धनबाद(DHANBAD): झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सह वरीय कांग्रेस नेता अशोक कुमार सिंह ने दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड्गे से मिलकर झारखंड प्रदेश में डीजल, पेट्रोल पर वैट कम करने की मांग की है. उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष को याद दिलाया है कि 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के घोषणा पत्र में यह मुख्य मुद्दा था. लेकिन झारखंड में सरकार बनने के बाद लगातार अनुरोध के बाद भी इस पर ध्यान नहीं दिया गया. नतीजा है कि राज्य का राजस्व घट रहा है और जनता महंगे, पेट्रोल डीजल खरीद रही है. प्रदेश में महंगाई पर भी इसका सीधा असर पड़ा है. ढुलाई महंगी होने से जिंसों के दाम अधिक हो गए है. पत्र में उन्होंने यह भी कहा है कि 22% वैट की दर तत्कालीन रघुवर सरकार ने 24 फरवरी 2015 को लागू किया था. लेकिन झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अनुरोध पर 2018 में प्रति लीटर 2.5 रुपए का रिबेट देने का ऐलान किया.
रघुवर सरकार ने दिया था रिबेट लेकिन हेमंत सरकार ने लिया वापस
इससे आमजन को काफी राहत मिली थी. लेकिन वर्तमान झारखंड की हेमंत सरकार ने कार्यभार संभालते ही रिबेट को वापस ले लिया. यह आदेश कांग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र के खिलाफ था. बावजूद कोई ध्यान नहीं दिया गया. एसोसिएशन ने इस संबंध में मुख्यमंत्री, झारखंड के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, झारखंड के तत्कालीन इंचार्ज आरपीएन सिंह, अभी के इंचार्ज अविनाश पांडे सहित अन्य नेताओं को भी चुनाव के समय के वादे को याद कराया. लेकिन कार्रवाई नहीं हुई. पत्र में यह भी कहा गया है कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ सरकार ने वैट में कमी की है लेकिन झारखंड सरकार वैट में कोई कमी नहीं की. पत्र में झारखंड एवं अगल-बगल के प्रदेशों में वैट की दर का भी जिक्र किया गया है. लिखा गया है कि झारखंड में बिक्री मूल्य पर 22% या 12.50 रुपए प्रति लीटर (जो अधिक हो) के अतिरिक्त ₹1 प्रति लीटर सेस से निर्धारित है, जबकि बिहार में 16.37% या 12.33 रुपया प्रति लीटर (जो अधिक हो) दर लागू है. उत्तर प्रदेश में यह दर 17.8% या ₹10. 41 प्रति लीटर (जो अधिक हो) लागू है. इसी प्रकार पश्चिम बंगाल में 17% या 7.70 रुपये (जो अधिक हो )लागू है.
बगल के राज्यों में वैट की दर झारखण्ड से कम
उन्होंने कहा है कि बगल के प्रदेशों में वैट की दर कम होने से झारखंड के राजस्व में लगातार कमी हो रही है. पश्चिम बंगाल में तो दर सबसे अधिक कम है, झारखंड से सटे होने के कारण यहां के लोग बंगाल से पेट्रोल, डीजल खरीद रहे है. लेकिन सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष से इस पर अविलंब ध्यान देने की मांग की है. आपको बता दें कि झारखंड में अगर वैट की दर कम हो जाए, तो जो लोग बगल के प्रदेशों से पेट्रोलियम उत्पाद की खरीद करते हैं, वह झारखंड में ही करेंगे और झारखंड की बिक्री बढ़ने से राजस्व में स्वभाविक तौर पर बढ़ोतरी होगी. यह बात झारखंड सरकार को बार-बार बताया गया, आंकड़ा देकर समझाया गया, लेकिन सरकार अपने निर्णय पर अडिग है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी को भी नुकसान हो रहा है और प्रदेश के राजस्व का भी. एसोसिएशन का दावा है कि वैट कम कर देने से बिक्री इतनी अधिक बढ़ जाएगी कि वर्तमान के राजस्व से अधिक आमदनी राज्य सरकार को होने लगेगी, इससे जनता को भी राहत मिलेगी और कांग्रेस पार्टी को भी फायदा होगा. कांग्रेस पार्टी के प्रति झाखंड की जनता का भरोसा भी बढ़ेगा.
रिपोर्ट: सत्यभूषण सिंह, धनबाद