देवघर(DEOGHAR):ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिभा की कमी नहीं है. बस उसे उजागर करने की आवश्यकता है. कुछ ऐसा ही देवघर के तुम्बावेल पंचायत के बसबुटिया गांव में देखने को मिला है. संसाधनों की घोर कमी के बाबजूद चंद्रशेखर भंडारी ने कबाड़ से जुगाड़ कर बैटरी से चलने वाली एक कार का निर्माण किया है. आर्थिक सहायता मिलने पर यह नैनो से भी सस्ती कार बना सकता हैं.
कबाड़, जुगाड़ और कार
कहते है आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है.जिस प्रकार से पेट्रोल,डीज़ल महंगे हो रहे है. और इससे चलने वाली अत्याधुनिक वाहन से निकलने वाली जहरीली धुआं से पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंच रहा है. वैसे में अब धुंआ रहित वाहनों की मांग बढ़ रही है. सड़को पर इन दिनों बैटरी से चलने वाले वाहनों की संख्या में दिन प्रतिदिन बढ़ोतरी हो रही है. बैटरी से चलने वाली विभिन्न प्रकार की गाड़ी की कीमत भी लाखों रुपए में होती है.
पर्यावरण नहीं होगा प्रदूषित
पर्यावरण की दृष्टिकोण से बैटरी से चलने वाली गाड़ी को बहुत अच्छा माना गया है. कुछ ऐसा ही संकल्प के साथ देवघर के लाल ने कबाड़ से जुगाड़ कर एक छोटा कार बनाया है. तुम्बा वेल पंचायत के बसबुटिया गांव का रहने वाला चंद्रशेखर भंडारी ने यह कार बनाया है. इस कार में कुछ अत्याधुनिक उपकरणों को छोड़ कर वो सब है, जो एक चार पहिया वाहन में आवश्यक होती है. एक सीटर इस छोटी कार की अधिकतम स्पीड 40 है. और इसके निर्माण में लगभग 7 हजार रुपये की खर्च आई है.
ये है कार की खासियत
सड़को पर दौड़ती ऑटो, टोटो को देख चंद्रशेखर भंडारी ने भी एक कार बनाने का ठाना. घर की माली हालत ठीक नही होते हुए भी इसने सबसे पहले कबाड़ की दुकान पर सामानों को देखा. वहां से खिलौना वाला चक्का, व्हीलचेयर का चक्का, मोटरसाइकिल में लगने वाला टाइमिंग चैन,खराब पानी वाला मोटर, प्लास्टिक, मोटरसाइकिल और अन्य वाहन का फ्रेम, पुराना स्टेयरिंग, खिलौना कार का लाइट, मिरर, कुछ लोहे का रड, मोटरसाइकिल का ब्रेक ये सब कबाड़ी वाले से लिया.
फिर कुछ पैसों का इंतज़ाम कर इसने बैटरी, तार, एलईडी, नट बोल्ट खरीदकर घर ले आया. फिर इसने कई दिनों तक मेहनत किया. वेल्डिंग मशीन नहीं रहने की वजह से इसको कार का फ्रेम बनाने के लिए वेल्डिंग दुकान का सहारा लेना पड़ा. देखते ही देखते जुगाड़ से कार बना दिया. इस कार में जीपीएस, ऑडियो सिस्टम, कवर दरवाजा छोड़ वो सभी चीज़ मौजूद हैं, जो एक कार में होती है. तेज़ गति, बैक गियर भी इस कार में है. एक सीटर यह कार किसी भी सड़क पर फर्राटे से चल सकती है.
आर्थिक सहायता मिलने पर बना सकता है 4 से 5 सीटर कार
कबाड़ी की दुकान से जुगाड़ कर बनाई गई इस कार की लागत 7 हजार के करीब लगी है. अगर इसको कोई आर्थिक मदद या सहायता करता है, तो यह 4 से अधिक सीट वाला कार भी बना सकता है. बड़ी कार को बनाने में 80 हजार से एक लाख तक खर्ज आएगा. जिसकी अधिकतम स्पीड 160 तक हो सकती है. खास बात है कि बनाई गई बैटरी वाली कार को चार्ज करने में भी कम समय लगता है. एक बार चार्ज होने पर यह 150 किलोमीटर तक चल सकता है.
कबाड़ी की दुकान से जुगाड़ कर बनाई गई इस कार
कहते है कुछ कर गुजरने का इरादा हो तो कोई भी बाधा आसानी से दूर किया जा सकता है. चंद्रशेखर भंडारी ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है. गांव में रहकर संसाधनों की कमी के बीच इसने जो कार बनाई है. वो वाकई में तारीफ का पात्र हैं. जरूरत है ऐसे ग्रामीण प्रतिभा को निखार कर इसके हुनर को विश्व पटल पर स्थापित करने का. इस ओर स्थानीय से लेकर सरकार को भी आगे आना चाहिए. क्योंकि शहर में रहने वालो को तो सब चीजे आसानी से मिल जाती है.
बैटरी वाली कार या अन्य वाहनों की मांग बाजार में जोरों पर
बाजार में नया समान को खरीदकर अपने बजट के अनुरूप या अधिक लगाकर कोई भी इस तरह का कार बना सकता है. लेकिन कम संसाधन और कम कीमत पर कोई भी बेहतर चीज़ बनता है तो उसकी मांग बढ़ती है. चंद्रशेखर के बनाये इस कार में न तो पेट्रोल लगेगा और न ही डीजल लगेगा. जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा. बैटरी वाली कार या अन्य वाहनों की मांग बाजार में जोरों पर है. ऐसे में इसको प्रमोट करने की आवश्यकता है.
रिपोर्ट-रितुराज सिन्हा