धनबाद(DHANBAD): कोयलांचल की सड़कों पर प्रत्येक महीने 20 से 25 लोग सड़क दुर्घटना में जिंदगी खोते हैं. इनमें से अधिकतर बाइक चालक होते हैं, इतने बड़े आंकड़े के बाद भी हम नहीं सुधरते. जब तक हम नहीं सुधरेंगे, तब तक व्यवस्था कैसे सुधरेगी, वैसे भी धनबाद की सड़कों पर ट्रैफिक की सुदृढ़ व्यवस्था नहीं दिखती, फिर भी 11 से 17 जनवरी तक सड़क सुरक्षा सप्ताह पूरे देश के साथ-साथ धनबाद में भी मनाया जा रहा है. वाहन चालकों की थोड़ी सी लापरवाही की वजह से वो खुद भी चोटिल होते है या जान गंवा बैठते हैं और दूसरे के लिए भी खतरा बन जाते हैं. नियम तो बनते हैं लेकिन लागू नहीं होते. एक और समस्या पार्किंग की होती है.
वहीं, सड़कों पर ट्रैफिक नियम के लिए बोर्ड तो लगाए गए हैं लेकिन उसके बाद भी लोग सुधरते नहीं और नो पार्किंग बोर्ड की जगह ही गाड़ी खड़ी कर देते है. आगे और अगर चर्चा करें तो धनबाद जिले के कुछ स्थानों पर रोड सेफ्टी के चिन्ह लगाए गए हैं लेकिन बहुत सारे जगहों पर कोई चिन्ह नहीं है.
साइन बोर्ड भी नहीं होते, पार्किंग भी है परेशानी
सड़क पर कहां आगे जाकर ब्रेकर मिलेगा, कहां तीखे मोड़ हैं, कहां डेंजर जोन है, इसके साइन बोर्ड नहीं दिखते. धनबाद की सड़कों पर दुर्घटना रोकने के लिए अभिभावकों को भी जागरूक होना होगा. अभिभावक नाबालिग बच्चों के हाथ में वाहन सौंप देते हैं और यह बच्चों की जान के दुश्मन बन जाते हैं. पुलिस कई बार कार्रवाई करती है लेकिन फिर सब कुछ पुराने ढर्रे पर चलने लगता है. शनिवार को धनबाद में जोर शोर से सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया गया. धनबाद के ट्रैफिक डीएसपी राजेश कुमार ने धनबाद के रणधीर वर्मा चौक पर बिना हेलमेट के दुपहिया वाहन चलाने वाले महिला-पुरुष को गुलाब के फूल देकर गांधीगीरी की. पहले तो बिना हेलमेट के वाहन चालक पुलिस को देखकर भागने लगे लेकिन उन्हें जब समझाया गया तब रुके और सॉरी भी बोले. लेकिन देखना है कि आगे से क्या वह हेलमेट पहन कर चलेंगे अथवा जो व्यवस्था पहले से चल रही थी, वही व्यवस्था चलेगी.
सब कुछ पुलिस के डंडे के भरोसे नहीं हो सकता
यह बात भी सही है कि सब कुछ पुलिस के डंडे के भरोसे संभव नहीं है. धनबाद जिले में तो वैसे भी ट्रैफिक जवानों की कमी है, फिर भी खुद को सुरक्षित रखने के लिए अगर हेलमेट पहने की सलाह दी जाती है तो पता नहीं क्यों हम उसे मानते नहीं है. नतीजा होता है कि समय से पहले लोग जान गंवा बैठते है. आजकल के बच्चे अपडेट मॉडल के बाइक पर प्रेशर हॉर्न लगाकर सड़क पर ऐसे दौड़ते हैं, मानव किसी जंग में हिस्सा लेने जा रहे है. उनके प्रेशर हॉर्न की आवाज से दूसरे लोग संतुलन खो बैठते हैं और दुर्घटनाएं हो जाती है. चौक चौराहों पर सीसीटीवी तो लगे हुए हैं लेकिन अधिकांश काम नहीं करते. अगर काम करते तो उनकी पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई होती. केवल पुलिस ही नहीं अभिभावकों को भी बच्चों के प्रति सचेत और सजग होना होगा, तभी जाकर सड़क दुर्घटनाओं में कमी आ सकती है, अन्यथा सड़क सुरक्षा सप्ताह मनता रहेगा और लोगों की जाने जाती रहेंगी.
रिपोर्ट : शाम्भवी सिंह, धनबाद