धनबाद(DHANBAD) : कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की महावीर कोलियरी में तीन दशक से भी अधिक समय पहले 65 कोयला मजदूरों के लिए "भगवान" बनकर सामने आए जसवंत सिंह गिल आज भी किसी ने किसी रूप में जीवित दिखते है. उनका साहसिक प्रयास फिल्म के पर्दे पर तो उतर ही चुका है, अब बीबीसी लंदन ने आईआईटी आईएसएम, धनबाद के पूर्ववर्ती छात्र जसवंत सिंह गिल को सम्मान देते हुए ऑडियो स्टोरी जारी किया है. ऑडियो स्टोरी में बताया गया है कि जसवंत सिंह गिल ने कैसे वर्ष 1889 में ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड की महावीर कोलियरी में 65 कोयला खनिकों की जान बचाई. जसवंत सिंह गिल ने खनिकों को बचाने के लिए मौके पर ही कैप्सूल का निर्माण किया और कैप्सूल के जरिए खदान के अंदर से खनिकों को बाहर निकाला.
जसवंत सिंह गिल को 1991 में सर्वोत्तम जीवन सम्मान से सम्मानित किया गया था. अक्षय कुमार ने उस घटना पर मिशन रानीगंज-द ग्रेट भारत रेस्क्यू फिल्म भी बनाई है. जसवंत सिंह गिल ने यह काम तब शुरू किया जब देश-विदेश के सारे बचाव दल हाथ खड़े कर दिए थे. फिर इन्होंने काम शुरू किया और एक-एक कर 65 मजदूरों को बाहर निकाला था. वह साल था 1989 का. 65 से अधिक कोयला मजदूर ECL रानीगंज की महावीर कोलियरी में फंस गए थे. उसके बाद तो कोयला उद्योग में तहलका मच गया था. रेस्क्यू ऑपरेशन में परेशानियों के बावजूद यह दुनिया का एक बहुत बड़ा सफल ऑपरेशन माना जाता है. इस ऑपरेशन के मुखिया थे आईएसएम के 1965 बैच के अभियंता जसवंत सिंह गिल.
रानीगंज की महावीर कोलियरी में जब 65 मजदूर फंस गए थे और कोई तकनीक नहीं काम आ रहा था, विदेश से भी सहायता ली गई थी, लेकिन मजदूर निकाले नहीं जा सक रहे थे. तब जसवंत सिंह गिल ने अपनी देसी तकनीक अपनाई और उन्होंने आदमी की लंबाई का एक कैप्सूल बनाया. कैप्सूल की बनावट ऐसी थी कि उसमें आदमी प्रवेश कर सकता था और सुरक्षित बाहर भी निकल सकता था. उस कैप्सूल के सहारे एक-एक कर महावीर कोलियरी से फंसे 65 मजदूरों को बाहर निकाला गया था.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो