टीएनपी डेस्क(TNP DESK):आजकल के आधुनिक युग में सभी लोग गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड जरूर रखते है.क्योंकि जीवन में पढाई लिखाई शादी विवाह के साथ-साथ प्यार भी एक अहम हिस्सा होता है एक उमर के पड़ाव पर पहुंचने के बाद लड़की लड़के को एक दूसरे के साथ आकर्षण जरूर होता है, जो आगे चलकर प्यार में बदल जाता है.वही प्यार के रिश्ते में लोग एक दूसरे के साथ घुमने फिरते है, खाते पीते है वही कभी-कभी एक दूसरे के साथ फिजिकल भी हो जाते है.कई केस में लड़की शादी से पहले ही प्रेग्नेंट हो जाती है लेकिन जैसे ही वह प्रेग्नेंट होती है उसका बॉयफ्रेंड किनारा करने लगता है और धोखा देने की कोशिश करता है. जिसके बाद लड़की के सामने कोई विकल्प नहीं बचता है लेकिन अगर कोई लड़का ऐसा करता है तो उसको कितने साल तक सजा होती है चलिए जान लेते है.
गर्लफ्रेंड से धोखाधडी करने वाले हो जायें सावधान
जब दो लोग प्यार में होते है तो साथ जीने मरने का वादा करते है वही शादी विवाह करने की भी सोचते है लेकिन कई लोग ऐसे होते है जो लड़की को इस्तेमाल करने के लिए बाद छोड़ देते है और उससे शादी करने से इंकार कर देते है.ऐसे लोगों के लिए हमारे कानून में सख्त सजा का प्रावधान है.अगर आपका भी प्रेमी आपको गर्भवती करने के बाद शादी से इंकार करता है तो आप उसके खिलाफ क्या कार्रवाई सकते है चलिए जानते है.
अगर गर्लफ्रेंड को किया प्रेग्नेंट तो खानी पड़ेगी जेल की हवा
यदि कोई लड़का किसी भी लड़की के साथ शादी का झूठा वादा करके शारीरिक संबंध बनाता है और इस दौरान अगर लड़की गर्भवती हो जाती है तो फिर ऐसे मामलों में मुख्य कानूनी प्रावधान भारतीय न्याय संहिता का सेक्शन 69 है. इस सेक्शन को उन मामलों से जोड़ा गया है जिनमे कोई आदमी शादी का झूठा वादा करके किसी महिला से शारीरिक संबंध बनाता है और धोखाधड़ी करता है. इसके तहत दोषी पाए जाने पर 10 साल तक की जेल, जुर्माना या फिर दोनों हो सकते है.
इस तरह शुरू हो जाती है धोखाधड़ी के खिलाफ कार्रवाई
आपको बताये कि सजा की प्रक्रिया उस समय शुरू हो जाता है जब महिला थाने में शिकायत करती है. इसके बाद आपराधिक जांच शुरू की जाती है. अगर जांच में आरोपी दोषी पाया जाता है तो उसे सेक्शन 69 और बाकी प्रावधानों के बेस पर सजा दी जा सकती है. इसी के साथ महिला अपने और बच्चे के लिए आर्थिक मदद और धोखाधड़ी से हुई मानसिक और भावनात्मक नुकसान के मुआवजे के लिए सिविल कोर्ट भी जा सकती है.
भारतीय न्याय संहिता के सेक्शन 88 या 89 को लागू
आपको बता दें कि यह सेक्शन काफी केस को कवर करता है. इसमे नौकरी, प्रमोशन के झूठे वादे या अपनी पहचान छुपा कर शारीरिक संबंध बनाने के मामले भी शामिल है.अगर महिला को इन हालातो में गर्भपात करना पड़ता है तो भारतीय न्याय संहिता के सेक्शन 88 या 89 को लागू किया जा सकता है.
लिविंग रिलेशनशिप भी शादी के बराबर
आपको बता दें कि लिव इन रिलेशनशिप को भी शादी के बराबर ही माना जा सकता है.कार्रवाई के अलावा कानून में कई और उपाय भी हैं. जैसे महिला भरण पोषण के लिए कानूनी कार्रवाई कर सकती है और खुद और बच्चे के लिए आर्थिक मदद भी मांग सकती है.
