धनबाद(DHANBAD): धनबाद के सरकारी कार्यालयों में और अनजान व्यक्ति को देख 'बाबू' चौक जा रहे है. चौके भी क्यों नहीं ,एसीबी की ताबड़तोड़ कार्रवाई यों से 'सुविधा शुल्क' लेने वालों में तो भय बन ही गया है. इस भय का लाभ काम कराने वालों को हालांकि नहीं मिल रहा है, क्योंकि काम को टाल दिया जा रहा है. गुरुवार को जिला खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी अभिषेक आनंद की रिश्वतखोरी की जिले में खूब चर्चा है. इनके साथ बिचौलिया में पकड़ाया है. घूसखोरी अब थोड़ी टेढ़ी भी हो गई है, क्योंकि एसीबी को अब अतिरिक्त अधिकार मिला है. एसीबी को अधिकार मिला है कि जिस अधिकारी के नाम पर बिचौलिया अगर पैसा लेता है तो उस विभाग के अधिकारी को भी दोषी माना जाएगा और उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है. इसके पहले किसी अधिकारी के लिए बिचौलिया अगर रिश्वत का पैसा लेते थे, तो उन पर कार्रवाई नहीं होती थी. लेकिन अब कार्रवाई हो रही है.
2016 से अब तक धनबाद एसीबी ने कुल 103 को पकड़ा
एक आंकड़े पर भरोसा करें तो 2016 से अब तक धनबाद एसीबी ने कुल 103 अधिकारी व कर्मचारियों को रिश्वतखोरी के आरोप में पकड़ा है. रिश्वतखोरी में पकड़ाए अधिकारियों -कर्मियों में 64 की उम्र 25 से 40 साल के बीच की है. यानी पकड़ाए कर्मियों में 63% युवा थे और कुछ ही सालों में नौकरी के बाद दबोच लिए गए. सबसे अधिक गिरफ्तारी पुलिस विभाग से हुई है. इनमें धनबाद पुलिस जिला बल के 5 दारोगा और एक सिपाही शामिल है. इसके अतिरिक्त राजस्व विभाग से 23 गिरफ्तारियां हुई है. उम्र 40 साल के भीतर थी. 50 साल से अधिक आयु वाले अधिकारी और कर्मचारियों की संख्या लगभग 10% है. 40 से 50 साल के बीच वाली उम्र के लोगों की संख्या 24% है. गुरुवार को जिला खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी अभिषेक आनंद की गिरफ्तारी हुई है, वह भी युवा है. यह गिरफ्तारी गोमो में चनाचूर की फैक्ट्री चलाने वाले रूपेश गुप्ता की शिकायत पर हुई है.
पैसा लेने वाले बदल दिए हैं तरीके
फैक्ट्री का लाइसेंस रिन्यूअल कराने के नाम पर अस्सी हज़ार की मांग की गई थी. बाद में गुरुवार को बीस हज़ार देने की बात तय हुई. रूपेश गुप्ता पैसा लेकर कार्यालय पहुंचे तो अभिषेक आनंद ने कहा कि रामपति तिवारी यानी बिचौलिए को पैसा दे दे. पैसा देते ही घात लगाई एसीबी की टीम ने धर-दबोचा. इस कार्रवाई के बाद धनबाद में तो भय का माहौल बन गया है. कोयलांचल में फोल्डर फाइल में पैसा लेने का तो पुराना प्रचलन है लेकिन अभी इसमें थोड़ा बदलाव कर दिया गया है. सूत्रों पर भरोसा करें तो अब कुछ लोग घर अथवा कार्यालय या अन्य कोई चिन्हित स्थान के बजाय गाड़ियों में पैसा ले रहे है. कहा जाता है कि पैसा लेने वाले की गाड़ी आगे-आगे चलती है, पीछे-पीछे पैसा देने वाले अपनी गाड़ी से जाते है. शहर से दूर निकल कर कहीं गाड़ी रोकी जाती है, फिर पैसा लेने वाले अपनी वाहन पर पैसा देने वाले को बैठा लेता है और फिर डील होने के बाद दोनों के रास्ते अलग हो जाते है.
रिपोर्ट: सत्यभूषण सिंह, धनबाद