गिरिडीह (GIRIDIH) : महापरना के बाद जैन मुनि श्री प्रसन्न सागर जी महाराज पारसनाथ पर्वत नीचे उतरे जिसके लिए भक्तों श्रद्धालुओं की ओर से स्पेशल पालकी की व्यवस्था की गई है. जिसमें सवार होकर मुनि श्री प्रसन्न सगर जी महाराज अपने हजारों भक्तों के साथ नीचे उतरे. जहां उनका पारसनाथ मधुबन शिखरजी में जगह जगह भव्य स्वागत हुआ. लोग भक्ति भाव से विभोर मुनि श्री का दर्शन कर आशीर्वाद ले रहे थे. वहीं अपने भक्तों का मुनि श्री द्वारा अभिवादन भी स्वीकार कर उन्हें आशीर्वाद हाथ उठा कर दे रहे थे.
पारसनाथ पहाड़ पर किया महापारणा आहार
बता दें कि मुनि श्री का स्वागत शानदार अंदाज में जगह-जगह किया जा रहा था. वहीं हाथ पालकी से पारसनाथ पहाड़ के टोक में महापारणा आहार करने के पश्चात वे अपने शिष्यों के साथ नीचे उतरे जहां श्रद्धालु अपने अपने कांधे पर पालकी जगह जगह ले रहे थे. बताते चलें कि आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज 557 दिन के बाद अपना मौन व्रत तोड़ पारसनाथ पहाड़ स्थित अपने तपस्थली से नीचे उतरे हैं इसी खुशी में पूरा जैन समाज हर्षोत्साहित है.
अनाज बचाने के उद्देश्य से पारसनाथ पर्वत में किया संघर्ष
बताते चलें कि जगत कल्याण और अंतिम भूखे तक के लिए अनाज बचाने के उद्देश्य महापारणा आहारअंतर्मन आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज कड़ाके की ठंड में पारसनाथ पर्वत में 557 दिन की कठीन सिद्ध निष्क्रीडित व्रत के तहत मौन थे. वे आज शनिवार को सुबह करीब 9 बजे मौन व्रत तोड़ा और महापारना का अल्पाहार किया। बता दें कि महाराज श्री प्रसन्न सागर जी महाराज प्रेतराज समवेत शिखर के स्वर्ण भद्रपुर पर लगातार 10 महीने से अधिक समय तक निवास कर अचार्य श्री आदित्य वाह अद्भुत साधना करने वाले भगवान महावीर के बाद पहले दिगंबर संत है. इनकी तपस्या की प्रभावशाली प्रयत्न को देखते हुए जैन धर्म के हज़ारो श्रद्धालु शिखरज मधुबन में पहुंचे हैं. यह दिन पूरे भारत सहित विश्व भर के जैन तीर्थ यात्री आपने मुनि श्री का दर्शन करने और आशीर्वाद लेने के लिए हजारों की संख्या में पहुंचे है जो जैन समाज के लिए एक ऐतिहासिक क्षण माना जा रहा है.
जगह-जगह पुलिस बल की तैनाती
वही शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए जैन समाज के द्वारा जगह-जगह भोले इंटीरियर और प्रशासन के द्वारा जगह-जगह पुलिस बल की तैनाती की गई थी. वहीं सुरक्षा की दृष्टि को देखते हुए पूरे पारसनाथ शिखरजी का मुयाना हेलीकॉप्टर द्वारा किया जा रहा है.
रिपोर्ट : दिनेश कुमार, गिरिडीह