धनबाद(DHANBAD) : निरसा विधानसभा से भाजपा की अपर्णा सेन गुप्ता 43 % वोट लाकर विजई हुई थी. तो सिंदरी विधानसभा से भाजपा के इंद्रजीत महतो 35.9% वोट लाकर चुनाव जीते थे. बगोदर से भाकपा माले के उम्मीदवार विनोद सिंह 47% वोट लाकर जीते थे. जबकि धनवार विधानसभा से बाबूलाल मरांडी झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर 27.9% वोट लाकर चुनाव जीते थे. धनवार में भी भाकपा माले की पकड़ मजबूत रही है. इसकी चर्चा आज इसलिए हो रही है कि मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस ) का भाकपा (माले ) में विलय हो गया है. इस विलय से प्रदेश की 81 सीटों पर इंडिया ब्लॉक के समक्ष सीटों के बंटवारे को लेकर परेशानी आ सकती है. दोनों पार्टियों के विलय की घोषणा के बाद 17 संभावित सीटों पर उम्मीदवारी का दावा किया गया है.
सीटों के नाम को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है
सीटों के नाम को तो अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन सबसे मजबूत दावेदारी एकीकृत वाम दल की सिंदरी, निरसा, बगोदर तथा धनवार सीट हो सकती है. यह चारों सीट ऐसी है, जहां 2019 के चुनाव में एकीकृत वाम दल वाले मजबूत स्थिति में थे. दोनों दलों का वोट प्रतिशत भी अच्छा था बगोदर सीट पर भाकपा माले को जीत मिली थी. 2019 के चुनाव में भाकपा (माले) और मार्क्सवादी समन्वय समिति महागठबंधन का हिस्सा नहीं थे. निरसा सीट से मासस के अरूप चटर्जी चुनाव लड़ते रहे हैं, तो सिंदरी से मासस के आनंद महतो चुनाव लड़कर विधायक बन चुके है. बगोदर विधानसभा से विनोद सिंह अभी फिलहाल विधायक हैं, जबकि धनवार विधानसभा से भाकपा (माले ) के राजकुमार यादव चुनाव लड़ते रहे है. विलय के बाद कम से कम झारखंड के चार विधानसभा क्षेत्र में उम्मीदवारों का भविष्य क्या होगा, इसको लेकर चर्चा तेज हो गई है इन चार सीटों में सिंदरी, निरसा, बगोदर और राजधनवार सीट शामिल है. यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि भाकपा माले गठबंधन में शामिल है. ऐसे में विधानसभा चुनाव भी गठबंधन में ही लड़ा जाएगा.
धनबाद के नेता भी हो सकते है प्रभावित
फिर धनबाद के कम से कम दो नेताओं का भविष्य किधर जाएगा, सिंदरी से अगर कोई झामुमो का उम्मीदवार बनना चाहता है, तो उसका क्या होगा. यह सवाल उठने लगे है. निरसा से मासस की टिकट पर अरूप चटर्जी चुनाव लड़ते रहे हैं तो झारखंड मुक्ति मोर्चा की टिकट पर अशोक मंडल चुनाव लड़ते रहे है. ऐसे में अगर गठबंधन होगा तो किसी एक को ही निरसा विधानसभा से लड़ना पड़ेगा. टिकट अरूप चटर्जी को मिलेगा या अशोक मंडल को, यह तो भविष्य की बात है. इसी तरह अगर सिंदरी की बात की जाए तो मासस की ओर से आनंद बाबू चुनाव लड़ते रहे हैं, तो झारखंड मुक्ति मोर्चा के उम्मीदवार भी यहां चुनाव लड़ते रहे है. पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा छोड़ झामुमो में गए पूर्व विधायक फुलचंद मंडल ने चुनाव लड़ा था. ऐसे में गठबंधन होगा तो कोई एक ही व्यक्ति लड़ सकता है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो