दुमका (DUMKA) : झारखंड में समय-समय पर भूख से मौत की सूचना आती है. वैसे तो भूख से मौत की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं होती क्योंकि मौत को भूख के बजाय कुपोषण से जोड़ दिया जाता है. कुपोषण मतलब संतुलित आहार का ना मिलना. सामान्य बोल चाल की भाषा मे हम बोल देते है कि कोई भूख से मर रहा है तो कोई खाते -खाते मर रहा है.
केंद्र से लेकर राज्य सरकार का यह प्रयास है कि कोई भी व्यक्ति भूखे ना सोए. इसके लिए सार्वजनिक जन वितरण प्रणाली की व्यवस्था की गई है. जहां जरूरतमंदों को प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराए गए. राशन कार्ड पर उन्हें राशन दिया जाता है. लेकिन दुमका में गरीबों के निवाले पर सुखी संपन्न लोग कब्जा जमाए हुए हैं. यह हम नहीं कह रहे हैं. दुमका प्रखंड का आंकड़ा यह बता रहा है कि अवैध राशन उठाव के खिलाफ प्रशासन ने जब सख्ती दिखानी शुरू की तो महज कुछ महीनों के भीतर ही दुमका प्रखंड में 400 से ज्यादा सुखी संपन्न लोगों ने राशन कार्ड सरेंडर करवा दिया.
अवैध राशन उठाव को लेकर लगातार की जा रही छापेमारी
समय-समय पर प्रखंड विकास पदाधिकारी राजेश कुमार सिन्हा द्वारा औचक छापेमारी की जाती है. जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आते हैं. अब आज की कार्रवाई की बात करें तो अवैध राशन उठाव के खिलाफ प्रखंड विकास पदाधिकारी ने अभियान चलाया तो पोखरा चौक के पास एक ऐसे परिवार के घर पहुंचे, जिन्हें एक नहीं दो-दो दोमंजिला भवन है. गृह स्वामी सरकारी सेवा से निवृत्त हुए हैं. एक बेटा सरकारी नौकरी कर रहा है, वहीं दूसरे बेटे की मौत अगस्त 2018 में होने के बावजूद उसके नाम से राशन का उठाव अनवरत किया जा रहा है. वहीं रानी बागान मोहल्ला में एक ऐसे परिवार के घर पर छापेमारी की गई जहां आलीशान 4 मंजिला इमारत खड़ी है. स्थानीय लोगों से पूछताछ में पता चला कि इनके और जगह भी घर हैं जहां परिवार के सदस्य रहते हैं. इनके बारे में भी कहा जा रहा है कि सुखी संपन्न होने के बावजूद यह वर्षों से राशन का उठाव कर रहे हैं. इस बाबत सदर बीडीओ राजेश कुमार सिन्हा ने कहा कि अवैध तरीके से राशन उठाव करने वाले लोगों से राशन की कीमत वसूल की जाएगी. साथ ही संबंधित जन वितरण प्रणाली विक्रेता पर भी कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी.
गरीबों के हक को मार रहे संपन्न लोग
सरकार आम लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही है. जिसका लाभ वर्षों से लोग ले रहे हैं. इसके बावजूद सरकारी आंकड़ों में वह गरीब ही बने हुए हैं. नतीजा यह होता है कि वह वास्तविक स्थिति में वह सुखी संपन्न होने के बावजूद गरीब परिवार के हक को मार रहे हैं. जब तक वैसे लोगों की आत्मा उन्हें धिक्कारेगी नहीं तब तक इस तरह के फर्जीवाड़े पर अंकुश लगाना प्रशासन के समक्ष कड़ी चुनौती होगी.
रिपोर्ट : पंचम झा, दुमका