रांची(RANCHI): बिहार में काफी राजनीतिक बयानबाजी और खींचतान के बाद जातिगत जनगणना की जा रही है. राजस्थान और कर्नाटक के बाद जातीय जनगणना कराने वाला बिहार देश का तीसरा राज्य है. बिहार के बाद अब जातीय जनगणना की मांग दूसरे राज्यों में भी शुरू हो चुकी है. बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड में अब कांग्रेस नेता ने जातीय जनगणना कराने की मांग की है.
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने मांग की है कि झारखंड में भी बिहार की तर्ज पर जातिगत जनगणना होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना नहीं होने से झारखंड के जनजातीय समुदाय के साथ अनुसूचित जाति, पिछड़े वर्ग और अन्य पिछड़े वर्ग की बड़ी आबादी सरकारी लाभ से वंचित है.
सरकारी योजनाओं और आरक्षण का नहीं मिल पा रहा सही लाभ
उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना नहीं होने से राज्य में आरक्षण का सही से लाभ नहीं मिल पा रहा है. इसके साथ ही ऐसे लोगों को सरकारी योजनाओं से भी वंचित होना पड़ रहा है. इस कारण से आरक्षण का मुख्य उद्देश्य सफल नहीं हो पा रहा है और समाज के ऐसे लोगों की सामाजिक और आर्थिक स्थित बद से बदतर होती जा रही है. इस स्थिति को रोकने के लिए जातीय जनगणना समय की मांग है. उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना नहीं होने से समाज वास्ताविक जरूरतों के अनुरूप आरक्षण नियमों का जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन करना मुश्किल है.
झारखंड गठन का उद्देश्य नहीं हुआ पूरा
बंधु तिर्की ने कहा कि झारखंड गठन का मुख्य उद्देश्य यहां के आदिवासियों, मूलवासियों और अन्य पिछड़े वर्गों को लाभ पहुंचाना था. जो कि अभी पूरा होता नहीं दिख रहा है. इसके लिए जरूरी है कि जातीय जनगणना कराया जाए. उन्होंने कहा कि ऐसे में बहुत जरूरी है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस मामले में अविलंब सकारात्मक निर्णय लें.
बिहार सरकार करा रही जाति आधारित जनगणना
बता दें कि बिहार मे 7 जनवरी से जातीय जनगणना की शुरुआत हुई है. बिहार सरकार ने इसके लिए 5000 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है. जातीय जनगणना का मुख्य उद्देश्य बिहार में रह रहे सभी जातियों के वास्तविक आंकड़े का पता लगाना है. सरकार का दावा है कि जाति आधारित गणना का यह आंकड़ा बिहार के विकास में और बिहार के आने वाले बजट को तैयार करने में मदद करेगी. बता दें कि काफी दिनों से बिहार में जातीय जनगणना कराने की मांग हो रही थी. लेकिन केंद्र ने जातीय जनगणना कराने से इनकार कर दिया, जिसके बाद बिहार सरकार ने राज्य सरकार के खर्च पर जातीय जनगणना कराने का फैसला किया.
बिहार से पहले दो राज्यों ने कराए जातिगत जनगणना
आपको बता दें कि बिहार से पहले अब तक 2 राज्यों में जातिगत आधारित जनगणना हुई है. सबसे पहले राजस्थान में जातीय जनगणना हुई. इसके बाद साल 2014-15 में कर्नाटक में जातीय जनगणना कराई गई. साल 2011 में सबसे पहले राजस्थान में जातीय जनगणना कराई गई लेकिन इसके आंकड़े आज तक जारी नहीं किए गए. ना ही सरकार ने इस रिपोर्ट को अब तक सार्वजनिक किया है. उस समय राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी. इसके बाद जब 2014-15 में कर्नाटक में जातीय जनगणना कराने का फैसला किया गया तब भी वहां कांग्रेस की ही सरकार थी. उस समय कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया थे. कर्नाटक में उसमें जातीय जनगणना के फैसले को असंवैधानिक बताया गया था, जिसके बाद सरकार ने इसका नाम बदलकर सामाजिक एवं आर्थिक सर्वे कर दिया. कर्नाटक सरकार ने इस पर 150 करोड रुपए खर्च किए. इस जनगणना का रिपोर्ट 2017 में कंठ राज समिति ने सरकार को सौंपा लेकिन यह रिपोर्ट भी अब तक सार्वजनिक नहीं हुआ है.