दुमका(DUMKA): साइबर अपराध की जब भी बात होती है तो लोगों की जेहन में पहला नाम उभर कर आता है जामताड़ा का. संथाल परगना का जिला जामताड़ा पर वेब सीरीज भी बन चुका है. जामताड़ा को साइबर अपराधियों का गढ़ माना जाता है.आए दिन देश के विभिन्न राज्यों की पुलिस साईबर अपराधियों की तलाश में जामताड़ा पहुंचती है. समय के साथ साईबर अपराध का नेटवर्क जामताड़ा से निकल कर ना केवल संथाल परगना बल्कि पूरे देश मे फैल गया है.अब तो ऐसा लगता है मानो विदेशी सरजमीं से भी साईबर अपराध को अंजाम दिया जा रहा है.
साईबर अपराध में हो रहा AI का इस्तेमाल
देश में बढ़ते साइबर अपराध पर अंकुश लगाना पुलिस के समक्ष एक चुनौती है. समय के साथ साईबर अपराधियों द्वारा घटना को अंजाम देने का तरीका बदलते रहा है.आज The News Post आपको साइबर अपराध से जुड़ी एक ऐसी खबर बताने जा रहा है, जिसे सुनकर किसी के भी होश उड़ जाएंगे. दुमका से जुड़ी इस खबर को सुनकर आप सोचने पर विवश हो जाएंगे कि क्या साईबर अपराधी अब डीपफेक एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा ले रहा है. यह खबर वैसे लोगों को जरूर देखनी चाहिए जिनके बच्चे घर से दूर रहकर पढ़ाई कर रहे है.
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घटना 13 मार्च की है जब दुमका के अधिवक्ता रंजन सिन्हा कोर्ट में बैठ कर क्लाइंट से बात कर रहे थे,तभी उनके मोबाइल पर व्हाट्सऐप कॉल आया.जिस नम्बर से कॉल आया उसके डीपी में पुलिस की वर्दी में एक व्यक्ति की तस्वीर है.डीपी में पुलिस की वर्दी देख अधिवक्ता रंजन सिन्हा ने कॉल रिसीव किया, क्योंकि रंजन सिन्हा अधिवक्ता के साथ साथ बाल कल्याण समिति यानी CWC के मेंबर भी हैं और आए दिन पुलिस का कॉल उनको आता है, लेकिन इस बार कथित पुलिसकर्मी की बातें सुनकर रंजन सिन्हा के पैरों तले जमीन खिसक गई, उन्हें बताया गया कि उनका लड़का रेप के एक मामले में पुलिस हिरासत में है. बताया गया कि उसने रेप किया नहीं है बल्कि घटना स्थल पर मौजूद था, इसलिए उसे अलग रखा गया है.मामले को रफा दफा करने के बदले 50 हाजर रुपये यूपीआई के माध्यम से मांग की गई, जल्दी राशि भेजने की बात कही गयी अन्यथा जेल भेजने और 5 वर्ष की सजा होने की धमकी दी गयी. वहीं 5 वर्ष सजा की बात सुनकर अधिवक्ता रंजन सिन्हा को एक बार शक हुआ, उसने फोन काटकर दुर्गापुर में रहकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करनेवाले अपने बेटा के मोबाइल पर कॉल किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं होने पर वे घबरा गए. इसी बीच कथित पुलिस द्वारा लगातार कॉल किया जाता रहा.जब बेटा ने कॉल रिसीव नहीं किया तो रंजन सिन्हा ने कथित पुलिस का व्हाट्सएप कॉल रिसीव किया.रिसीव करते ही सामने वाले ने फोन कॉल नहीं काटने की सख्त हिदायत दी. रंजन ने तसल्ली के लिए अपने बेटा से बात कराने को कहा, उधर से बेटा की रोते हुए आवाज आई " पापा बचा लीजिए, ये लोग बहुत मार रहे हैं." बेटा की आवाज सुन रंजन और घबरा गए.कोर्ट में कार्यरत अपने बड़े भाई को साथ लेकर नगर थाना पहुंच गए. इस दौरान वे फोन को डिसकनेक्ट भी नहीं कर रहे हैं. तत्कालीन थाना प्रभारी को सारी बात बताकर कथित पुलिस से बात करने के लिए फोन दे दिया. कथित पुलिस का वास्तविक पुलिस से जब सामना हुआ तो कथित पुलिस ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया. इसी बीच रंजन सिन्हा के मोबाइल पर बेटा का कॉल आ गया.बेटा कहने लगा कि क्लास के समय मे कॉल क्यों करते हैं.तब जाकर सारा माजरा स्पष्ट हुआ.रंजन सिन्हा और उनके परिवार के लोगों ने राहत की सांस ली. उन्हें एहसास हुआ कि वे साईबर अपराधियों के चंगुल में फंसने से बच गए.
विदेशी सरजमी से भी साइबर अपराध को अंजाम दिया जा रहा है
घटना के संबंध में रंजन सिन्हा ने बताया कि कुछ दिन पूर्व उनके बेटा के मोबाइल पर जॉब से संबंधित एक कॉल आया. बातचीत के बाद उसे कहा गया कि यदि इक्षुक हैं तो यस और यदि नहीं तो नोट इंटरेस्टेड बोले, आशंका जताई जा रही है कि बेटा के कॉल को रिकॉर्ड कर लिया गया.आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के सहारे बेटा के आवाज में उस वक्त रंजन सिन्हा की बात कराई गई जब उन्होंने अपने बेटा से बात कराने को कहा था.अब जरा उस मोबाइल नम्बर को देखें जिससे रंजन सिन्हा को व्हाट्सअप कॉल आया था. नम्बर है 92-3406789106 नम्बर देखकर स्पष्ट है कि 92 भारत का कोड नहीं है, बल्कि यह पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का है, तो क्या समझा जाए विदेशी सरजमी से भी साइबर अपराध को अंजाम दिया जा रहा है. यदि ऐसा है तो सोचिए आनेवाले समय में हालात क्या होगी. रंजन सिन्हा तो साईबर अपराधियों से बच गए लेकिन आए दिन ना जाने कितने लोग फंसते होंगे.
रिपोर्ट-पंचम झा