टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : भारत एक पुरुष प्रधान देश है, भारत का इतिहास रहा है कि यहां पुरुषों ने ही राज किया है. लेकिन आज के दौर की बात करे तो आज के इस आधुनिक दौर में महिला किसी भी काम में पुरुषों से पीछे नहीं है. महिला पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाते हुए सारे काम कर रही है. चाहे वह हवाई जहाज चलाना हो या बाइक चलाना, यहां तक की महिला सरकार तक चलाती है औऱ देश दुनिया के सामने मिसाल पेश करती है. एक कहावत है कि महिला अगल कुछ ठान ले तो उसे करके ही मानती है. इसके बावजूद भी आज के समय में महिला अपने घरों से बाहर काम करने के लिए निकलती है तो समाज के द्वारा उन पर कई सवाल खड़े किए जाते है. लेकिन महिला सारे सवालों पर अंकुश लगाते हुए और अपने काम से देश और दुनिया के सामने एक मिसाल खड़ी करती है. इस लिए आज हम अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर आज एक ऐसी महिला की कहनी बताने जा रहे है. जिन्होंने ना सिर्फ अपनी एक पहचान बनाई है. बल्कि महिलाओं के लिए सुरक्षित सफर का साधन भी बन रही हैं.
पिंक ऑटो चलाकर बनाई खुद की एक अलग पहचान
हम बात कर रहे है कि झारखंड की राजधानी रांची में पिंक ऑटो चलाने वाली दीदी, जिनका नाम रीना देवी है. उन्होंने रांची में ना सिर्फ अपनी एक अलग पहचान बनाई है. बल्कि अपनी हिम्मत से स्वावलंबी भी बनी हैं और महिलाओं के लिए सुरक्षित सफर का साधन भी बन रही हैं. वे रांची के अरगोड़ा चौक से न्यूकिलिएस मौल और रेलवे स्टेशन तक अपना ऑटो चलाती हैं. जब हमने पिंक ऑटो चालक महिला से बात की तो उन्होंने बताया कि पति की मौत के बाद से उन्होंने ऑटो चलाना शुरू किया. क्योंकि परिवार का सारा बोझ उनपर आ गया था. जिसके बाद उन्होंने ऑटो चलाने का निर्णय लिया और ऑटो चलाने लगी. उनके दो बच्चे भी है, लेकिन जब वे ऑटो चला कर घर का पालन पोषण करती थी उनके दोनों बच्चों को उनका ऑटो चलाना पसंद नहीं था और दोनों ने उनसे बात करना बंद कर दिया था. इसके बावजूद भी उन्होंने ऑटो चलाना बंद नहीं किया और ऑटो चलाते हुए जो कुछ भी आमदनी होता थी. उससे वे अपनी घर का लालन पोषन करती थी. इसी बीच जब COVID ने भारत में अपना कदम रखा औऱ अपना कहर बरपाना शुरु किया. तब जाकर उनके बच्चों को उनकी इस मैहनत समझ में आई. जिसके बाद दोनों बच्चे उनसे बात करना शुरू किए. वहीं सबसे खास बात तो यह है कि महिला ने ऑटो चलाते हुए अपने दोनों बच्चों को पढ़ाया लिखाया और इसी मैहनत का फल है कि महिला का एक बच्चा आज हॉटल मैनेजमेंट कर विदेश में नौकरी कर रहा है. लेकिन इसके बावजूद भी महिला ने अपना काम नहीं छोड़ी, उनका कहना है कि इसी ऑटो से उन्होंने अपने बच्चों को इस काबिल बनाया है कि आज वे आराम से अपनी जिंदगी जी रहे है. इस लिए मैं इस काम को नहीं छोड़ूगी. मै पहले जिस तरह से काम किया करती थी आज भी उसी मेहनत के साथ ऑटो चलाती हू औऱ अपना लालन पोषन करती हू.
काफी मुश्किलो औऱ चुनौतियों से भरा रहा यह सफर
आपकों बता दें कि पिंक ऑटो महिला का यह सफर इतना आसाना नहीं था. उन्होंने अपनी पुराने समय के बारे में बताया कि जब वे ऑटो चलाना शुरू की थी. तो उन्हें कई कठिनाईय़ों का सामना करना पड़ा था. सबसे बड़ी कठिनाई तो यह थी की जब वे ऑटो चलाना शुरू की तो उनके दो बच्चे उनसे बात करना बंद कर दिए थे. तो दूसरी कठिनाई यह थी कि दूसरे पुरुष ऑटो चालक उन्हे काफी परेशान किया करते थे. लेकिन इतनी परेशानियों के बावजूद भी उन्होंने ऑटो चलाना नहीं छोड़ा और समाज से लड़ते हुए आज रांची की महिलाओं के लिए सुरक्षित सफर का साधन बन रही हैं.