गिरिडीह (GIRIDIH) : कॉमरेड महेंद्र सिंह के 19वें शहादत दिवस पर भाग लेने के लिए भाकपा माले कार्यकर्ताओं ने बगोदर प्रस्थान करने के पूर्व गिरिडीह शहर में श्रद्धांजलि मार्च निकालकर उन्हें याद किया और उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की. श्रद्धांजलि मार्च की अगुवाई पार्टी नेता राजेश यादव और राजेश सिन्हा के अलावे प्रीति भास्कर, मेहताब अली मिर्जा, शिवनंदन यादव, उज्जवल साव आदि कर रहे थे.
युवाओं के संघर्ष को तेज करने का संकल्प
मौके पर अपने संबोधन में पार्टी नेता यादव ने कहा कि, कॉमरेड महेंद्र सिंह का शहादत दिवस हम ऐसे समय मना रहे हैं, जबकि पूरा देश मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों से पूरी तरह कराह रहा है. झारखंड राज्य में भी नई सरकार ने अपने वादों को पूरा नहीं कर लोगों को और खासकर युवाओं को निराश किया है. इसलिए इस शहादत दिवस हमें जनता के सवालों पर संघर्ष तेज करने का संकल्प लेना है.
कोई नाम नहीं विचार थे महेंद्र सिंह
वहीं, अपने संबोधन में गिरिडीह विधानसभा नेता राजेश सिन्हा ने कहा कि, महेंद्र सिंह एक नाम नहीं विचार थे. उनके विचारों को हमें आत्मसात करना चाहिए. उन्होंने जन राजनीति का जो हथियार हमें दिया है, उसके बूते हम जनता की लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे. आज का श्रद्धांजलि मार्च मकतपुर स्थित माले नेता राजेश यादव के आवास से शुरू होकर गिरिडीह शहर के मुख्य मार्ग जिला परिषद मोड़, कचहरी, टावर चौक, अंबेडकर चौक होते हुए सर्कस मैदान तक जाकर समाप्त हुआ. मार्च के दौरान कॉमरेड महेंद्र सिंह को लाल सलाम, कॉमरेड महेंद्र सिंह तुम जिंदा हो, खेतों में खलिहान में- जनता के अरमानों में, मोदी सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष तेज करो जैसे गगनभेदी नारे लगा रहे थे.
कार्यक्रम में बड़ी तादाद में माले समर्थक महिला-पुरुषों ने झंडा बैनर के साथ भाग लिया.
उग्रवादियों ने किया था हमला
महेंद्र सिंह को 16 जनवरी 2005 को उग्रवादियों ने गोली मार उनकी हत्या कर दी थी. महेंद्र सिंह सरिया थाना क्षेत्र के दुर्गा धवईया गांव में सभा करने गए थे. सभा पूरी हो गई थी, वह मंच से उतरकर अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ रहे थे कि कुछ लोग वृद्धावस्था पेंशन की बात को लेकर सामने आए. अभी महेंद्र सिंह उन लोगों से बात कर ही रहे थे कि बाइक पर सवार उग्रवादी पहुंचे और कड़क आवाज में पूछा कौन है महेंद्र सिंह. महेंद्र सिंह भी डरने वाले नहीं थे. उन्होंने अपने अंदाज में कहा कि मैं ही हूं महेंद्र सिंह. उसके बाद उन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दी गई. घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई. उसके बाद तो इलाके में भगदड़ मच गई. इस खबर से पूरा प्रदेश हिल उठा था. महेंद्र सिंह आज ही के दिन मारे गए थे. लेकिन उनका व्यक्तित्व और कृतित्व अभी भी जिंदा है. महेंद्र सिंह जब अंतिम संस्कार के लिए ले जाए जा रहे थे तो क्या बच्चे क्या बूढ़े सारे लोगों की आंखें आंसू बहा रही थी. उनकी अंतिम क्रिया का यह संवादाता गवाह भी बना था. महेंद्र सिंह का गांव बगोदर के खंभरा में है. यह गांव बगोदर प्रखंड से 8 किलोमीटर के लगभग दूर है. यह आदर्श गांव की श्रेणी में गिना जाता है.
रिपोर्ट : दिनेश कुमार, गिरिडीह