रांची(RANCHI):जेएमएम के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए बजट पर कई सवाल उठाएं. जेएमएम ने कहा कि आज का आम बजट आम लोगों के लिए नहीं बल्कि खास लोगों के लिए हैं. यह बजट प्रधानमंत्री की कुर्सी और सत्ता बचाओ योजना के अंतर्गत था, यह देश का बजट नहीं था. इस बजट से यह पूरी तरह साफ हो गया कि केंद्र की सत्ता अपने स्थिरता के लिए इतनी डरी और सहमी हुई है कि उसे आंध्र प्रदेश और बिहार के लिए ही सोचना पड़ा है, बाकी के 27 राज्य उनके लिए इस देश में ही नहीं है.
9 पॉइंट हाईलाइट किया गया
उन्होंने कहा कि चुनाव में जिस तरह से उदय विहीन होकर भारतीय जनता पार्टी ने सांप्रदायिक बातें की हैं, उसका ही झलक इस बजट में दिखा है. बजट को 9 पॉइंट हाईलाइट किया गया है, इसमें सबसे ऊपर एग्री कल्चर सेक्टर के लिए 6.5% तक बजट का हिस्सा हुआ करता था आज वह कट कर 3.9 पर कट कर आ गया.
बजट में कोई नई सरकारी योजना नहीं
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि अनाज जिससे पेट भर जाता है उस पर कोई बात ही नहीं हुई, केवल फल और सब्जी पर बात हुई, वह भी 5 साल की योजना के तहत. उन्होंने कहा कि दूसरे बिंदु पर एम्प्लोयी की बात हुई इस बजट में कोई नई सरकारी योजना नहीं.
सरकारी पद के नियुक्ति की बात नहीं
उन्होंने कहा कि जो 30 लाख सरकारी पद खाली है, उनकी नियुक्ति के संबंध में कोई बात नहीं हुई. बातें क्या हुई अगले 5 वर्षों तक एक करोड़ युवाओं को प्राइवेट कंपनी में 5 हजार वेतन के रूप में स्थाई नौकरी दी जाएगी. यानी प्रतिवर्ष 1 करोड़ युवाओं को 5 हजार की नौकरी दी जाएगी. इसमें आरआईएनटी से पड़े हुए जो इंजीनियर है उन्हें भी 5 हजार की नौकरी मिलेगी.
बजट नहीं दस्तावेज पढ़े गए
उन्होंने कहा कि यह बजट ऐसा है कि यदि किसी को कैंसर हुआ है तो डॉक्टर उसे बैंडेज लगा देगें. जिससे आदमी की जीवन लीला समाप्त हो सकती है. उन्होंने कहा कि भयानक घाव में सर्जरी के बजाय बैंडेज लगा लो यह बजट पेश किया गया है. वित्त मंत्री जब बजट पढ़ रही थी तो, उन्हें भी समझ नहीं आ रहा था की बजट है या क्या, किसके लिए दस्तावेज पढ़े जा रहे हैं. जहां न शिक्षा और न स्वास्थ्य पर बात हुई.
सरकार की बैसाखी राज्य में दिया गया ध्यान
उन्होंने कहा कि झारखंड जैसा राज्य जो सबसे ज्यादा खनिज संपदा देता है. उसकी कहीं कोई चर्चा नहीं हुई. महाराष्ट्र जो पूरे देश में सबसे ज्यादा जीएसटी देता है, उसके बारे में सोचा नहीं गया. केवल आंध्र प्रदेश बिहार और कुछ हद तक उड़ीसा के लिए यह बजट हैं. इससे साफ नजर हो रहा है कि जहां-जहां सरकार टिकी है, सरकार की जो बैसाखी है. उस पर ध्यान दिया गया है. बिना सोच समझ के कागज में यह केवल एक दस्तावेज है. जो अगले 5 वर्षों तक युवाओं को उनके बेरोजगारी की गढ़ में धकेलता रहेगा, किसानों को कर्ज में धकेलता और कॉरपोरेट को और ज्यादा फायदा देने के लिए यह व्यवस्था तैयार की गई है उन्होंने कहा कि यह देश का नही बल्कि एनडीए का बजट है.