रांची(RANCHI): हुसैनाबद विधायक कमलेश का एनसीपी अजित गुट के साथ जाते ही झारखंड में सियासी समीकरणों में उलटफेर की संभावना जताई जाने लगी है. और इस बात का दावा किया जाने लगा है कि हेमंत सरकार से नाराज राजपूत मतदाताओं को एक प्रखर वक्ता मिल गया. कमलेश सिंह तमाम मतदाताओं को एनडीए की ओर खींच सकते है. इसका फायदा भी सीधे तौर पर विधानसभा और लोकसभा चुनाव में एनडीए को हो सकता है. फिलहाल कमलेश सिंह जिस क्षेत्र से आते है वहाँ भी एनडीए मजबूत होगी. इसके अलावा धनबाद और बोकारो में कमलेश सिंह का बड़ा प्रभाव है.
अगर बात कमलेश सिंह की करें तो शुरू से ही राजपूत समाज में इनकी पकड़ अच्छी है.पलामू प्रमंडल समेत धनबाद और बोकारो के राजपूत मतदाताओं को एनडीए की पाले में ला सकते है. राजनीतिक जानकार बताते है कि राजपूत समाज हेमंत सरकार से नाराज चल रहे है और इस बीच एक बड़े चेहरे का एनडीए में शामिल होना एक बड़ा संकेत है. इसका असर सीधे विधानसभा चुनाव में पड़ेगा. कमलेश सिंह करीब तीन दशक से राजनीति में सक्रिय है. एक बार मंत्री और एक बार विधायक है. इसके अलावा सामाजिक कार्यों और कार्यक्रमों में राज्य और राज्य से बाहर भी सक्रिय रहते है.
अगर बात जब कमलेश सिंह की कर रहे है तो उनके क्षेत्र हुसैनाबद के लोग बताते है कि कमलेश सिंह में विधायक स्व अवधेश सिंह की झलक दिखती है. अवधेश सिंह 23 साल तक हुसैनाबाद का प्रतिनिधित्व किया था. उनकी पकड़ झारखंड से बिहार तक थी.उसी तरह कमलेश सिंह की पकड़ पूरे झारखंड में है. एक कद्दावर नेता के रूप में कमलेश सिंह को एक अलग पहचान मिली है.
फिलहाल जिस तरह से एनडीए के साथ कमलेश सिंह गए है इससे एनडीए का कुनबा बढ़ गया है.अबतक सिर्फ आजसू एनडीए में शामिल थी लेकिन एनसीपी के शामिल होने से गठबंधन को मजबूती मिलगी. इसका परिणाम लोकसभा चुनाव से देखने को मिलगा.कमलेश सिंह की बनाई पिच पर कई एनडीए नेता बैटिंग कर एनडीए की नैया पार कराएंगे.