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क्या है शपथ के मायने ? क्यों दिलाई जाती है मंत्रियों को  शपथ  

क्या है शपथ के मायने ? क्यों दिलाई जाती है मंत्रियों को  शपथ  

टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : 9 जून की शाम को नरेंद्र दामोदर दास मोदी आज तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे. लेकिन इससे पहले क्या आपके मन मे भी ये सवाल आया  है , राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्री और पंचायत के पंच व सरपंच तक आखिरकार क्यों और किस बात की शपथ लेते हैं? हमारे देश के संविधान में शपथ ग्रहण को लेकर क्या  नियम हैं? शपथ तोड़ने या इस उल्लंघन करने पर देने पर सजा का प्रावधान है? 

प्रधानमंत्री और मंत्रियों को क्यों दिलाई जाती है शपथ

प्रधानमंत्री और मंत्रियों, सांसदों,  को पद ग्रहण करने से पहले भारत के संविधान के प्रति श्रद्धा रखने की शपथ उठानी होती है . सांसद या विधायक शपथ लिये बिना किसी भी सरकारी कार्य में भाग नहीं ले सकते. उन्हें न तो प्रतिनिधि सभा में बैठाया जाएगा और न ही प्रतिनिधि सभा में बोलने की अनुमति दी जाएगी. इसका मतलब यह है कि वह भले ही निर्वाचित हो गए हों लेकिन उन्हें सांसद का सदस्य नहीं माना जाएगा. वह सदन को कोई नोटिस नहीं दे सकेंगे या कोई सवाल नहीं पूछ सकेंगे. यहां तक कि उन्हें वेतन और सुविधाएं भी नहीं मिलेगी.संवैधानिक पद ग्रहण करने के लिए शपथ लेना एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है. शपथ लेने के बाद ही कोई व्यक्ति सरकारी कामकाज और प्रतिनिधि सभा की कार्यवाही में भाग ले सकता है.

किस बात की लेते है शपथ 

राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्री, पंच-सपंच और सरकार के सार्वजनिक अधिकारी सभी परिस्थितियों में अपने पद की गरिमा बनाए रखने, ईमानदारी और निष्पक्षता से काम करने और देश की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा करने की शपथ लेते हैं. शपथ हिंदी और अंग्रेजी सहित किसी भी भारतीय भाषा में ली जा सकती है. हमारे देश के 13वें राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा ने पद की शपथ संस्कृत में ल. 

 दो हिस्सों मे होती है मंत्री पद की शपथ 

पद की शपथ – सांसद और विधायक अपने पद की गरिमा बनाए रखने की शपथ लेते हैं. इसमें ईमानदारी और निष्पक्षता से काम करने और हर कीमत पर राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता को बनाए रखने की प्रतिबद्धता शामिल है.

गोपनीयता की शपथ – केंद्र व राज्य के मंत्री पद पर नियुक्त होने सांसद गोपनीयता की शपथ लेते है . 

प्रधानमंत्री व मंत्री पद की शपथ की शुरुआत राष्ट्रपति करवाते  हैं

प्रधानमंत्री को अनुच्छेद 75 के अनुसार, राष्ट्रपति के सामने शपथ ग्रहण करना होता है. शपथ के लिए एक निर्दिष्ट शपथ पत्र का पालन किया जाता है . जिसे प्रधानमंत्री पढ़ते और स्वीकार करते हैं. शपथ लेने के बाद एक आधिकारिक प्रमाण पत्र भी जारी किया जाता है जिसमें उस तारीख और समय का उल्लेख होता है जब प्रधानमंत्री ने शपथ ली थी. इस पर प्रधानमंत्री के भी हस्ताक्षर हैं.

 शपथ तोड़ने पर क्या है दंड

संवैधानिक पद पर बैठ हुआ कोई व्यक्ति अगर गोपनीयता की गरिमा का उल्लंघन करता है , तो उसे पद से हटाने के लिए एक विशेष प्रक्रिया होती है, जो महाभियोग है. आम तौर पर कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया जाता है, लेकिन भ्रष्टाचार का मामला सामने आने पर आपराधिक मामला दर्ज किया जा सकता है.

 

Published at:09 Jun 2024 05:37 PM (IST)
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