धनबाद(DHANBAD) : दामोदर नदी झारखंड की "लाइफ लाइन" है. इसका इतिहास गौरवशाली रहा है, लेकिन वर्तमान संकट में है. कोयलांचल की जिंदगी तो इसी नदी पर टिकी हुई है. लेकिन इस नदी को कचरा बहाने का जरिया बना लिया गया है. अब यह नदी केंद्रीय कोयला मंत्री और झारखंड के मुख्यमंत्री से गुहार कर रही है कि मुझे बचा लीजिए, अन्यथा मेरी आंचल का पानी अगर सूख गया तो झारखंड सहित कोयलांचल तबाह हो जाएगा. इस नदी की हालत पर झारखंड के चर्चित विधायक सरयू राय ने एक पुस्तक भी लिखी थी. शीर्षक था देव नद- दामोदर की व्यथा, लेकिन समय के साथ इस नदी की हालत बिगड़ती गई और अब यह नदी कई जगहों पर नाले का रूप ले लिया है.
इसी नदी से झरिया सहित आसपास के कई इलाकों में जलापूर्ति होती है. वाशरियो से कचरा प्रवाहित होने की वजह से अब तो जलापूर्ति भी प्रभावित होने लगी है. एक सप्ताह पहले नदी में अचानक कचरे के प्रवाह से पानी काला हो गया था. तब जलापूर्ति बंद कर दी गई थी. इधर, पता चला है कि दामोदर नदी में प्रदूषित पानी छोड़ने के मामले में झारखंड खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार ने मुनीडीह कोलवाशरी को नोटिस दिया है. कहा गया है कि प्रदूषित पानी को नदी में बहाना नहीं रोका गया, तो कार्रवाई की जाएगी. बता दे कि दामोदर के पानी को शोधित कर झरिया ,बस्ताकोला , धनसार , फुलबंगला , डिगवाडीह , पाथर डीह, कुसुंडा, पुटकी, लोयाबाद, भूली तथा कोलियरी क्षेत्र में जलापूर्ति की जाती है.
29 नवंबर की रात को दामोदर नदी में प्रदूषित काला पानी छोड़ा गया. जांच में पता चला कि प्रदूषित पानी मुनीडीह वाशरी से आ रहा है. इस वजह से 3 दिन तक जलापूर्ति ठप रही. इस नदी के अगल-बगल कोयल का अकूत भंडार है. कोयला आधारित उद्योग है, लेकिन उद्योगों से प्रदूषित पानी नदी में बगैर किसी शोध व्यवस्था के बहा दिया जाता है. नतीजा होता है कि यह नदी अब धीरे-धीरे अपना अस्तित्व खो रही है. आइये बताते है इस नदी का इतिहास ---दामोदर नदी (Damodar River) झारखण्ड और पश्चिम बंगाल राज्यों में बहती है. इस नदी के जल से पनबिजली की महत्वाकांक्षी दामोदर घाटी परियोजना चलाई जाती है, जिसका संचालन दामोदर घाटी निगम करता है.
अतीत में इस नदी में भयंकर बाढ़ आया करती थी, जिसके कारण इसे "दुख की नदी" कहा जाता था, लेकिन बाद में इस पर नियंत्रण कर लिया गया. दामोदर नदी झारखण्ड के छोटा नागपुर क्षेत्र से निकलकर पश्चिमी बंगाल में पहुँचती है. हुगली नदी के समुद्र में गिरने के पूर्व यह उससे मिलती है. इसकी कुल लंबाई 592 km है. पहले नदी में एकाएक बाढ़ आ जाती थी ,जिससे इसको 'बंगाल का अभिशाप' कहा जाता था. इस नदी पर बाँध बनाकर जलविद्युत् उत्पन्न की जाती है, कोनार तथा बराकर इसकी सहायक नदियाँ है. दामोदर नदी की कई सहायक नदियाँ और उपसहायक नदियाँ हैं, जैसे बराकर, कोनार, बोकारो, हाहारो, जमुनिया, घरी, गुइया, खड़िया और भेड़ा , दामोदर और बराकर छोटा नागपुर पठार को विभाजित करते है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
