भोपाल (BHOPAL) : दो और तीन दिसंबर 1984 की रात भोपाल के लोगों के लिए ऐसी काली रात थी, जहां हजारों लोग रात में जो सोए तो सुबह नहीं देख पाए. जहरीली गैस कांड के कारण तत्काल तो लगभग 3770 लोग मरे थे, लेकिन उसके बाद बीमारी की वजह से हजारों लोग काल के मुंह में समा गए. इस गैस कांड के 40 साल पूरे हो गए हैं. आज भी इसका प्रभाव देखा जा रहा है. हजारों लोग आज भी अपंगता के शिकार हैं. आज इस कांड की बरसी है.
भोपाल गैस त्रासदी के बारे में जानिए विस्तार से
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल शहर से कुछ दूर छोला रोड पर स्थित यूनियन कार्बाइड कंपनी कीटनाशक प्रोडक्ट बनाती थी. यूनियन कार्बाइड के इस प्लांट में मिथाइल आइसोसायनाइड नमक जहरीली गैस का उपयोग होता था. 2 दिसंबर, 1984 की रात जमीन के नीचे स्थित टैंक की सफाई हो रही थी, तभी वहां जहरीली गैस के लीक होने के संकेत मिले. इस टैंक के अंदर जो मजदूर थे वे तत्काल भागे और अपने अधिकारियों को इसकी सूचना दी. लेकिन गैस का रिसाव तेजी से होने लगा और टैंक के अंदर का तापमान भी बढ़ गया. टैंक से जुड़ी पाइप का वाल्व भी ठीक तरीके से बंद नहीं किया जा सका. इस कारण से गैस तेजी से पाइपलाइन के माध्यम से चिमनी के द्वारा बाहर निकलने लगी. धीरे-धीरे चिमनी से निकलने वाली जहरीली गैस आसपास के गांव में फैलने लगी जो लोग नींद में थे, उन पर अलग-अलग तरह से असर पड़ने लगा. कोई उल्टी करने लगा तो कोई इधर-उधर भागने लगा. किसी की आंख में जलन होने लगी तो किसी का दम घुटने लगा.
यूनियन कार्बाइड कंपनी के प्रबंधन को लग गया कि जहरीली गैस का रिसाव होने लगा है. इसलिए सायरन भी बजने लगे अफरा-तफरी की स्थिति उत्पन्न हो गई. हजारों लोग अस्पताल पहुंच गए. डॉक्टरों की टीम इलाज करने में लगी लेकिन मरीजों की संख्या इतनी थी कि वे लोग भी परेशान हो गए. इधर बहुत सारे लोग जो सोए थे, सोए के सोए रह गए. अधिकांश उनमें बच्चे और वृद्ध थे.
जहरीली गैस रिसाव कांड के प्रभाव के बारे में जानिए
भोपाल गैस कांड पूरी दुनिया में लोग जानते हैं. यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी के कारखाने से गहरी जहरीली गैस रिसाव की वजह से कालांतर में लगभग 15000 से अधिक लोगों की मौत हो गई और आज इसके 40 साल पूरे हो गए हैं. तीसरी पीढ़ी इससे प्रभावित है. आज भी इस क्षेत्र के रहने वालों के घरों में जो बच्चे हैं, वे भी शारीरिक और मानसिक रूप से अपंगता के शिकार हैं. मोटे तौर पर यह माना जा रहा है कि 40 हजार लोग आज भी इससे पीड़ित है. जिस समय यह घटना हुई उस समय के एक आंकड़े के अनुसार घटना के कुछ महीनों के बाद 3770 लोगों की मौत इस जहरीली गैस रिसाव कांड के कारण हुई.
उसे समय केंद्र में राजीव गांधी की सरकार थी. जहरीली गैस कांड में मारे गए लोगों को तत्काल राहत पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने कदम उठाए. इस कंपनी के जो प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी एंडरसन अमेरिका भाग गया. राज्य सरकार की ओर से भी सहायता दिए गए यह सिलसिला आगे भी जारी रहा. केंद्र की मोदी सरकार ने यहां के लोगों के लिए इलाज के वास्ते प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना से जोड़ दिया है. इसका यह लाभ होगा कि देश के किसी भी क्षेत्र के किसी भी अस्पताल में इन गैस पीड़ित परिवार के लोगों का इलाज हो सकेगा.