धनबाद(DHANBAD): धनबाद कोयलांचल में कोयले के अवैध खनन में लगे लोगो की रक्षा अब माँ काली भी नहीं करती है. गिरोह के लोगों से अब मां काली नाराज है . अगर नाराज नहीं होती तो भौरा में दुर्घटना नहीं होती. यह अलग बात है कि इतनी बड़ी दुर्घटना को लीपपोत कर बराबर कर दिया गया. झरिया के भौरा में जो हुआ ,उसपर तो आंखे भी भरोसा नहीं करती . वैसे ,पुलिस और बीसीसीएल एक तरफ से अवैध मुहाने की भराई करते हैं तो दूसरी ओर अवैध माइनिंग करने वाले इन मुहानों को खोल लेते है. सूत्र बताते है कि भौरा में फिर से कोयला काटने की तैयारी हो रही है. इन मुहानों के भीतर अथवा बाहर मां काली की एक तस्वीर टंगी होती है. मुहानों में प्रवेश करने के पहले कोयला काटने वाले मां काली की पूजा- अर्चना करते है.
सुरक्षित बाहर निकलने की मन्नत मांग जाते है भीतर
मन्नत मांगते हैं कि आज वह कोयला काटकर सुरक्षित बाहर निकले. कई जगहों पर तो मां काली उनका सहयोग करती है और कुछ जगहों पर नहीं कर पाती. दुर्घटनाएं हो जाती है, चाल धस जाती है और लोग मारे जाते है. कोयलांचल में कोयले का अवैध उत्खनन एक उद्योग का रूप ले लिया है. इस व्यवस्था को तोड़ने की जितनी भी कोशिश हुई, यह उतनी ही गति आगे बढ़ती चली गई. नतीजा हुआ की घटनाएं हो रही है, जहां घटनाएं हो जाती हैं, वहां दो - 4 दिन ही माइनिंग बंद होती है, फिर चालू हो जाती है. इस काम में कोयला तस्कर बाहर के मजदूरों को लाकर लगाते हैं और उनको प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान करते है. उनके भुगतान की भी एक अलग व्यवस्था है. कोयला पहुंचाने पर उन्हें उन्हें वजन से संबंधित एक पर्ची मिलती है. उस पर्ची को दूसरे जगह ले जाते हैं तो भुगतान मिलता है.
कोयले की कटाई बंद नहीं हुई कि बकाया का पेमेंट भी बंद
एक सूचना यह भी है कि बाहर के मजदूर, जो यहां कोयला काटने आते हैं, अगर किसी वजह से कोयले का कटाई बंद हो जाती है , तो उनको भुगतान नहीं मिलता. कतरास-बाघमारा इलाके से ऐसी सूचनाएं लगातार आ रही है. वैसे मजदूरों के पास घर जाने के लिए भाड़ा भी नहीं होता. फिर भी पेट के लिए जान जोखिम में डालकर कोयला काटते है. उन्हें तो सिर्फ मजदूरी मिलती है लेकिन रिमोट से गैंग चलाने वाले आराम की जिंदगी जीते है. मुहाना से कोयला निकालने को लेकर गुटों में टकराव भी होता है. फायरिंग ,बमबाजी की घटनाएं होती है. पुलिस भी परेशान होती है. धनबाद कोयलांचल में कोयले का अवैध उत्खनन ने तो कईयों को खाकपति से करोड़पति बना दिया लेकिन जिन मजदूरों की जाने गई ,उनके परिवार को आज कोई पूछनहार भी नहीं है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो