दुमका(DUMKA):विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है भारतीय जनता पार्टी.बीजेपी अनुशासित पार्टी होने का दंभ भर्ती है.इन दिनों झारखंड के संथाल परगना प्रमंडल में बीजेपी में भूचाल मचा है. हालात देख कर तो नहीं लगता कि यह अटल - आडवाणी सरीखे नेताओं से सिंचित बीजेपी हो? सवाल उठता है कि आखिर गईबीजेपी को किसकी नजर लग गयी? नजर उतारने के लिए पार्टी आलाकमान द्वारा पहल भी होगी या फिर झामुमो मुक्त संथाल परगना का नारा लगाते लगाते बीजेपी मुक्त संथाल परगना बन जायेगा?
400 पार का नारा देने वाली बीजेपी सिमट गई 240 पर
लोक सभा चुनाव 2024 सम्पन्न हो गया.देश भर में बीजेपी का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा. 400 पार का नारा देने वाली बीजेपी को 240 सीट से संतोष करना पड़ा.गठबंधन के घटक दलों के सहारे लगातार तीसरी बार नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने.केंद्र में सरकार का गठन हुआ.
समीक्षा बैठक के दौरान दुमका और देवघर में आपस में भीड़ गए बीजेपी कार्यकर्ता
सरकार बनने के बाद बीजेपी अपने निराशाजनक प्रदर्शन की समीक्षा कर रही है.खासकर उन राज्यों में जहां निकट भविष्य में विधानसभा का चुनाव होना है.इस सूची में एक नाम झारखंड का भी है. समीक्षा बैठक के दौरान संथाल परगना प्रमंडल में बीजेपी की गुटबाजी चरम पर आ गयी.पहले दुमका फिर देवघर में कार्यकर्ताओं के बीच तीखी नोक झोंक, धक्का मुक्की के बाद हाथापाई हो ही गयी.
सोशल मीडिया पर जंग के बीच पुतला दहन और सीता सोरेन का विस्फोटक बयान
सोशल मीडिया पर नेताओं के बीच जंग छिड़ा है. उधर दुमका से बी जे पी प्रत्याशी सीता सोरेन ने विस्फोटक बयान देकर आग में घी डालने का काम किया.मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सीता ने हार का ठीकरा पूर्व सांसद सुनील सोरेन, पूर्व मंत्री डॉ लुइस मरांडी और सारठ विधायक रणधीर सिंह पर फोड़ते हुए बिकने तक का आरोप लगा दिया. उधर देवघर में विधायक नारायण दास और सांसद निशिकांत दुबे के समर्थक आमने सामने हैं.दुमका हो या देवघर मामला थाना तक पहुच गया.देवघर में एक कदम आगे बढ़ाते हुए पुतला दहन तक हो गया.हर तरफ बी जे पी की फजीहत हो रही है.मजे मारने वाले मूक दर्शक बनकर मजे ले रहे हैं.
2016 में प्रदेश कार्य समिति की बैठक में बीजेपी ने दिया था झामुमो मुक्त संथाल परगना प्रमंडल का नारा
वर्तमान समय मे संथाल परगना में बी जे पी की फजीहत देखकर तो ऐसा नहीं लगता कि यह पार्टी अनुशासित पार्टी हैजिसे अटल - आडवाणी सरीखे नेताओं ने सिंचित किया हो.झारखंड के परिदृश्य में बात करें तो बी जे पी में प्रदेश कार्य समिति की बैठक दुमका में हुई थी. रघुवर दास सीएम थे और प्रदेश बीजेपी की कमान ताला मरांडी के हाथ मे था. प्रदेश कार्य समिति की बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए तत्कालीन सीएम रघुवर दास ने कहा था कि झामुमो मुक्त संथाल परगना बनाने के लिए कार्यकर्ताओं ने कमर कस लिया है. उसके बाद 2019 में हुए लोक सभा चुनाव में बी जे पी ने गोड्डा के साथ साथ दुमका सीट पर बिजय पताका लहराया. दिशोम गुरु शीबू सोरेन को दुमका सीट पर पराजय का सामना करना पड़ा. लगा कि बी जे पी लक्ष्य की ओर अग्रसर हो रहा है, लेकिन 2019 के विधान सभा चुनाव में बीजेपी को संथाल परगना प्रमंडल में अपेक्षित सफलता नहीं मिली.दुमका सहित कई ऐसे सीट पर बीजेपी को पराजय का सामना करना पड़ा.जहाँ 2014 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने जीत का स्वाद चखा था. अंतर्कलह की वजह से बीजेपी का झामुमो मुक्त संथाल परगना का सपना साकार नहीं हो सका.
बाबूलाल मरांडी की घर वापसी के बाबजूद बीजेपी का निराशा जनक प्रदर्शन, हारे सभी एसटी सीट
2019 के विधान सभा चुनाव परिणाम के बाद राज्य की सत्ता झामुमो और उसके घटक दलों के पास चली गयी. इसके बाबजूद बीजेपी ने हार नहीं मानी. झामुमो मुक्त संथाल परगना प्रमंडल के सपने को साकार करने के लिए पार्टी को एक आदिवासी चेहरे की दरकार थी.राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को घर वापसी कराया गया। प्रदेश भाजपा की कमान सौपी गयी.लगा कि कुशल संगठन कर्ता बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में बीजेपी नई ऊंचाइयों को छुएगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं. चार वर्षों तक प्रदेश का सघन दौरा करने के बाबजूद वर्ष 2024 के लोक सभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा.सभी 5 एसटी सुरक्षित सीट पर बीजेपी को पराजय का सामना करना पड़ा दुमका सीट पर झामुमो ने वापसी कर यह साबित किया कि संथाल परगना प्रमंडल झामुमो का गढ़ था और है. अब जब जीत और हार की समीक्षा हो रही है तो जगह जगह पार्टी कार्यकर्ता आपस में ही लड़ते झगड़ते नजर आ रहे है, जो दर्शाता है कि बीजेपी का अंतर्कलह पार्टी की नैया डुबाने के लिए पर्याप्त है.
ऐसे में बीजेपी के लिए दिवा स्वप्न ही साबित होगा झामुमो मुक्त संथाल परगना प्रमंडल का सपना
हार और जीत की समीक्षा होनी ही चाहिए.यह भी सही है कि जब ज्यादा बर्तन रखा जाता है वह ढनमानता ही है.या यूं कहें कि जहाँ परिवार के अधिक सदस्य रहते हैं तो तकरार होता ही है,लेकिन परिवार के मुखिया का दायित्व होता है कि सभी सदस्यों को साथ लेकर चले.झारखंड बीजेपी के परिदृश्य में आला कमान की भूमिका और महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि कुछ महीने बाद ही यहां विधानसभा चुनाव होना है,लेकिन जिस तरह से वर्तमान से लेकर पूर्व जन प्रतिनिधियों के बीच तल्खी बढ़ रही है, उसे देख कर तो यही कहा जा सकता है कि बीजेपी का झामुमो मुक्त संथाल परगना प्रमंडल का सपना दिवास्वप्न ही साबित होने वाला है.
रिपोर्ट-पंचम झा