टीएनपी डेस्क(Tnp desk):- तूफान आने से पहले एक गहरा सन्नाटा छाया रहता है, कुछ ऐसा ही झारखंड की सियासत में देखने को मिल रहाी है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से फिर ईडी पूछताछ के लिए समय और तारीख बताने को बोला है. यानि एकबार फिर तनाव, बवाल और सड़कों पर उबाल देखने को मिल सकता है. क्योंकि 20 जनवरी की तारीख इस नये साल में काफी तनाव उकेरने वाली रही, इसी दिन सीएम आवास में ईडी ने जमीन घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री सोरेन से सात घंटे की लंबी पूछताछ की . इस दरम्यान सिर्फ राजधानी की सड़कों में ही नहीं, बल्कि राज्य में भी एक कोलाहल मचा था .
मुख्यमंत्री से पूछताछ के लिए बेताब ईडी
इस सात घंटे के लंबे सवाल-जवाब के बाद कुछ हुआ तो नहीं, लेकिन, जांच एजेंसी संतुष्ट नहीं थी. एक अहसास और सोच तो उस रात ही पैदा हो गयी थी कि एकबार फिर ईडी समन भेजकर जमीन घोटाले को लेकर पूछताछ करेगी . और 22 जनवरी को ये बात सच साबित हुई. ईडी ने 9वां समन भेजा और पूछताछ के लिए 27 जनवरी से 31 जनवरी के बीच जगह बताने के लिए कहा. जिसका जवाब मुख्यमंत्री ने पत्र के जरिए भेजा और व्यस्ताओं का हवाला देते हुए लिखा कि 31 मार्च तक समय नहीं है.
ईडी उनके इस जवाब से इतेफाक नहीं रखते हुए, एकबार फिर भूमी घोटाले में पूछताछ को लेकर पत्र भेजा और 29 से 31 तारीख को समय देने की गुजारिश की. इसमे ये भी बोला गया कि अगर टाइम नहीं देंगे, तो फिर जांच एजेंसी खुद ही पूछताछ के लिए पहुंच जाएगी. रिपोर्ट के मुताबिक सीएम ने इसके जवाब में 29 या 31 तारीख को पूछताछ के लिए मौजूद नहीं रहेंगे .
ईडी और मुख्यमंत्री के बीच चल रही इस रस्साकशी के बीच, तो यही दिखता है कि आगे कुछ खटपटे दिखाई पड़ सकती है. इधर, ईडी के समन से संथाल परगना में भी शनिवार को बंद बुलाया है. जेएमएम के कार्यकर्ता इसे भारतीय जनता पार्टी की साजिश करार देते हैं, जो एक आदिवासी मुख्यमंत्री को बेवजह तंग किया जा रहा है. खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी ईडी की इस जांच को राजनीति से प्रेरित कई दफा बता चुके हैं . इसकी सारी तोहमत केन्द्र की मोदी सरकार पर मढ़ रहे हैं, जो उनकी सरकार को डिस्टर्ब करना चाहती है.
आगे क्या होगा ?
सवाल है कि अगर मुख्यमंत्री 30 या 31 तारीख को ईडी के सामने नहीं आते हैं, तो फिर क्या होगा. प्रश्न ये भी है कि फिर जांच एजेंसी ईडी आगे क्या करेगी .क्योंकि रस्सकाशी और टकरवार की स्थिति तो बहुत पहले से ही बनीं हुई है. इसी जमीन घोटाले में 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमे रांची के पूर्व डीसी छविरंजन समेत कारोबारी तक जेल की हवा खा रहे हैं.लाजमी है कि डर तो है और अंदर से एक उकताहत भी है, क्योंकि इसी जमीन घोटाले में ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाने के बाद पूर्व उपायुक्त छविरंजन समेत कईयों की गिरफ्तारी साक्ष्य मिलने के बाद की थी. शराब घोटाले से लेकर खनन घोटले में भी ईडी ने पूछताछ के बाद ही योगेन्द्र तिवारी और पंकज मिश्रा को सलाखों के पीछे भेज दिया था.
खैर आगे क्या होता है, ये तो समय तय करेगा. लेकिन, फिलहाल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए एक इम्तहान का वक्त है. क्योकि आगे लोकसभा चुनाव भी है और इधर ईडी के सवालों का जवाब भी देना है. इन दोनों चुनौतियों को वो कैसे पार करते हैं और अपनी हिम्मत से कैसे परास्त करते हैं. इस पर सभी की नजरें बनी रहेगी.