देवघर(DEOGHAR): श्रावण माह में स्पर्श पूजा करना है तो मंदिर परिसर स्थित नर्मदेश्वर महादेव पर जलार्पण करने से वही फल प्राप्त होगा जो पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग का स्पर्श करने से. गौरतलब है कि प्रत्येक दिन देवघर स्थित पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग का जलाभिषेक करने लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के पहुँचने का सिलसिला शुरु हो जाता है. अपार भीड़ के कारण सभी के लिए पवित्र कामना लिंग का जलाभिषेक कर पाना संभव नहीं हो पाता है. ऐसे में बाबा बैद्यनाथ मंदिर परिसर स्थित नर्मदेश्वर महादेव का जलाभिषेक करना ही एक मात्र विकल्प रह जाता है जिसके जलाभिषेक से वही फल मिलता है जो पवित्र द्वाद्श ज्योतिर्लिंग से मिलता है.
इन शिवलिंग का जलाभिषेक कर भी बन सकते हैं पुण्य के भागी
बोल बम और हर-हर महादेव का जयघोष करते श्रद्धालु पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग का जलाभिषेक करने देवघर पहुँचते हैं. लेकिन अत्यधिक भीड़ के कारण इनमें से कुछ जलाभिषेक से वंचित रह जाते हैं. ऐसे में पवित्र ज्योर्तिलिंग के विकल्प के तौर पर मंदिर परिसर में नर्मदेश्वर महादेव,स्वर्णवेल बाबा,धन कुबेर बाबा और पंचमुखी रुद्र लिंग भी स्थापित हैं. जानकारों के अनुसार जो भक्त किसी कारणवश पवित्र ज्योतिर्लिंग का जलाभिषेक नहीं कर पाते हैं वो नर्मदेश्वर महादेव सहित इन शिवलिंग का जलाभिषेक कर भी पुण्य के भागी बन सकते हैं. देवघर मंदिर परिसर स्थित मुख्य मंदिर के उत्तर दिशा में नर्मदेश्वर महादेव विराजमान हैं. जानकारों के अनुसार मुख्य शिवलिंग पर जलाभिषेक या स्पर्श पूजा से वंचित श्रद्धालु नर्मदेश्वर महादेव का जलाभिषेक कर ज्योतिर्लिंग के बराबर पुण्य के भागीदार बन सकते हैं. यहां की पुरानी परंपरा में यह शामिल है. यहां के तीर्थ पुरोहित भी जलाभिषेक करते हैं.
एक ही शिवधाम में एक से अधिक शिवलिंग
एक ही शिवधाम में एक से अधिक शिवलिंग विरले ही पाये जाते हैं लेकिन देवघर मंदिर परिसर में मूल के अलावा 4 अन्य शिवलिंग स्थापित है. नर्मदेश्वर महादेव के अलावा यहाँ पंचमुख शिवलिंग भी विराजमान हैं जिन्हें ब्रह्मा के रुप में जाना जाता है. यह रुद्र हैं और अग्नि कुण्ड में इनका स्थान माना जाता है. वही कुबेर बाबा और स्वर्णवेल शिवलिंग की स्पर्श और जलाभिषेक करने से मूल ज्योर्तिलिंग जैसा प्रभाव मिलता है. बैद्यनाथधाम की ऐसी ही विशेषतायें इसे अन्य शिवधाम से अलग पहचान देता है.
रिपोर्ट: रितुराज सिन्हा