धनबाद(DHANBAD): धनबाद में अपराध के तार जेल से जुड़ने रहे हैं. समय चाहे "पंचदेवो" का रहा हो, माफिया का रहा हो या अमन सिंह गैंग या फिर वर्तमान में प्रिंस खान गैंग का हो .किसी ने किसी रूप में अपराधियों की गतिविधियों के लिंक धनबाद जेल से जोड़े जाते रहे हैं. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने धनबाद के तत्कालीन जेलर अश्वनी तिवारी के खिलाफ जांच शुरू कर दी है. अश्वनी तिवारी पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप है. धनबाद में जब वह जेलर थे तो उन्हें निलंबित कर दिया गया था. निलंबित करने की वजह भी अमन सिंह गैंग को बताया गया था. 1985 में क्लर्क में नियुक्ति होने के बाद वह जेलर की कुर्सी तक पहुंचे. आरोप के मुताबिक पद पर रहते हुए उन्होंने कई जगहों पर फ्लैट खरीदे. कई अचल संपत्तियां बनाई. उनका बेटा कनाडा में पढ़ता था. 15 लाख नगदी उसके बैंक में जमा कराए गए थे .
2022 में निलंबित हुए थे अश्वनी तिवारी
धनबाद में जेलर के पद पर रहते हुए अश्वनी तिवारी को तत्कालीन जेल आईजी मनोज कुमार ने 2022 में निलंबित किया था. यह निलंबन अमन सिंह को सहयोग करने के आरोप में हुआ था. उस वक्त धनबाद के एक डॉक्टर से अमन सिंह ने धनबाद जेल से रंगदारी मांगी थी. डॉक्टर से जिस समय रंगदारी मांगी गई थी, उस वक्त सीने में दर्द की शिकायत कर अमन सिंह जेल अस्पताल चला गया था और वहीं से फोन कर उसने रंगदारी मांगी थी. जेल आईजी ने जब जेल के सीसीटीवी की जांच की तो पता चला की जेल अस्पताल में एक ऐसा क्षेत्र था, जिसे सीसीटीवी की पहुंचे दूर रखा गया था. वहीं जाकर अमन सिंह ने फोन किया था.
अश्वनी तिवारी पर कानून कसेगा शिकंजा
अमन सिंह गैंग से जेलर की मिली भगत का आरोप जेल आईजी ने जांच में सही पाया था. इसके बाद 13 मई 2022 को अश्वनी तिवारी को निलंबित कर दिया गया था. अब निगरानी ब्यूरो ने पीई दर्ज कर उनके खिलाफ जांच की कार्रवाई शुरू की है. सूत्र बताते हैं कि अश्वनी तिवारी अब सेवानिवृत हो गए हैं. सरकारी नौकरी में रहते हुए उन्होंने आय से अधिक संपत्ति अर्जित की. चास जेल में भी वह पदस्थापित रह चुके हैं. वहां भी आशियाना बनाने की खबर है. बहर हाल देखना है एसीबी की जांच कितनी तेजी से आगे बढ़ती है और अश्वनी तिवारी पर कानून का शिकंजा कितना जल्द कसता है. जो भी हो लेकिन धनबाद जेल हमेशा चर्चे में रहा है. फिलहाल वासेपुर गैंग्स की गतिविधियों के बीच धनबाद जेल पर भी पुलिस से लेकर प्रशासन की पैनी निगाह है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो