धनबाद(DHANBAD): धनबाद का तापमान 44 डिग्री पार चल रहा है और बिजली संकट ऐसा कि न लोगों को दिन में चैन मिल रहा है और ना रात में. रात में सोने जाने के ठीक पहले लाइन काट दी जाती है और बिजली आधी रात के बाद आती है. उसके बाद भी यह सिलसिला चलता रहता है. यह अलग बात है कि जीरो कट बिजली कोयलांचल को देने के वादे तो कई बार किए गए, लेकिन जीरो कट बिजली धनबाद के लोगों के नसीब में है ही नहीं . बिजली विभाग के पास अपने तर्क हैं तो डीवीसी के पास भी अपना लॉजिक है. लेकिन इन सब के बीच पीस रही है धनबाद की जनता. वैसे तो अब बहुत कम घर ही ऐसे होंगे, जहां इनवर्टर की व्यवस्था नहीं होगी. बावजूद इनवर्टर भी काम करना बंद कर दे रहे है. सूरज का ताप इतनी अधिक है कि लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है. सुबह-सुबह ही लू चलनी शुरू हो जाती है और दिन के 10 बजे तक तो बाहर निकलना भी मुश्किल हो जाता है. बिजली विभाग का कहना है कि लोड अधिक होने के कारण लाइन ट्रिप कर जा रही है. तो क्या 2024 में ही बिजली की डिमांड अधिक हुई है? आखिर जब ऊपर से निर्देश होता है कि आज बिजली नहीं कटनी है तो उस वक्त तो लाइन ट्रिप नहीं करती है. लेकिन सामान्य दिनों में तो बिजली की आपूर्ति व्यवस्था बिल्कुल खराब है.
आधे घंटे भी नहीं रहती बिजली
लोग पावर कट से परेशान रह रहे है. सुबह से शाम तक आधा आधे घंटे के अंतराल पर बिजली आती और जाती रहती है. यह समस्या प्राय सभी इलाकों में देखी जा रही है. बिजली विभाग भले ही कहता है कि गर्मी बढ़ते ही सभी फीडर में लोड बढ़ जा रहा है, जिससे बिजली संकट गहरा गया है. लेकिन इसका समाधान भी तो बिजली विभाग को ही करना है. गर्मी से जनजीवन तबाह है. इस स्थिति में धनबाद को जरुरत भर न बिजली और न जरूरत भर पानी मिल रहा है. एक अनुमान के अनुसार धनबाद को 600 मेगावाट से अधिक बिजली की जरूरत है. लेकिन 400 मेगावाट से अधिक बिजली मिलती नहीं है. उपभोक्ता लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन बिजली की सप्लाई नहीं अधिक हो रही है. यही हाल पानी का भी है. दामोदर नदी से जहां-जहां पानी की आपूर्ति होती है, वहां के लोग तो इस गर्मी में बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं, लेकिन जिन इलाकों में मैथन से जलापूर्ति होती है, वहां भी जरूरत भर पानी की सप्लाई नहीं हो पाती है. धनबाद के लोग बिजली के लिए पिछले कई वर्षों से त्राहिमाम कर रहे हैं लेकिन कोई समाधान निकलता नहीं है.
किसी प्रत्याशी के पास कोई कार्य योजना नहीं
अभी चुनाव का वक्त है, प्रत्याशी वोटरों के घर-घर घूम रहे है. बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं लेकिन धनबाद का दुर्भाग्य भी देखिए, कि बिजली और पानी यहां का कभी मुद्दा नहीं बना. कोई भी प्रत्याशी डंके की चोट पर यह नहीं कह सकता है कि उसने पानी सप्लाई को ठीक करने की योजना तैयार कर रखा है. यह तो गनीमत है कि पूर्व राज्यसभा सांसद परमेश्वर कुमार अग्रवाल ने काफी जद्दोजहद के बाद मैथन से धनबाद को जलापूर्ति शुरू कराने में अपनी भूमिका निभाई. उसे समय उन्हें बताया गया कि मैथन से धनबाद ऊंचाई पर है. ऐसी स्थिति में पानी की सप्लाई नहीं हो पाएगी, लेकिन परमेश्वर अग्रवाल ने अपने ढंग से सारी परिस्थितियों की समीक्षा की और प्रयास शुरू किया. उनका प्रयास रंग लाया. धनबाद शहर को मैथन से जलापूर्ति शुरू हुई. लेकिन उसके बाद पानी पर भी राजनीति भी हुई. आज धनबाद शहर को मैथन से सिर्फ एक शाम ही पानी मिल रहा है. पानी संकट लोग झेल रहे हैं, बाल्टी डेगची और तसली में पानी का जुगाड़ कर रहे है. पौ फटने के साथ ही लोग पानी की तलाश में जुट जाते है. पानी की बिक्री धनबाद कोयलांचल में एक बड़ा व्यवसाय बन गया है. यह व्यवसाय चाहे बोतल बंद पानी का हो अथवा टैंकर से जलापूर्ति का.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो