धनबाद(DHANBAD): खान सुरक्षा महानिदेशालय(DGMS) ने शनिवार को अपना 122वां स्थापना दिवस मनाया. भारतीय खान अधिनियम 1901 के प्रावधानों को लागू करने के लिए भारत सरकार ने 7 जनवरी 1920 को खान निरीक्षण ब्यूरो की स्थापना की थी. जिसका मुख्यालय कोलकाता में था. 1904 में इस संगठन का नाम बदलकर खान विभाग कर दिया गया और इसका मुख्यालय 1908 में धनबाद आ गया. 1967 में इसका नाम बदलकर खान सुरक्षा महानिदेशालय कर दिया गया, जो अभी भी चल रहा है. शनिवार को स्थापना दिवस के बाद पत्रकारों से बात करते हुए खान सुरक्षा महानिदेशक प्रभात कुमार ने कहा कि बीसीसीएल की खदान पुरानी है, फिर भी तकनीक के इस्तेमाल से दुर्घटनाएं कम हो रही है.
आउटसोर्सिंग कंपनियां खुद मालिक नहीं
यह भी कहा कि बीसीसीएल में चल रही आउटसोर्सिंग कंपनियां खुद मालिक नहीं है, इन कंपनियों का मालिक बीसीसीएल है. इसलिए सुरक्षा का इंतजाम करना बीसीसीएल की जिम्मेवारी है. इसके अलावा उन्होंने एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात कही कि धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन को खतरा तो है, आज नहीं भी तो आगे चलकर इसे बंद करना ही पड़ेगा. फिलहाल रेल लाइन के नीचे आग किस स्थिति में है, इसके लिए डीजीएमएस लगातार मॉनिटरिंग कर रहा है.
सिंफर आग की अद्यतन स्थिति की कर रहा है जांच
आग की अद्यतन स्थिति जानने के लिए सिंफर को जांच करने को कहा गया है. सिम्फ़र इसकी जांच कर रहा है. बता दें कि धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन को 15 जून 2017 को एक झटके में बंद कर दिया गया था और 52 जोड़ी ट्रेन बंद हो गई थी. इसको लेकर बहुत लंबा आंदोलन चला. इस आंदोलन को कोयलांचल में ऐतिहासिक आंदोलन कहा जाता है. इस आंदोलन के बाद 2019 में लोकसभा चुनाव के ठीक पहले इस लाइन को चालू कर दिया गया लेकिन अभी भी सभी ट्रेनें इस लाइन पर नहीं चल रही है. डीजीएमएस ने कहा कि रेल लाइन के अगल-बगल के खदानों को तो बंद कर दिया गया है. मांगने पर भी डीजीएमएस एनओसी नहीं दे रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि माइनिंग एक्ट से अलग हटकर डीजीएमएस कोई काम नहीं कर सकता लेकिन हाल के दिनों में डीजीएमएस की व्यवस्था ऑन लाइन होने से लोगों का विश्वास भी अधिक हुआ है.
रिपोर्ट: सत्यभूषण सिंह, धनबाद