धनबाद(DHANBAD): झारखंड में नई सरकार का गठन हो गया है. अब प्रदेश में नगर निकाय चुनाव कराने की चुनौती सामने है. नगर निकाय चुनाव नहीं होने का नुकसान सूबे को भुगतना पड़ रहा है .क्लीन एयर प्रोग्राम के लिए मिलने वाली राशि पर केंद्र सरकार ने रोक लगा दी है. धनबाद और रांची को बड़ा नुकसान हुआ है. धनबाद नगर निगम को 90 करोड़ और रांची नगर निगम को 20 करोड की राशि पर रोक लगा दी गई है. कहा गया है कि जब तक चुनाव नहीं होंगे, तब तक राशि नहीं मिलेगी. सरकार पर निकाय चुनाव का दबाव बढ़ गया है. हालांकि राज्य सरकार गठन के साथ ही सक्रिय दिख रही है.
ओबीसी आरक्षण के लिए सर्वे कराने की मांग
जानकारी के अनुसार राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सचिव ने सभी जिले के उपयुक्त को चिट्ठी लिखकर ओबीसी आरक्षण के लिए सर्वे कराने को कहा है. 31 दिसंबर तक धनबाद सहित सभी उपायुक्त को रिपोर्ट देने को कहा गया है. बता दें कि धनबाद नगर निगम का चुनाव 2020 से ही लंबित है. लगातार निकाय चुनाव कराने की मांग की जाती रही है. इसके लिए आंदोलन भी किए गए. लेकिन प्रदेश में निकाय चुनाव नहीं हुआ. सूचना के अनुसार राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने सभी उपायुक्त को पत्र लिखकर चार बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी है. इसमें पिछड़ा वर्ग के संबंध में वार्ड बार सूचना अपडेट मतदाता सूची के अनुसार देने को कहा गया है.
पिछड़े वर्ग की राजनीतिक स्थिति की जानकारी के लिए अनारक्षित वर्ग में चुने गए अत्यंत पिछड़ा वर्ग एवं पिछड़ा के प्रतिनिधियों की सूचना आयोग को देने को कहा गया है. धनबाद नगर निगम में कई ऐसे ओबीसी जाति के पार्षद हैं, जो सामान्य सीट से जीत दर्ज किए हुए हैं. आयोग ने ऐसे पार्षदों की सूची भी मांगी है. आयोग की ओर से सभी जिलों को एक फॉर्मेट दिया गया है. उसमें सारी जानकारी भर कर देना है. यह जानकारी डोर टू डोर सर्वे के आधार पर ही भर कर देना है .
निकाय चुनाव नहीं होने से राज्य को नुकसान
निकाय चुनाव नहीं होने से राज्य को नुकसान हो रहा है. धनबाद में नगर निगम का गठन 2006 में हुआ था. नगर निगम का पहला चुनाव 2010 में हुआ, जिसमें श्रीमती इंदु सिंह मेयर चुनी गई. फिर यह चुनाव 2015 में हुआ .जिसमें शेखर अग्रवाल मेयर चुने गए. लेकिन 20 जून 2020 को कार्यकाल खत्म हो गया. उसके बाद से धनबाद नगर निगम की व्यवस्था सरकार के हाथ में है. अब जब केंद्र सरकार ने राशि पर रोक लगा दी है, झारखंड में नई सरकार का गठन हो गया है ,तो एक बार फिर निकाय चुनाव कराने की पहल शुरू हुई है. देखना है राज्यों में कब तक शहर की सरकार चुनी जाती है.