दुमका\गोड्डा (GODDA\DUMKA) : भारत के सबसे अमीर व्यक्ति की सूची में मुकेश अम्बानी का नाम शामिल है. मुकेश अम्बानी के छोटे बेटे अनंत अम्बानी और राधिका मर्चेंट की शादी को लेकर कुछ महीनों से खूब चर्चा हो रही है. आखिरकार 12 जुलाई को दोनों परिणय सूत्र में बंध जाएंगे. शादी समारोह 3 दिनों तक मुम्बई के जिओ वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर में होगा.
हर तरफ अनंत - राधिका की शादी के कार्ड की हो रही है चर्चा
शादी की तैयारियों के बीच अनंत अम्बानी की शादी का आमंत्रण कार्ड सामने आया है. देश के सबसे अमीर व्यक्ति के बेटे की शादी का कार्ड खूब सुर्खियां बटोर रहा है. एक कार्ड की कीमत लाखों रुपया बताया जा रहा है. वीवीआईपी को दिए एक निमंत्रण पत्र में चांदी का मंदिर है. अंदर सोने की 4 मूर्तियां हैं. दूसरा निमंत्रण पत्र गोल्डन बॉक्स में है. इसमें मंदिर को छोटे रूप में बॉक्स के भीतर ही रखा गया है. यह भी दैवीय थीम पर आधारित है.
हस्तलिखित पत्र, बॉक्स खोलते ही गूंजते हैं विष्णु मंत्र
एक खूबसूरत कढ़ाई वाले वेडिंग बॉक्स के ऊपर विष्णु भगवान की तस्वीर है. इस तस्वीर में नारायण के हृदय में लक्ष्मी को दिखाया गया है. इस बॉक्स को खोलते ही विष्णु मंत्र गूंजने लगता है. लाल रंग के इन्वाइट बॉक्स को खोलने पर छाेटा सा चांदी का मंदिर सामने आता है. इसमें गणपति, राधा-कृष्ण और देवी दुर्गा की सोने की मूर्तियां हैं.
अनंत - राधिका की शादी के निमंत्रण कार्ड का क्या है गोड्डा कनेक्शन?
अब आप भी सोच रहे होंगे कि देश के सबसे अमीर व्यक्ति के बेटे की शादी के निमंत्रण कार्ड का भला झारखंड के सुदूरवर्ती जिला गोड्डा से क्या कनेक्शन हो सकता है? तो जान लीजिए. निमंत्रण कार्ड का बॉक्स खोलते ही आपको विष्णु मंत्र सुनाई देगा. विष्णु मंत्र को जिसने आवाज दी है उसका नाम माधवी मधुकर झा है. माधवी का ससुराल गोड्डा जिला का डांडे गांव में है.माधवी के पति का नाम पीयूष है जबकि ससुर का नाम सुभाष चंद्र झा है. धुन के लिए अम्बानी परिवार द्वारा माधवी मधुकर झा से अनुमति ली गयी है. माधवी के पति पीयूष ने बताया कि अनंत - राधिका की शादी का निमंत्रण कार्ड माधवी के नाम मिला है, जिसकी कीमत लाखों में है.
कौन है माधवी मधुकर झा
माधवी की शिक्षा दीक्षा बिहार के भागलपुर से हुई. बचपन से ही माधवी को संगीत में रुचि थी. शुरुआत में भारतीय क्लासिकल संगीत में शिक्षा ली. उसके बाद मैथिली और अंगिका में गाने लगी. उसकी आवाज को जिसने भी सुना उसने सराहा. कहा जाता है कि एक बार माधवी गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती से मिली. शंकराचार्य ने माधवी को संस्कृत में गाना गाने के लिए प्रेरित किया. कहा कि संस्कृति हमारी पुरानी भाषा के साथ-साथ देवानी भी है. उसके बाद माधवी वर्ष 2019 से संस्कृत में गाने लगी. संस्कृत में गयी स्तोत्रम को लोगों ने काफी पसंद किया. हाल ही में अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के मौके पर 19 जनवरी को माधवी मधुकर झा को भजन पेश करने का भी मौका मिला. सचमुच प्रतिभा किसी परिचय का मोहताज नहीं होता. माधवी मधुकर झा ने इसे साबित किया. एक छोटे से शहर से निकल कर माधवी ने संस्कृत गायन में एक नया मुकाम हासिल किया है.
रिपोर्ट. अजीत\पंचम झा