धनबाद(DHANBAD) | झरिया में प्रदूषण के खिलाफ अब लोग गोलबंद होने लगे है. झरिया की हालत ऐसी हो गई है कि 24 घंटे, 365 दिन धूल की वर्षा होती रहती है. बीसीसीएल के खिलाफ भी लोगों में आक्रोश है. इधर, शनिवार को ग्रीन लाइफ, झरिया एवं यूथ कॉन्सेप्ट के तत्वावधान में झरिया में प्रदूषण के खिलाफ जुलूस निकाला गया था. आज गांधी गांधी जयंती के मौके पर बारिश में भी झरिया चिल्ड्रेन पार्क में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने मौन धरना दिया गया. धरना के दौरान बारिश होती रही लेकिन लोग धरना में बने रहे.
पूर्व सांसद भी पहुंचे धरना में
इस दौरान धनबाद के पूर्व सांसद चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे भी पहुंचे और धरनार्थियों से मिलकर उनका हौसला बढ़ाया. उन्होंने कहा कि झरिया में वायु प्रदूषण चरम पर है और अब यह मुख्य समस्या बन गई है. इस पर रोक लगनी चाहिए. उन्होंने भरोसा दिया कि प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में वह हमेशा साथ है. डॉक्टर मनोज सिंह ने कहा कि झरिया में धूलकण की बारिश होती है, जिसके कारण लोग गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो रहे है. प्रदूषण का कुप्रभाव इस हद तक बढ़ा हुआ है कि गर्भ में पल रहे बच्चे भी दिव्यांग पैदा हो रहे है. अखलाक अहमद ने कहा कि यदि झरिया के लोग अपने बच्चे व परिवार से प्यार करते हैं, तो प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में साथ दे.
सब मिलकर बढ़ा रहे है झरिया में प्रदूषण
नेता, अधिकारी सब मिलकर झरिया में प्रदूषण बढ़ा रहे है. अगर झरिया के जिम्मेदार लोग चाह ले तो प्रदूषण रोका जा सकता है. अनिल जैन ने कहा कि धरती ने सबको जीने का अधिकार दिया है. यदि स्वच्छ हवा नहीं मिलेगी तो जीव ,जंतु के साथ पेड़- पौधे भी खत्म हो जाएंगे. झरिया में यह लड़ाई जिंदगी बचाने की लड़ाई है. मौन धारण में डॉक्टर मनोज सिंह, अखलाक अहमद, अनिल जैन, अशफाक हुसैन, सूरज कुमार महतो, अंसार अली खान, मोहम्मद इकबाल, सत्यनारायण भोजगड़िया शामिल थे. बता दें कि प्रदूषण के कारण झरिया का हाल बेहाल है. अभी दो दिनों से लगातार बारिश हो रही है, इस वजह से पूरे कोयला क्षेत्र में धसान हो रहे है. उनसे जहरीली गैस निकल रही है. कब किसका घर धंस जाए, किस इलाके में जमीन फट जाए, यह कोई नहीं जानता. बरसात कोयलांचल के लिए आफत लेकर आती है.
राष्ट्रीयकरण के बाद भी हालात नहीं सुधरे
राष्ट्रीयकरण के पहले तो बेतरतीब ढंग से कोयले का खनन हुआ. उस समय समय तो जमीन के ऊपर ही खदान मालिकों को कोकिंग कोल मिल जाता था. उस कोकिंग कोल को निकाल कर जैसे- तैसे दाम पर खान मलिक बेच दिया करते थे. लेकिन जब 1971 और 1973 में खदानों का राष्ट्रीयकरण हुआ, उसके बाद भी स्थिति बहुत नहीं सुधरी. कोयला खनन के बाद बालू भराई के काम में जबरदस्त घोटाला हुआ. बालू भरा नहीं गया लेकिन भुगतान ले लिया गया. नतीजा है कि इसका खामियाजा आज कोयलांचल भुगत रहा है. फिलहाल जो आउटसोर्सिंग कंपनियों के जरिए कोयले का खनन हो रहा है, उसका भी तरीका सही नहीं है. उद्योग मालिकों ने सवाल उठाया है कि धनबाद कोयलांचल में फिलहाल ब्लास्टिंग माइनिंग हो रही है,जब कि यहाँ सरफेस माइनिंग होनी चाहिए.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो