धनबाद(DHANBAD): सोमवार की रात धनबाद के सिटी सेंटर में काफी चहल-पहल थी. लोगों की भीड़ थी ,भोजन पाने को इच्छुक लोग हाथ में पत्तल लिए लाइन में लगे हुए थे. हर जाने वाले आने वालों की नजर इस ओर थी. दरअसल राइजिंग चैरिटेबल सोसायटी की ओर से सिटी सेंटर के समीप अम्मा की रसोई की शुरुआत की गई थी. इस रसोई में हर दिन 200 से अधिक भूखों को मुफ्त में खाना खिलाया जाएगा.
200 से अधिक जरूरतमंदों को बांटा गया खाना
सोमवार की रात इस रसोई का उद्घाटन सोसायटी के सदस्यों की माताओं ने सामूहिक रूप से किया. अम्मा की रसोई के पहले दिन 200 से अधिक जरूरतमंदों के बीच पूड़ी, सब्जी और हलवा बांटे गए. संचालक मंडल की माने तो हर दिन यहां रात 8 से 9 बजे के बीच जरूरतमंदों के बीच भोजन का वितरण किया जाएगा. यह भी बताया गया कि इस व्यवस्था के लिए कोई चंदा नहीं लिया जाएगा. सोसाइटी के सदस्य आपसी सहयोग से इस रसोई का संचालन करेंगे. शनिवार को खिचड़ी का वितरण होगा, बाकी दिन अलग-अलग तरह के भोजन बांटे जाएंगे. राइजिंग चैरिटेबल सोसायटी की ओर से गल्फ ग्राउंड के समीप पिछले 10 वर्षों से feed for life कार्यक्रम चलाया जा रहा है. महीने के दूसरे और चौथे रविवार को यहां जरूरतमंदों के बीच भोजन का वितरण किया जाता है.
धनबाद चाहे अपराध को लेकर कितना भी बदनाम हो लेकिन यहां अच्छे लोगों की कमी नहीं है. सकारात्मक सोच वाले सामाजिक संगठन भी सक्रिय हैं. कोयलांचल की धरती ने एक से एक दानवीर पैदा किए. यह वही कोयलांचल है जहां स्वतंत्रता आंदोलन में सहयोग के लिए पहुंचे महात्मा गांधी को उस वक्त के उद्योगपति रामजस अग्रवाल ने ब्लैंक चेक दिया था. जब ब्लैंक चेक पर किसी ने प्रश्न किया तो हुंडी का भी उन्होंने प्रस्ताव दे दिया. उस समय हुंडी का प्रचलन था और इस हुंडी को दिखाकर कोई कहीं से भी उतनी राशि ले सकता था. इसके अलावा भी कोयलांचल की धरती ने कई दानवीर दिए. समय बदल गया, तरीका बदल गया, अपराध बढ़ गए. बहुत सारे लोग धनबाद छोड़कर बाहर चले गए फिर भी अभी जितने बचे हैं, वह लोग अपनी क्षमता के अनुसार कोई न कोई अच्छा काम करने का प्रयास अभी भी जारी रखे हुए हैं. यही है धनबाद का दूसरा चेहरा.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो