की सराहना की.लोगों का कहना है कि प्रदीप यादव बेबाकी से सभी मुद्दों को उठाते है. यही वजह है कि लगातार पाँच बार से जनता विधानसभा भेजने का काम करती है. लेकिन कुछ और लोगों से बात की जो बुजुर्ग थे उनका मानना था की झारखंड आंदोलन के समय जो सपना देखा गया था वह अभी बहुत पीछे रह गया है.आदिवासी मूलवासी की आवाज इस भीड़ में गुम हो जाते है. यहाँ के माटी के लाल बाहर जाने को मजबूर रहते है.
ऐसे में किसी आंदोलनकारी को इस बार मैदान में उतरने की जरूरत है. श्याम किशोर ने बताया कि झारखंड हमें लंबे संघर्ष के जरिए मिला है. लेकिन अभी भी बाहरी लोगों का वर्चस्व कायम है. जो सपना गुरुजी ने देखा था वह पीछे है. झारखंड के बच्चों को आज भी अच्छी पढ़ाई नहीं हो पाती है.10 वीं 12 वीं के बाद युवा रोजगार की तलाश में पलायन करने को मजबूर हो जाते है. अब कोई आंदोलनकारी ही क्षेत्र को आगे लेकर जा सकता है. साथ ही उन्होंने बताया कि झारखंड आंदोलन के समय से सामाजिक कार्य में सक्रिय प्रेम नंदन कुमार को इस बार विधानसभा भेजने की तैयारी है.
अब यह भी जान लीजिए की प्रेम नंदन कुमार कौन है. जिनकी चर्चा आज कल विधानसभा क्षेत्र में जारी है. दरअसल यह किसी दूसरे दल के नहीं है. झारखंड मुक्ति मोर्चा में सक्रिय भूमिका में है. इनके सघर्ष का लंबा इतिहास है. साथ ही सबसे अच्छी बात है कि यह प्रोफेसर है. 1993 से लगातार सूरज मण्डल कॉलेज में प्राचार्य के पद पर सेवा दे रहे है. साथ ही 1988 से 1992 तक शिकारिपाड़ा महाविद्यालय दुमका में अर्थ शास्त्र विभाग के व्ययखाता के रूप में सेवा दे चुके है. अपने काम के साथ साथ वह आंदोलन में भी सक्रिय रहे है.
1980 के समय छात्रों के आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया. एक युवा के रूप में छात्र आंदोलन में छात्रों से जुड़े विभिन्न मुद्दों को उठाया. एक समय था जब 20 अप्रैल 1980 को प्रेम नंदन को जेल भी जाना पड़ा था. लेकिन फिर जमानत पर बाहर और और आंदोलन को रुकने नहीं दिया. विभिन्न मांगों को लेकर आवाज उठाते रहे. बाद में 1982 में झारखंड मुक्ति मोर्चा का दामन थाम लिया. शिबू सोरेन भी इनके तेवर को देख कर काफी खुश रहते थे. यही वजह है कि गुरुजी ने खुद प्रेम नंदन को पार्टी में शामिल कराया था. बाद में इनकी सक्रियता को देख कर 1990 में गोड्डा का जिला सचिव बना दिया गया. प्रेम नन्द न के पास अब एक मजबूत संगठन का साथ था.जिसकी विचार धारा भी सेम थी.झामुमो का साथ मिलने के बाद और भी आक्रामक दिखने लगे.
जब झारखंड अलग राज्य की लड़ाई लड़ी जा रही थी उसमें अग्रणी भूमिका में आगे दिखते थे. यही वजह है कि आंदोलन के समय 1992 में फिर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. और भागलपुर कैम्प जेल में करीब एक माह से अधिक रखा गया. गिरफ़्तारी और जेल के बाद भी आंदोलन में कोई कमी नहीं आई. फिर प्रेम बाहर आए और प्रदर्शन जारी रखा. यही वजह है कि 1996 में गुरुजी ने गोड्डा जिले की जिम्मेवारी इनके कंधे पर दे दिया. जिला अध्यक्ष बनाया गया.
इसके बाद अब जब राज्य अलग मिल गया जिसकी लड़ाई झामुमो और अन्य संगठन साथ मिल कर लड़ रही थी. तब पहले विधानसभा चुनाव में ही झामुमो ने गोड्डा से टिकट दे कर चुनावी मैदान में उतार दिया. हालांकि इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद 2004 में जिला अध्यक्ष रहते हुए केन्द्रीय सचिव बना दिया गया. इससे इनके कद का अंदाजा लगाया जा सकता है. जिसके बाद 2005 के विधानसभा चुनाव में झामुमो फिर से इनपर भरोसा दिखाया. कड़ी टक्कर में प्रेम तीसरे स्थान तक ही पहुँच सके. इसके बाद 2009 से 2013 तक गोड्डा की कमान इनके हाथ में रही है.
झामुमो में कुछ वजहों से प्रेम नंदन का मोह भंग हो गया और 2014 में भाजपा में शामिल हो गए. भाजपा में शामिल होने के बाद भी कई आंदोलन और जनहित के मुद्दे पर बेबाकी से सवाल उठाते रहे. भाजपा की सरकार में कई समस्या का निदान भी कराया. लेकिन फिर वापस से प्रेम नंदन 2023 में झामुमो में शामिल हो गए.जिसके बाद से अब तक वह झामुमो में ही है. साथ ही सभी कार्यक्रम और अन्य गतिविधि में सक्रिय दिखते है. अगर बात प्रेम नंदन की करें तो इनका एक सपना है कि झारखंड शिक्षा में आगे रहे. हर लोगों को शिक्षा का अधिकार है. जिससे ही राज्य आगे बढ़ सकता है. शिक्षा के क्षेत्र में भी इन्होंने कई काम किए है. सन 2000 में नव प्रभात मिशन स्कूल की स्थापना कर गरीब आदिवासी के बच्चों को अच्छी शिक्षा से जोड़ने का काम किया.
जब झारखंड में आंदोलनकारियों को सम्मान दिया जा रहा था तब गोड्डा से पहली पंक्ति में इन्हे देखा गया. झारखंड सरकार ने आंदोलनकारी सम्मान से नवाज कर उनका सम्मान किया है. अब जब फिर चुनाव नजदीक है तो ऐसे में झारखंड में आदिवासी मूलवासी के मुद्दे पर चुनाव लड़ने वाली झामुमो प्रेम पर भरोसा दिखाती है तो एक अलग परिणाम देखने को मिल सकता है. हालांकि अभी गठबंधन के ही विधायक प्रदीप यादव पोड़ैयाहाट से लगातार विधायक है. लेकिन झामुमो ने जिस तरह से पिछले चुनाव में अपना उम्मीदवार इस सीट पर दिया था तो फिर से मांग है कि एक आंदोलनकारी को सम्मान देने का काम किया जाए. जिससे सीट झामुमो के झोली में जाए.