रांची(RANCHI): नक्सलवाद को खत्म करने के लिए उनकी बहाली की गई थी, लेकिन आज यह खुद नक्सली बनने को तैयार हैं. दरअसल लंबे समय से सहायक पुलिसकर्मी अपनी मांगों को लेकर सरकार से लड़ाई लड़ रहे है. बता दें कि पिछले कई सालों से सहायक पुलिस कर्मी अपनी मांग को साथ आंदोलन कर रहें है. लेकिन सरकार की ओर से इनकी मांगो पर कोई विचार नहीं किया जा रहा हैं. अगर सरकार की ओर से कुछ दिया गया है तो सिर्फ झुठे आश्वासन और झुठे वादे.
बता दें कि सहायक पुलिस कर्मियों का यह तीसरा आंदोलन है. पिछले एक सप्ताह से झारखंड के 12 जिले के सहायक पुलिस कर्मी फिर से मोराबादी मैदान में अपना तंबू गाड़कर बैठ गए हैं. वहीं आज उनके ओर से राजभवन का घेराव किया जा रहा था, लेकिन प्रशासन की ओर से बैरिकेडिंग लगाकर रोकने का प्रयास किया गया.
सरकार हम सभी पुलिस कर्मी से कर रही सौतेला व्यवहार
वहीं विरोध में शामिल सहायक पुलिस कर्मियों का कहना है कि हेमंत सोरेन की सरकार हमें नक्सली बनने के लिए मजबूर कर रहीं है. उनका कहना है कि सरकार ने हम सभी से 2017 में वादा किया था कि जल्द ही सभी सहायक पुलिस कर्मियों को जिला पुलिस में शामिल और उनकी वेतन में भी बढ़ोतरी की जाएगी, लेकिन आज सरकार की ओर से हमें ना कोई मान सम्मान दिया जा रहा है और ना ही हमारे वेतन में बढ़ोतरी की गई है.
10 हजार में कैसे करे अपने परिवार का पालन पोषण
वहीं धरना दे रहे कुछ सहायक पुलिस कर्मियों का कहना है कि जब यह बहाली हुई थी तो हम अविवाहित थे, लेकिन आज हमारी शादी और छोटे बच्चे भी हैं. 10 हजार में हम उनका पालन पोषण कैसे करेंगे. अब तो हमें कहीं नौकरी भी नहीं मिल रही है. आखिरकार यह सरकार हम सभी से क्या चाहती है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार यह चाहते हैं कि हम सभी आत्महत्या कर ले तो एक बार आकर हमसे यह बात कहें हम यह भी करने को तैयार है, लेकिन इसके बदले में सरकार को हमारे परिवार का पूरा ख्याल रखना होगा.