धनबाद(DHANBAD); झरिया की आर्थिक सेहत भले ही कमजोर हो गई है, लेकिन राजनीतिक तपिश अभी भी बनी हुई है. झरिया की राजनीति में मजदूर संगठन की बड़ी भूमिका है. मजदूर संगठन भी टुकड़ों में बटे एक ही परिवार के लोग चलाते हैं. इस मजदूर संगठन में आया राम और गया राम का भी खेल खूब होता है.
जनता श्रमिक संघ को लगा झटका
पहले एक यूनियन थी, जनता मजदूर संघ. टूट-फूट कर यह तीन टुकड़ों में बट गई. जनता मजदूर संघ, कुंती गुट, जनता मजदूर संघ, बच्चा गुट और जनता श्रमिक संघ. तीनों टूट जनता मजदूर संघ के ही हैं. जनता श्रमिक संघ का नेतृत्व पर्दे के पीछे से जेल में बंद पूर्व विधायक संजीव सिंह करते हैं. तो जानता श्रमिक संघ कुंती गुट की कमान संजीव सिंह के छोटे भाई सिद्धार्थ गौतम के पास है. जनता मजदूर संघ, बच्चा गुट की कमान बच्चा बाबू संभालते हैं. जनता श्रमिक संघ के गठन के समय उत्साहित अभिषेक सिंह अब जनता श्रमिक संघ का साथ छोड़कर जनता मजदूर संघ, बच्चा गुट में शामिल हो गए हैं. इसे जनता श्रमिक संघ को झटका कहा जा रहा है.
अभिषेक सिंह ने थामा जनता मजदूर संघ, बच्चा गुट का दामन
अभिषेक सिंह को सिंह मेंशन और खासकर संजीव सिंह का काफी करीबी माना जाता रहा है. लेकिन सोमवार को उन्होंने जनता मजदूर संघ, बच्चा गुट का दामन थाम लिया. बच्चा सिंह की मौजूदगी में उन्होंने यूनियन की सदस्यता ग्रहण की .जनता श्रमिक संघ क्यों छोड़ा, इस पर तो अभी कुछ नहीं बोल रहे हैं. यह जनता श्रमिक संघ के लिए कितना असर डालेगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
वैसे भी झरिया विधानसभा चुनाव को लेकर सक्रियता बढ़ी हुई है. सिंह मेंशन और रघुकुल गुट इस सीट को अपने प्रतिष्ठा से जोड़कर रखा है. 2019 में पूर्णिमा नीरज सिंह झरिया सीट से अपनी गोतनी रागिनी सिंह को पराजित कर चुनाव जीता. उसके बाद भी रागिनी सिंह की सक्रियता झरिया में बनी हुई है और वह भाजपा के टिकट पर झरिया से संभावित उम्मीदवार भी है.
क्या झरिया सीट से कांग्रेस की टिकट पर ही चुनाव लड़ेगी पूर्णिमा नीरज सिंह
इधर, झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने जब राम कथा का आयोजन किया और उसमें भाजपा के छोटे-बड़े नेताओं को आमंत्रित किया, तो इसके कई राजनीतिक माने मतलब निकाले जाने लगे. सूत्र बताते हैं कि वह झरिया सीट से कांग्रेस की टिकट पर ही चुनाव लड़ेगी. सूत्र तो यह भी बताते हैं कि झरिया विधायक ने इफ्तार का आयोजन किया था, उसके बाद राम कथा का आयोजन कर यह संदेश देने का प्रयास किया है कि उनके लिए दोनों समुदाय बराबर हैं.
बहर हाल जो भी हो, अगर पूर्व मंत्री आबो देवी के कार्यकाल को छोड़ दिया जाए तो 1977 से झरिया सीट पर स्वर्गीय सूर्य देव सिंह के परिवार का ही कब्जा रहा है. इस परिवार की राजनीति भी झरिया से ही चलती है .झरिया ही इस परिवार के लिए खाद, पानी उपलब्ध कराती है. बहरहाल जनता श्रमिक संघ से अभिषेक सिंह का छोड़ना, इसकी आगे की राजनीति पर कितना असर डालेगा यह देखने के लिए समय की प्रतीक्षा करनी होगी.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो