रांची (RANCHI) कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने आज नगड़ी स्थित राज्यस्तरीय जल छाजन केंद्र में जल संरक्षण से जुड़ी योजना के तहत 467 करोड़ 32 लाख 88 हजार 380 रूपए की योजनाओं का शुभारंभ करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में राज्य के किसानों को खुशहाल बनाने के लिए आज का दिन झारखंड के इतिहास में बहुत खास है. झारखंड के सभी जिलों के प्रखंड में तालाब जीर्णोद्धार और परकोलेशन की योजना का शुभारंभ किया जा रहा है. जिलों के सभी प्रखंडों में 2133 तालाबों का जीर्णोद्धार और 2795 परकोलेशन के निर्माण के शुभारंभ के साथ ही पूरे राज्य में जल संरक्षण की मजबूत बुनियाद रखने का प्रयास सरकार कर रही है. बादल पत्रलेख ने कहा कि सुखाड़ से राहत मिले, इसके प्रयास लगातार सरकार द्वारा किए जा रहे हैं, लेकिन गांव के स्तर पर भी इसके प्रयास होने चाहिए. गांव में बिजली की स्थिति बेहतर रहने से तालाब से सुचारू रूप से सिंचाई की व्यवस्था की जा सकती हैं. इसी कड़ी में स्मार्ट विलेज की परिकल्पना साकार करने का संकल्प लिया है. पानी पंचायत के सदस्यों की संख्या बढ़ाकर एक सोसाइटी बनाई जा सकती है और उस समिति को ही तालाब में मछली पालन का जिम्मा दे दिया जाए, इस पर विचार किया जा रहा है. सुखाड़ से प्रभावित किसानों को 3500 रुपए प्रति एकड़ प्रति व्यक्ति का अग्रिम भुगतान राज्य निधि के माध्यम से किया जा रहा है.
कृषि मंत्री बादल ने कहा कि आज इंटीग्रेटेड फार्मिंग की जरूरत है और इसे देखते हुए, सरकार से किसानों को जो भी सहयोग चाहिए, वह हम देने को तैयार हैं. विभाग के अधिकारी लगातार किसानों को फायदा पहुंचाने के मकसद से काम कर रहे हैं. सरकार ने बीते 3 साल में 1885 करोड रुपए किसानों के खाते में डाले हैं, जो यह दिखाने के लिए काफी है कि सरकार किसानों को लेकर काफी संवेदनशील है. हमारी सरकार ने किसानों को लेकर गलत अवधारणा को खत्म करने का प्रयास किया है और किसानों को बिरसा किसान के रूप में अधिसूचित करने का काम किया गया है. सरकार का उद्देश्य है झारखंड की जीडीपी में 20% किसानों का योगदान सुनिश्चित हो. योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए मेहनत करनी पड़ती है. विधानसभा क्षेत्र से लौटे हैं और उस क्षेत्र का मुआयना किया है जहां आज तालाब का जीर्णोद्धार किया जा रहा है और उसके बाद राज्य स्तर पर इस योजना के कार्यान्वयन के गवाह भी बन रहे हैं. झारखंड की जीडीपी को सिर्फ किसान ही सुधार सकते हैं और हर स्तर पर सरकार सहायता देने के लिए तैयार है. मुख्यमंत्री पशुधन योजना के तहत जल्द ही किसानों को मजबूत किया जाएगा. साथ ही, दूध में हम दो रुपए प्रति लीटर किसानों को देने का प्रावधान कर चुके हैं. पंजाब हरियाणा की तर्ज पर भी झारखंड का किसान समृद्धशाली हो, साथ ही राज्य को एश्योर इरीगेशन की ओर बढ़ाना है. अब तक सुखाड़ प्रभावित किसानों के करीब 31 लाख 33 हजार आवेदन प्राप्त किए हैं और 8.5 लाख लोगों का भुगतान भी किया जा चुका है. हमारा प्रयास है कि राज्य के 30 लाख किसानों को 12 सौ करोड़ रुपए की राशि दें और आने वाले 2 सालों में सभी तालाब का निर्माण या जीर्णोद्धार कर सकें ताकि खेतों को सिंचाई की सुविधा दी जा सके.
समाज और जिंदगी के लिए पानी जरूरी: सचिव
कृषि विभाग के सचिव अबू बकर सिद्दीकी ने विभिन्न प्रखंडों से आए कृषकों को संबोधित करते हुए कहा कि समाज और जिंदगी के लिए पानी जरूरी है. पानी का सदुपयोग, संरक्षण को प्राथमिकता देना है ताकि आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित भविष्य दे सकें. सुखाड़ से अगर निपटना है तो हमें सुनिश्चित सिंचाई की ओर कदम बढ़ाने की जरूरत है. सरकार प्राथमिकता के साथ राज्य में चेकडैम, नहर सहित कई योजनाएं कर रही हैं, जो राज्य के कृषकों के लिए वरदान साबित होगी. कई केंद्रीय योजनाएं, जिसमे आरकेवीवाई / पीडीएम सी योजना के टॉपअप सब्सिडी की व्यवस्था करते हुए 90 प्रतिशत अनुदान पर किसानों को योजना का लाभ दिया जा रहा है. योजनाओं के माध्यम से जल संरक्षण योजना और कृषि उपकरण आदि दिए जा रहे हैं. सिंचाई के स्तर को बढ़ाना एक बड़ी चुनौती है और इस चुनौती से निपटने के लिए जनता की भागीदारी महत्वपूर्ण है. ग्रामसभा, पानी समिति जैसे अनेक समितियां हैं जो, किसानों को मजबूती देती हैं और इन समितियों के माध्यम से आप अपने गांव की योजनाओं की निगरानी कर सकते हैं. जल्द ही एग्री स्मार्ट विलेज की परिकल्पना को साकार करने के लिए काम कर रहे हैं। योजनाओं का दुरुपयोग न हो इसके लिए आपको जागरूक होना होगा.
योजना का स्वरूप
बंजर भूमि/ राइस फैलो विकास योजना अंतर्गत सरकारी/निजी तालाब जीर्णोद्धार की योजना
राज्य की योजना के अंतर्गत बंजर भूमि राइस फैलो विकास योजना के अंतर्गत सरकारी/ निजी तालाब जीर्णोद्धार की योजना का क्रियान्वयन भूमि संरक्षण विभाग द्वारा सरकारी अनुदान 90% एवं लाभुक अंशदान 10% पर किया है.
आवश्यक शर्तें
1. योजना स्थल का रकवा 5 एकड़ से कम हो.
2.प्रस्तावित सरकारी / निजी तालाब में विगत 5 साल के दौरान किसी भी प्रकार की मरम्मत /जीर्णोद्धार कार्य नहीं हुआ हो.
3. प्रस्तावित सरकारी तालाब का निर्माण स्थल पूर्णतः गैरमजरूवा एवम निजी तालाब व्यक्तिगत तथा विवाद रहित होना चाहिए.
4. प्रस्तावित सरकारी /निजी तालाब का सिंचित क्षेत्र क्षेत्रफल कम से कम 20 से 25 एकड़ हो.
5. योजना हेतु सरकारी / निजी तालाब का चयन ग्रामसभा के द्वारा किया जायेगा, जिसमें 75 प्रतिशत सरकारी/ निजी तालाब का जीर्णोद्धार / गहरीकरण संबंधित क्षेत्र के विधायक की अनुशंसा पर की जाएगी और शेष 25 प्रतिशत सरकारी/निजी तालाबों जीर्णोद्धार / गहरीकरण संबंधित जिला के उपायुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति की अनुशंसा पर की जाएगी.
6. ग्रामसभा द्वारा ऐसे निजी तालाब जिनका सार्वजनिक उपयोग किया जा रहा हो, के चयन में इस आशय का ध्यान रखा जाएगा कि तालाब में संचित जल का उपयोग सिंचाई कार्य में सार्वजनिक रूप से करने में पानी पंचायत के सदस्यों द्वारा भविष्य में कोई बाधा उत्पन्न नहीं होगी.
उसी प्रकार निजी तालाब मालिक की सहमति एवं तालाब के सार्वजनिक उपयोग के लिए प्रतिबद्धता के संबंध में शपथपत्र शपथ पत्र में इस आशय का स्पष्ट उल्लेख होगा कि सिंचित जल का उपयोग करने में बाधा उत्पन्न नहीं की जाएगी.
7.निजी तालाब का रकबा कम से कम 1 एकड़ होना अनिवार्य है.
डीप बोरिंग एवं परकोलेशन टैंक के निर्माण के लिए जल निधि योजना
झारखंड राज्य के अंतर्गत कृषि को बढ़ावा देने बहू फसल कृषि के विकास मॉनसून पर कृषकों की निर्भरता कम करने हेतु विभिन्न स्रोतों से सिंचाई की समुचित व्यवस्था हेतु डीप बोरिंग एवं परकोलेशन टैंक निर्माण हेतु जलनिधि नामक एक नई योजना वित्तीय वर्ष 2015-16 से प्रारंभ की गई। और सिंचाई कूप जिसमें कृषि योग्य भूमि को सिंचित एवं बहुफसलीय कृषि को बढ़ावा दिया जा सके
योजना का स्वरूप
1.अनुसूचित जाति /जनजाति/ लघु/ सीमांत कृषक/ महिला कृषकों का चयन प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा एवं पूर्व में जमा किए गए आवेदन पत्र, जिनके द्वारा पूर्व में पानी पंचायत का गठन कर,कृषक अंशदान की राशि खाते में जमा की कर दी गई है, उनको प्राथमिकता दी जाएगी.
2.जिन कृषकों को पूर्व में डीप बोरिंग सिंचाई पंप का लाभ प्राप्त कराया जा चुका है, उनकी पात्रता जल निधि योजना के लिए मान्य नहीं होगी.
3. योजना के कार्यान्वयन में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी एवं योजना बनाओ अभियान के तहत चयनित योजनाएं तथा अन्य स्थानीय विधायक की अनुशंसा को प्राथमिकता दी जाएगी.
कार्यक्रम में इनकी रही उपस्थिति
जिला परिषद सदस्य पूनम देवी, निदेशक भूमि संरक्षण पदाधिकारी अजय कुमार सिंह, बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वीसी ओंकार नाथ सिंह, जिला भूमि संरक्षण पदाधिकारी अनिल कुमार सिंह सहित बड़ी संख्या में कृषक उपस्थित थे.