रांची(RANCHI): झारखंड में 1932 के विधेयक को राज्यपाल ने वापस कर दिया है. इसके बाद फिर से झारखंड में राजनीति भूचाल आ गया है. पक्ष और विपक्ष आमने सामने है. इस बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सरायकेला खरसवा में खतियानी जोहार यात्रा को संबोधित करते हुए भाजपा और राजभवन पर सवाल उठाया. सीएम ने कहा झारखंड को अलग राज्य करने के लिए यहां के लोगों ने बड़ा आंदोलन किया है. जब आजादी की लड़ाई शुरू नहीं हुई थी तब यहाँ के लोग अलग राज्य के लिए आंदोलन कर रहे थे. लेकिन कड़े संघर्ष के बाद हमें अलग राज्य मिला.राज्य मिलने के बाद पहली बार झारखंडियों की सरकार बनी है.हमारी सरकार झारखंड के लोगों के बारे में सोच रही है. यह बात भाजपा को पच नहीं रहा है.
जहां भाजपा की सरकार नहीं है उस राज्य के मुख्यमंत्री को राज्यपाल के जरिए परेशान किया जा रहा है.सीएम ने कहा कि हम भाजपा को बता देना चाहते हैं यह दिल्ली या कश्मीर,अंडमान नहीं है.यह झारखंड है,और यहां की सरकार को झारखंड के आदिवासी मूलवासी ने चुन कर बैठाया है. यहां का मुख्यमंत्री जो चाहेगा वह होगा ना की राज्यपाल जो चाहेंगे वह होगा.
अगर राज्यपाल चाहते हैं की जिस संवैधानिक पद का वह कसम खा कर बैठे हैं उसका धज्जी उड़े ऐसा यहाँ नहीं होगा. राज्यपाल कहते है कि जो कानून बनाया है वह नियमसंगत नहीं है. राज्यपाल कहना क्या चाहते हैं यहां के सवा तीन करोड़ जनता ने जो सरकार बनाया है वह बोका लोग है. हमें कबतक बोका समझेगा. अब यही बोका इतना ठोकेगा की राजनीति भूल जाओगे.
जब अलग राज्य के लिए झारखंड के लोग आंदोलन करते थे तब भी इन्हें उग्रवादी आतंकवादी बोला जाता था. गुरुजी को तो देखते हुए गोली मारने को बोला गया था. क्या यहाँ के आदिवासी मूलवासी को रोजगार देना सही नहीं है. अभी हमें आगे बहुत लड़ाई लड़ना है. जैसे CNT SPT ऐक्ट को कानून बनाने के लिए सिद्धों कान्हो बिरसा मुंडा ने आंदोलन किया था.अब 1932 को कानून बनाने के लिए हम केंद्र से लड़ाई लड़ेंगे. क्या अलग राज्य झारखंड के लोगों ने खुद बना लिया था. हमारे आंदोलन के वजह से राज्य अलग मिला है. कोई भीख नहीं हमने छिन कर राज्य को लिया है.