दुमका(DUMKA): 10 दिसंबर 1992 को तत्कालीन भागलपुर विश्वविद्यालय से अलग दुमका में सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय की स्थापना की गई. बुधवार को इसकेएमयू अपना 33वां स्थापना दिग्घी स्थित कॉन्फ्रेंस हाल में मनाया गया. लेकिन स्थापना दिवस समारोह में आदिवासी कल्याण छात्रावास के छात्र नेताओं ने निमंत्रण नहीं मिलने पर जमकर बबाल काटा. हंगामा बढ़ता देख कार्यक्रम को बीच में ही समाप्त करना पड़ा. इस वजह से सबसे ज्यादा निराशा उन छात्र-छात्राओं को हुई जो दूसरे जिले से सांस्कृतिक कार्यक्रम करने के लिए विश्वविद्यालय परिसर पहुचे थे. उनका कार्यक्रम हंगामे की वजह से नहीं हो सका.
छात्रों ने जमकर किया हंगामा
सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय परिसर में 33वां स्थापना दिवस समारोह का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में इसकेएमयू विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ बिमल प्रसाद सिंह सहित तमाम पदाधिकारी और शिक्षक मौजूद थे. मुख्य अतिथि के तौर पर झारखंड स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी रांची के कुलपति डॉ. त्रिवेणी नाथ साहू को बुलाया गया था. कार्यक्रम को सिकामु विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बिमल प्रसाद सिंह संबोधित कर रहे थे. अचानक आदिवासी कल्याण छात्रावास में रहने वाले छात्र काफी संख्या में वहां पहुंच गए और यह कहते हुए हंगामा करने लगे कि हमें इस समारोह में क्यों नहीं निमंत्रण दिया गया. छात्रों ने काफी देर तक हंगामा किया. उनका कहना था कि कुलपति को विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारी गुमराह कर रहे हैं और उन्हें छात्रों से बेहतर तालमेल स्थापित नहीं करने दिया जा रहा है. छात्र काफी आक्रोशित नजर आए. वे किसी की सुनने को तैयार नहीं थे. यह हंगामा काफी देर तक चलता रहा.
कुलपति डॉ. त्रिवेणी नाथ साहू भी आक्रोशित छात्रों को मनाने का किया प्रयास
कुलपति डॉ बिमल प्रसाद सिंह उन्हें समझाते रहे पर छात्रों का हंगामा जारी रहा. मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करने पहुचे झारखंड स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी रांची के कुलपति डॉ. त्रिवेणी नाथ साहू भी आक्रोशित छात्रों को मनाने में लग गए पर छात्र अड़े रहे. वे कार्यक्रम स्थल पर ही वैसे अधिकारी जिन्होंने निमंत्रण नहीं भिजवाया उसे चिन्हित करने की मांग कर रहे थे. आखिरकार वे इस बात पर शांत हुए की कार्यक्रम के बाद उनकी बातें सुनी जाएगी और उन्हें क्यों नहीं निमंत्रण दिया गया, इसमें किसकी भूमिका थी, यह सब क्लियर किया जाएगा.
हंगामा से पहले कुलपति ने विश्वविद्यालय के इतिहास और उपलब्धियां को बताया
हंगामा से पहले कुलपति द्वारा विश्वविद्यालय के इतिहास और अब तक कि उपलब्धियां को रखा गया. उन्होंने बताया किस तरह यह विश्वविद्यालय खुला और क्रमबद्ध तरीके से विकास की दिशा में अग्रसर है. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में यह और भी यह निखरेगा. इसकी सफलता में यहां के छात्र-छात्राओं , उनके अभिभावक के साथ-साथ शिक्षक और कर्मचारियों का विशेष योगदान है. इसी बीच जब छात्रों ने हंगामा शुरू कर दिया और वह यह कहने लगे कि हमें निमंत्रण क्यों नहीं मिला. हंगामा को शांत करने के लिए कुलपति ने स्वीकार किया कि इस मामले में विश्वविद्यालय से चूक हुई है, ऐसा नहीं होना चाहिए था.
रिपोर्ट: पंचम झा