धनबाद(DHANBAD) : बोकारो पुलिस ने बोकारो-धनबाद सहित झारखंड में संभावित अपराध की किसी बड़ी योजना को अपनी सक्रियता से टालने में सफल हुई है. बोकारो में एक घर में छुपा कर रखा गया एके-47 को बरामद किया जाना बोकारो पुलिस के लिए तो उपलब्धि है ही, लेकिन बोकारो सहित अगल-बगल जिलों के लिए खतरे का संकेत भी है. जिस शंकर रवानी हत्याकांड के तह तक पहुंचने के क्रम में पुलिस को यह उपलब्धि मिली है, उसके तार सीधे तौर पर धनबाद से भी जुड़ गए है. धनबाद के गोविंदपुर से घटना में प्रयुक्त कार को पुलिस ने बरामद कर लिया है.
कार का मालिक भी गोविंदपुर का ही रहने वाला है
कार का मालिक भी गोविंदपुर का ही रहने वाला है. यह अलग बात है कि अभी यह खुलासा नहीं हुआ है कि कार मालिक और जिसके घर से एके-47 बोकारो में बरामद हुआ है, उस वीरेंद्र प्रसाद के साथ कार मालिक के क्या संबंध है. पुलिस इसे खंगाल रही है और लगातार पूछताछ कर रही है. शंकर रवानी हत्याकांड में पुलिस ने धनबाद में भी कई जगहों पर छापेमारी की है. वीरेंद्र प्रसाद का धनबाद में भी ठिकाना था. सिर्फ बोकारो पुलिस के हाथ एके -47 ही नहीं लगा है, बल्कि अत्याधुनिक विदेशी कई छोटे-बड़े हथियार भी लगे है. बोकारो के एक आवास से एके-47 के साथ दो मैगजीन, 92 राउंड गोली, एक कार्बाइन के साथ दो मैगजीन, एक राइफल, एक सिक्सर, चार पिस्तौल, 0.38 की 60 गोली, 9 एमएम की 100 राउंड गोली के अलावा 65 कार्टून विदेशी शराब भी जब्त हुए है.
धनबाद के लोगों ने पहली बार 1991 में एके -47 देखा था
बता दें कि धनबाद के लोगों ने पहली बार 1991 में एके -47 देखा था. उसे समय धनबाद के जांबाज एसपी रणधीर प्रसाद वर्मा की आतंकियों ने एके-47 से ही हत्या कर दी थी.आतंकवादियों के एके -47 का माउजर छत से भागने के क्रम में जमीन पर गिर गया था और जिस समय वह पकड़े गए, उस समय उनके एके-47 में मैगजीन नहीं थे. पुलिस ने घेर कर उन्हें दबोच लिया था. लेकिन बोकारो के घर में एके-47 छुपा कर रखना यह बताता है कि यह गैंग कोई साधारण गैंग नहीं है. इसके तार सिर्फ झारखंड ही नहीं बल्कि बाहर के गिरोह से भी जुड़े हो सकते है. यह अलग बात है कि जिसके घर से एके-47 सहित हथियारों का जखीरा बरामद हुआ है. वह पुलिस की पकड़ में आ गया है और अब वह सब राज खोल देगा. बोकारो जिला पहले धनबाद में ही था. यह अलग बात है कि धनबाद में कोयले के धंधे में वर्चस्व के लिए गोली-बम चलते है. लोगों की जानें ली जाती है. तो बोकारो में ऐश पौंड से फ्लाई ऐश की ट्रांसपोर्टिंग के लिए कत्ल होता है. 18 जुलाई को जिस शंकर रवानी की निर्ममता पूर्वक हत्या करा दी गई थी, वह भी फ्लाई ऐश ट्रांसपोर्टिंग से जुड़ा हुआ था और इस धंधे का दबंग बताया गया था. उसकी दबंगई को खत्म करने के लिए ही दूसरे ग्रुप ने बाहर से शूटरों को हायर किया और रास्ते से हमेशा-हमेशा के लिए हटाने की व्यवस्था कराइ.
18 जुलाई को शार्प शूटरों ने शंकर रवानी की कर दी थी हत्या
18 जुलाई को शार्प शूटरों ने शंकर रवानी की हत्या कर दी. हत्या की साजिश रचने वाले लोगों में फ्लाई ऐश ट्रांसपोर्टिंग से जुड़े लोग ही शामिल बताए गए है. यह भी जानकारी निकलकर आ रही थी कि शूटर कई दिनों से शंकर रवानी का पीछा कर रहे थे. यह भी कहा जाता है कि शंकर रवानी को तारापीठ में ही खत्म करने की योजना थी, लेकिन समर्थकों से घिरे रहने के कारण शूटरों को तारापीठ में क़त्ल करने का मौका नहीं मिला. फिर रास्ते में भी उसे मारने का प्रयास हुआ, लेकिन मोहर्रम जुलूस में भीड़ के कारण शूटरों को मौका नहीं मिल पाया. फिर शूटर बोकारो में आकर डेरा डाल दिए और मौके की तलाश करते रहे. फिर18 जुलाई को सुबह शंकर रवानी जब अपनी स्कॉर्पियो धुलवाने के लिए गया, तो मौका ताड़ शूटर पहुंचे और 10 से 15 गोलियां उसके शरीर में उतार दी. पहले गाड़ी से उतरे शूटरों ने गोलियां मारी, फिर बाइक से पहुंचे शूटर भी शंकर रवानी के पास जाकर फायरिंग किये. जब शूटरों को भरोसा हो गया कि शंकर रवानी अब नहीं बचेगा, तब वह निकल गए. इस हत्याकांड ने बोकारो से लेकर धनबाद तक के लोगों को झकझोर दिया था.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो