बोकारो (BOKARO) : बोकारो जिला के गोमिया प्रखंड अंतर्गत साड़म में विशेष प्रमंडल विभाग से लगभग एक करोड़ चार लाख रुपए की लागत से नवनिर्मित अस्पताल भवन इन दिनों विभागीय लापरवाही का शिकार होता दिख रहा है. अस्पताल भवन कई जगह से जर्जर हो चुका है. मजेदार बात यह है कि यह भवन काफी समय पूर्व ही बनकर तैयार हो गया था. लेकिन संबंधित विभाग ने इस भवन को स्वास्थ्य विभाग को हैंडओवर करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई.
विधायक ने अस्पताल जल्द चालू करने का दिया आश्वासन
बीते दिनों गोमिया विधायक डॉ लम्बोदर महतो ने इस अस्पताल भवन का औचक निरीक्षण किया था. तो उन्होंने पाया कि लगभग दस वर्ष पूर्व बना यह अस्पताल भवन विभागीय लापरवाही का शिकार हो गया है. इसी लापरवाही के चलते आज यह अस्पताल भवन अपने उद्घाटन होने का बाट जोह रहा है. अस्पताल भवन कई जगहों से जर्जर हो चुका है. दरवाजे और खिड़कियां भी टूट चुकी हैं. दीवारों पर झाड़ियां उग आई है. उन्होंने कहा कि इस अस्पताल भवन को दुरुस्त करने एवं इसे जल्द ही चालू कराने को लेकर सूबे के मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री से बात करेंगे.
वहीं इस संबंध में होसिर के पूर्व मुखिया घनश्याम राम का कहना कि, सरकार के द्वारा इस तरह के भवन बनाकर सरकारी पैसे का दुरुपयोग क्यों किया जाता है. सरकार द्वारा ऐसे भवन तो बनाए जाते है लेकिन इसका उपयोग आम लोग नहीं कर पाते.
2005-06 में किया गया था शिलान्यास
जानकारी के अनुसार वर्ष 2005-06 में तत्कालीन मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री ने इस अस्पताल भवन का ऑनलाइन शिलान्यास किया था. जिसके बाद लोगों को यह आस जगी थी कि अब उन्हें अपने इलाज कराने के लिए बाहर जाना नही पड़ेगा, परंतु उनकी आश समय के साथ धूमिल होती चली गई. आज स्थिति यह हो गई है कि आज यह भवन अपने अतीत की यादों में खोता चला जा रहा है. आपको बता दें कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गोमिया में भीड़ को कम करने एवं घनी आबादी को देखकर नजदीक में स्वास्थ्य सेवा का लाभ देने की मंशा से साडम में छह बेड का अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र का भवन निर्माण कराया गया. इसके लिए सभी आधुनिक संसाधनों के अलावा चिकित्सक एवं नर्स सहित स्वाथ्यकर्मियों के लिए आवास बनाये गये थे.
लोगों द्वारा उठाए जा रहे कई सवाल
अब लोगो के द्वारा सवाल उठाना भी लाजिमी है कि ऐसे भवन को बनाने से क्या फायदा, जिसका उद्घाटन ही न हो. सरकारी पैसे से तो भवन बन जाते है. लेकिन लोगों को इसकी सुविधा नही मिल पाती है. वहीं लोगों के जेहन में एक ही सवाल है कि सरकार, सरकार के प्रतिनिधि, संबंधित विभाग एवं संवेदक में से आखिर कौन इसका जिम्मेवार है.
रिपोर्ट. संजय कुमार