दुमका(DUMKA): शादी मतलब 7 जन्मों का बंधन. जब भी शादी विवाह का जिक्र होता है तो लोगों के जेहन में सबसे पहले बैंड, बाजा और बारात आता है. लेकिन आज हम एक ऐसे शादी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें ना तो बैंड है, ना बाजा और ना ही बारात. दूल्हा दुल्हन की उम्र में जमीन आसमान का फासला है और यही वजह है कि दुमका जिला में हर तरफ इस शादी की चर्चा है.
दुमका के रानीश्वर प्रखंड के आदिवासी बाहुल्य श्यामपुर गांव में एक किशोरी की मांग भरते ये हैं कुसुम कानन दास. सेवानिवृत शिक्षक कुसुम कानन दास मूल रूप से पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिला के आबदार पुर गांव के रहने वाले हैं. पश्चिम बंगाल के सिउड़ी में रहकर कुसुम कानन दास दुमका के रानीश्वर प्रखंड के श्यामपुर गांव के विद्यालय में नौकरी करते थे. बताया जा रहा है कि लगभग 6 महीने पहले कुसुम कानन दास शिक्षक की नौकरी से सेवानिवृत्त हो गए. इसके बाबजूद श्यामपुर गांव से उनका ऐसा लगाव बना रहा कि अक्सर लोग उन्हें गांव में घूमते देखते थे. उनका यह लगाव गांव से नहीं बल्कि गांव की एक किशोरी से था. ग्रामीणों को शक तो पहले से ही था, लेकिन सोमवार को ग्रामीणों का शक उस वक्त यकीन में तब्दील हो गया जब लोगों ने गांव की एक किशोरी के साथ आपत्तिजनक स्थिति में उसे रंगेहाथ पकड़ लिया. फिर क्या, बिना बैंड बाजा और बारात के ग्रामीणों ने किशोरी के साथ सेवानिवृत शिक्षक कुसुम कानन दास की शादी करवा दी. कुसुम कानन दास ने भी खुशी खुशी शादी कर ली. बताया जा रहा है कि कुछ महीने पूर्व कुसुम कानन दास की पत्नी की संदेहास्पद स्थिति में मौत हो गयी थी.
रिपोर्ट: पंचम झा