रांची(RANCHI): झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय में समय समय पर कई तरह के वर्कशॉप का आयोजन होता है. इसी कड़ी में शुक्रवार को केन्द्रीय विश्वविद्यालय के ब्राम्बे परिसर में स्वास्थ्य पत्रकारिता पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में "लिम्फेटिक फ़ाइलेरियासिस पर रिपोर्टिंग- चुनौतियाँ और समाधान" विषय पर चर्चा हुई. कार्यशाला का आयोजन राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम से जुड़े स्वयंसेवी संस्था और झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के संयुक्त तत्वावधान में किया गया.
पहले सत्र में झारखंड में स्वास्थ्य और स्वास्थ्य की स्थिति पर चर्चा
कार्यक्रम के पहले दिन की शुरुआत उद्घाटन सत्र से हुई. जनसंचार विभाग के प्रोफेसर देवव्रत सिंह ने अपना उद्बोधन दिया. इसके बाद पत्रकारिता से संबंधित तीन सत्रों का आयोजन किया गया. पहले सत्र का आयोजन वरिष्ठ पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता मधुकर द्वारा किया गया. मधुकर ने झारखंड में स्वास्थ्य और स्वास्थ्य की स्थिति पर चर्चा की. इसके साथ ही उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों की विलुप्ति के कारण स्वास्थ्य पर हो रहे नकारात्मक प्रभाव पर भी चर्चा की. उन्होंने देशज ज्ञान परंपरा पर बात करते हुए उसके महत्व पर प्रकाश डाला. मधुकर ने हाथीपांव बीमारी की गंभीरता पर प्रकाश डाला जिसके बाद छात्रों ने विषय से संबंधित प्रश्न किये.
"स्वास्थ्य रिपोर्टिंग के उपकरण और तकनीक" विषय पर चर्चा
कार्यक्रम के दूसरे सत्र का आयोजन ज़ी मीडिया के एडिटर एवं ज़ी झारखंड और बिहार के चैनल हेड राजकमल चौधरी ने किया. राजकमल ने "स्वास्थ्य रिपोर्टिंग के उपकरण और तकनीक" विषय पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य पत्रकारों के लिए सबसे आवश्यक है स्वास्थ्य संबंधी शब्दावली को जानना. उन्होंने यह भी बताया कि स्वास्थ्य संबंधी रिपोर्ट लिखने से पहले फैक्ट की जांच आवश्यक है.
फ़ाइलेरिया विषय पर भी हुई चर्चा
तीसरे सत्र का आयोजन डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर और राइटर शिवानी पाण्डेय ने किया जहां उन्होंने विस्तार से फ़ाइलेरिया के विषय में बताते हुए फ़िल्म और मीडिया में फ़ाइलेरिया विषय की प्रस्तुति पर बातचीत की. फ़िल्म के माध्यम से फ़ाइलेरिया बीमारी की गंभीरता को दर्शाया. सत्र के अंत में सभी प्रतिभागियों ने स्वास्थ्य पत्रकारिता से संबंधित प्रश्न किये.
कार्यक्रम में ये सभी रहे मौजूद
कार्यक्रम के दौरान जनसंचार विभाग के प्रोफेसर देवव्रत सिंह, सहायक आचार्य डॉ. सुदर्शन यादव, सहायक आचार्य डॉ. राजेश कुमार, सहायक आचार्य डॉ. अमृत कुमार, सहायक आचार्य रश्मि वर्मा, तकनीकी सहायक राम निवास सुथार एवं अजेंगा पमेई मौजूद थे. कार्यक्रम का संचालन जनसंचार विभाग की शोधार्थी पूजा कुमारी एवं पूजा पाठक ने किया. इस दौरान जनसंचार विभाग के लगभग 100 विद्यार्थी मौजूद थे.
आज ब्राम्बे परिसर में आयोजित होगा कार्यक्रम
इस दो दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन का आयोजन 5 अगस्त को सीयूजे के ब्राम्बे परिसर में किया जाएगा. जहां अलग-अलग संस्था से विशेषज्ञ फाइलेरिया से संबंधित जानकारी देंगे.
बता दें कि यह भारत के विश्वविद्यालयों में पत्रकारिता के छात्रों के लिए एक स्वास्थ्य केंद्रित कार्यशाला है. इस अभ्यास से भारत सरकार द्वारा फाइलेरिया के लिए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) कार्यक्रम द्वारा किए जा रहे विशाल कार्य के बारे में जानकारी फैलाने का कार्य किया जा रहा है, जहां स्वास्थ्य कार्यकर्ता समुदायों में बीमारी से सुरक्षा के लिए मुफ्त फाइलेरिया रोधी दवाएं देते हैं. यह पत्रकारिता के छात्रों को एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य विषय पर संवेदनशील बनाएगा जबकि वे क्षेत्र में रिपोर्टिंग के बारे में विशेषज्ञों से सीखेंगे.