रांची (RANCHI) : झारखंड में महिलाओं को हेमंत सरकार ने एक हजार रुपये सम्मान राशी देने की घोषणा जैसे ही की अब इसपर सियासी पारा बढ़ गया है. चुनाव से पहले इंडी गठबंधन मंईयां योजना को मास्टर स्ट्रोक मान कर चल रही थी. लेकिन इस बीच भाजपा गोगो दीदी योजना लेकर आयी और दावा किया कि इस योजना के जरिए महीने की 11 तारीख को 2100 रुपये देने का काम करेंगे. गोगो दीदी योजना का फॉर्म भी भरना शुरू कर दिया गया. लेकिन अब गोगो का तोड़ खोज झामुमो ने झामुमो सम्मान योजना की घोषणा कर दी. इसका फॉर्म भी जारी किया गया. जिसमें बताया गया है कि 2500 रुपये देंगे वह भी महीने की एक तारीख को.
देखें तो पहले हेमंत सरकार चुनाव से ठीक तीन महीने पहले मंईयां सम्मान योजना लेकर आयी. इस योजना के जरिए 18 साल से 59 साल की बेटी महिलाओं को हर माह ₹1000 सीधे खाते में भेजने का ऐलान कर दिया. हेमंत सोरेन के कैबिनेट से इस पर प्रस्ताव को मुहर लगी और बेटियों के खाते में पैसा जाना शुरू हो गया. एक और इस पर भाजपा सवाल खड़ा कर रही थी कि फ्री का लालच देकर चुनाव को प्रभावित करने की एक कोशिश है. इसे लेकर एक जनहित याचिका हाई कोर्ट में भी दाखिल कर दी गई.
लेकिन अब भाजपा गोगो दीदी योजना इस मंईयां सम्मान का तोड़ लेकर आयी और घोषणा कर दिया की हर महीने की 11 तारीख को ₹2100 देने का काम बीजेपी की सरकार करेगी. जब भाजपा सत्ता में आएगी तो पहले कैबिनेट की मीटिंग में इस प्रस्ताव को पास कर लिया जाएगा, लेकिन हड़बड़ाहट ऐसी की एक साथ सभी बूथ पर गोगो दीदी योजना का फॉर्म भी भरवाना शुरू कर दिया गया. इस फॉर्म में महिलाओं का नाम पता मोबाइल नंबर लिया जा रहा है, खुद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी इस योजना का फॉर्म अलग-अलग बूथ पर जाकर भरवा रहे हैं और 29 लाख महिलाओं को इस योजना से जोड़ने का लक्ष्य रखा है.
झारखंड के सत्ता में काबिज झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी एक योजना लॉन्च कर दिया है. जिसमें महिलाओं को ₹2500 और साल में ₹30000 देने का काम करेंगे. इसे लेकर फॉर्म भी जारी किया गया है जिसमें महिलाओं का नाम पता और अन्य जानकारी लेना शुरू कर दी गई है.
जिस तरह से झारखंड में पैसे बांटने की होड़ लगी है, इससे साफ है की अन्य मुद्दों के बल पर सभी पार्टियों चुनाव पर नहीं जाने वाली है, बल्कि फ्री की घोषणा और फ्री के पैसे खाते में भेज कर राज्य की सत्ता में काबिज होने में ज्यादा विश्वास कर रही है. चाहें सत्ता पक्ष की बात कर लें या विपक्ष की. झारखंड के मूल मुद्दों से हटकर मुफ्त की योजनाओं पर ज्यादा जोर देने में लगी है
झारखंड में स्थानीयता का मुद्दा बड़ा है. रोजगार का मुद्दा बड़ा है. पलायन एक बड़ा मुद्दा है, लेकिन चुनाव में यह तमाम मुद्दे गौण होते दिख रहे. आखिर इन मुद्दों को कौन उठाएगा? जब पक्ष और विपक्ष दोनों मुफ्त की राजनीति की रोटी सेंकने में लगे हैं.
रिपोर्ट-समीर हुसैन