धनबाद(DHANBAD): ट्रेन के किराए प्लेन के भाड़े को भी मात दे रहे हैं, बावजूद लंबी दूरी की यात्रा के लिए ट्रेन को ही लोग सस्ता और तेज विकल्प मानते हैं. देश में रेल यातायात का सबसे बड़ा साधन है. लेकिन कम से कम त्योहारों के समय रेल पर से लोगों का विश्वास डिग जा रहा है. छठ महापर्व अभी खत्म हुआ है. कितनी परेशानी से लोग अपने देश गए ,यह सोच कर ही उनके रोंगटे खड़े हो जा रहे हैं. अब उन्हें लौटने की चिंता सता रही है. जाने में जितनी परेशानी उठानी पड़ी, उससे कम परेशानी उन्हें लौटने में नहीं उठानी पड़ेगी.
120 दिन पहले से ट्रेनों में वेटिंग बोर्ड लगना शुरू
धनबाद की बात की जाए तो यहां भी वही स्थिति रही. पूर्व मध्य रेलवे के महा प्रबंधक कहते हैं कि धनबाद से सीधी ट्रेन की फिलहाल कोई जरूरत नहीं है. धनबाद लोडिंग डिवीजन है, इसलिए सीधी ट्रेन के बजाय आगे पीछे के स्टेशनों से ट्रेन चलाए गए हैं. छठ महापर्व तो खत्म हो गया लेकिन होली की चिंता अब लोगों के सिर पर सवार हो गई है. अगले साल 24 और 25 मार्च को होली है. मार्च में पंचांग के अनुसार शुभ लग्न भी हैं. कम से कम 10 विवाह के शुभ मुहूर्त हैं .ऐसे में मार्च में क्या स्थिति होगी, इसका अंदाज लगाया जा सकता है. फिलहाल 17 मार्च तक की एडवांस बुकिंग की लाइन खुल चुकी है. दूसरे राज्यों में रहने वाले हजारों लोग होली पर अपने घर आते हैं. लाइन खुलते ही 120 दिन पहले से मुंबई अहमदाबाद और सूरत से आने वाली ट्रेनों में वेटिंग का बोर्ड लगने लगा है. स्थिति यह है कि मुंबई हावड़ा मेल में होली से पूर्व 14 से 17 मार्च तक RAC, गांधीधाम हावड़ा गरबा एक्सप्रेस में 9 और 16 मार्च को वेटिंग, भावनगर आसनसोल पारसनाथ एक्सप्रेस में 12 मार्च को वेटिंग के बोर्ड लग चुके है. ऐसे में लोग कैसे आएंगे, इसकी चिंता से लोग दुबले हो रहे हैं.
धनबाद के साथ ट्रेन सुविधा के नाम पर खेल
छठ में धनबाद को लंबी दूरी की एक भी रिजर्व स्पेशल ट्रेन नहीं मिलने के कारण भी आने वाले लोग होली और विवाह में शामिल होने के लिए अभी से सजग हो गए हैं. लेकिन उनकी सजगता का उन्हें कितना फायदा मिलेगा,यह भविष्य के गर्भ में है. एक आंकड़े के मुताबिक पूरे देश में फिलहाल 10,748 ट्रेन चल रही है. कोरोना के पहले 10, 186 ट्रेन थी. ट्रेन यात्रा पर भारत के लोगों का कितना अधिक विश्वास और भरोसा है, इसका उदाहरण है कि आईआरसीटीसी की वेबसाइट दुनिया की सबसे अधिक हिट होने वाली वेबसाइट में से एक है. ट्रेन के किराए की बात की जाए तो यह धीरे-धीरे बड़ी समस्या बनती जा रही है. जिस अनुपात में लोगों को ट्रेन की सुविधा मिलनी चाहिए, उसे अनुपात में मिल नहीं रही है. धनबाद के साथ तो हमेशा ट्रेन सुविधा के नाम पर खेल होता रहा है ,और आज भी हो रहा है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो